अनूपपुर

9 हजार हेक्टेयर भूमि से नहीं कटे लैंटिना और यूकोलिप्टस के पेड़-पौधे, अमरकंटक क्षेत्र हो रहा बंजर

एनजीटी के निर्देशों के बाद भी पर्यावरण बचाव में वनविभाग की अनदेखी

अनूपपुरJun 03, 2019 / 12:35 pm

Rajan Kumar Gupta

9 हजार हेक्टेयर भूमि से नहीं कटे लैंटिना और यूकोलिप्टस के पेड़-पौधे, अमरकंटक क्षेत्र हो रहा बंजर

अनूपपुर। अमरकंटक वनपरिक्षेत्र के लगभग 9 हजार हेक्टेयर वनीय भूमि में फैली लैंटिना और यूकोलिप्टस के पौधों को अबतक नहीं काटा गया है। इस सम्बंध में एनजीटी ने कार्रवाई को लेकर वनविभाग को तीन बार नोटिस जारी कर चुकी है। लेकिन उन नोटिसों का प्रभाव भी कार्यो के क्रियान्वयन के लिए विभाग पहल नहीं कर रही है। इस सम्बंध में पूर्व तत्कालीन प्रदेश वनमंत्री सहित प्रदेश सचिव स्तरीय पदाधिकारियों ने अमरकंटक भ्रमण के दौरान अमरकंटक की बहुमूल्य औषधि को बचाने तथा सरंक्षण करने अमरकंटक में सरंक्षित नर्सरी तथा उनमें स्थानीय प्रकृति स्वरूप के पौधा रोपण करने के आदेश दिए थे। साथ ही अधिकारियों ने नर्मदा के वनीय व पर्वतीय क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर भूमि में लगी यूकोलिप्टस को बाहरी प्रजाति का पौधा मानते हुए अमरकंटक के पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानते हुए उसके समूल नाश के निर्देश दिए थे। उनका मानना था कि इस प्रकार के पौधे धरती की नमी को खींचकर आसपास के स्थानों को उर्वराहीन बना देते हैं, जिसके कारण ऐसे पेड़-पौधों के आसपास कोई अन्य वनीय पौधा नहीं उग पाता। इसी क्रम में वर्ष २०१६ में एनजीटी की टीम ने भी नर्मदा संरक्षण को देखते हुए वनविभाग से तटों से २०० मीटर तक लगी यूकोलिप्टस और लैंटिना जंगली झाड़ को काटकर हटाने के निर्देश दिए थे। एनजीटी का तर्क था कि लैंटिना बारहमासी पौधा है तथा यह आसपास के जमीनी नमी को अवशेषित करते हुए वनीय विकास को अवरूद्ध करता है। यहीं नहीं यूकोलिप्टस काष्ठीय रूप में अनुपयोगी है तथा आसपास की भूमि को बंजर भी बनाता है। इसके कारण अमरकंटक की अधिकांश भूमि बंजर जैसी नजर आने लगी है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार अमरकंटक वनपरिक्षेत्र द्वारा इस्टीमेंट बनाकर वनमंडलाधिकारी और जिला प्रशासन को भेजा गया। जिसमें अमरकंटक के ९ हेक्टेयर भूमि पर फैली लैंटिना और यूकोलिप्टस पेड़ की कटाई के लिए लगभग ५ करोड़ से अधिक राशि प्रस्तावित की गई। लेकिन पिछले तीन साल से अधिक समय के गुजर जाने बाद भी वनविभाग द्वारा अबतक ऐसे पेड़ों की कटाई के लिए पहल नहीं की है। माना जाता है कि इसके लिए उच्च विभाग से एक रूपए भी आवंटन नहीं कराए गए है। पैसे के अभाव में अमरकंटक वनपरिक्षेत्र क्षेत्र कोई कार्य नहीं कराया जा सका। जबकि पुष्पराजगढ़ वनपरिक्षेत्र अंतर्गत राजस्व विभाग का लगभग २०-२१ हजार हेक्टेयर की भूमि वनाच्छादन हैं।
बॉक्स: दुनिया की बहुमूल्य औषधि
अमरकंटक प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ साथ नर्मदा, सोन उद्गम स्थल सहित औषधियुक्त वनीय क्षेत्र है। जिसमें गुलबकावली, ब्राह्मनी, जटाशंकरी, सफेद मूसली, काली मूसली, जटामानसी, भालूकंद, अमलताश, सर्पगंधा, भोगराज, जंगली हल्दी, श्याम हल्दी सहित हर्रा, बहेरा और आवंला भरपूर संख्या में उपलब्ध है। ये औषधियां अमरकंटक के अलावा अन्य किसी क्षेत्र में बहुयात में नहीं पाई जाती है। लेकिन अब यह आग की झुलस में विलप्त की कगार पर खड़ी है।
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