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संशय में मरीजों की जान, जिलेभर के मरीजों के लिए ब्लड बैंक में मात्र 12 यूनिट रक्त

locationअनूपपुरPublished: Aug 25, 2019 03:07:16 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

रक्त के अभाव में कोतमा और पुष्पराजगढ़ ब्लड यूनिट को नहीं हो रही आपूर्ति, दो माह में 30 यूनिट ब्लड की हुई उपलब्धता

Life of patients in doubt, only 12 units of blood in blood bank for pa

संशय में मरीजों की जान, जिलेभर के मरीजों के लिए ब्लड बैंक में मात्र 12 यूनिट रक्त

अनूपपुर। जिला अस्पताल में गम्भीर उपचार सहित एनेमिक रूप में भर्ती प्रसव पीडि़त माताओं की जान संशय में बन आई है। जिले के सबसे बड़े अस्पताल में ३०० यूनिट वाले ब्लड बैंक में मात्र १२ यूनिट खून उपलब्ध है। जबकि विकासखंड स्तर की सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पुष्पराजगढ़ और कोतमा की २५ यूनिट क्षमता वाली ब्लड यूनिट में पिछले दो माह से एक यूनिट भी रक्त की उपलब्धता नहीं हो सकी है। वर्तमान में ब्लड बैंक में जो ग्रूप उपलब्ध हैं ये ऐसे ग्रूप के ब्लड हैं जिसके मरीज नाममात्र हैं। जिसके कारण सडक़ हादसे से लेकर सिजेरियन प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली माताओं को रक्त की कमी में अनूपपुर के बजाय शहडोल की ओर रेफर किया जा रहा है। इसमें मरीजों के साथ साथ परिजनों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पूर्व जिला अस्पताल में ब्लड की लगातार बन रही समस्या और कुपोषण व सिकल सेल मरीजों के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए जिला प्रशासन ने प्रतिमाह वृहत स्तर पर ब्लड डॉनेट शिविर के आयोजन की योजना बनाई थी। जिसमें पावर प्लांट, एसईसीएल कॉलरी, चारो विकासखंड के समस्त कॉलेज सहित स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्यों द्वारा रक्तदान करने की अपील की गई थी। लेकिन हालात यह है कि पिछले दो माह से जिले के दो ब्लड डॉनर्स कैंप से मात्र ३० यूनिट ब्लड की उपलब्धता हो सकी है। जिला अस्पताल ब्लड बैंक लैब कर्मचारियों के अनुसार जिले में दुर्घटनाओं और रोजाना प्रसव के लिए होने वाले सीजर ऑपरेशन सहित अन्य जरूरतमंदों की पूर्ति में ३० यूनिट से अधिक ब्लड की आवश्यकता होती है। लेकिन वर्तमान हालात यह है कि मरीजों के परिजन भी अपने रक्त देने से इंकार कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप खून की कमी में मरीजों को शहडोल रेफर किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन व स्वास्थ्य प्रबंधक भी इन परेशानियों के प्रति गम्भीर नहीं दिख रहा है। शासन की नजरों में अनूपपुर कुपोषित जिलों में शामिल है तथा यहां रक्त अल्पता के शिकार मरीजों की संख्या सर्वाधिक है। उपलब्ध ब्लड ग्रूपों में ए निगेटिव की २, बी पॉजिटिव की ६, ओ निगेटिव की १ तथा एबी पॉजिटिव की ३ थैलियां है। लेकिन ए पॉजिटिव, बी निगेटिव, ओ पोजिटिव, एबी पॉजिटिव का अभाव बना हुआ है। जानकारी के अनुसार मदर ब्लड बैंक में ३०० यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य है। हालंाकि इसे ३२५ यूनिट तक रखने की क्षमता में स्थापित किया गया है। इसमें प्रतिमाह जिला अस्पताल को १५०-२०० यूनिट की आवश्यकता होती है। इनमें सर्वाधिक ग्रूप ओ पोजिटिव लगभग ६०-७५ यूनिट तथा सबसे कम एबी पॉजिटिव १०-१२ यूनिट खर्च होता है।
बॉक्स: जागरूकता के प्रति नहीं गम्भीर स्वास्थ्य विभाग
एसईसीएल की १८ कोल खदान सहित हिन्दुस्तान पावर प्लांट जैसे संस्थानों के बाद भी जिला अस्पताल प्रशासन रक्तदान शिविर के लिए गम्भीर नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी आमजनों को अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने या अन्य से कराने कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं आयोजित करवा रही है। जिसके कारण ग्रामीणों में आज भी रक्तदान को लेकर अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं और अस्पताल में अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने से मनाही कर रहे हैं।
वर्सन:
शिविर का आयोजन तो किया जाता है लेकिन रक्तदाता अधिक संख्या में सामने नहीं आ रहे हैं। २५ अगस्त को पुष्पराजगढ़ के पोंडी में तथा २९ अगस्त को पावर प्लांट जैतहरी में रक्तदान शिविर का आयोजन प्रस्तावित है। उम्मीद है कि यहां रक्तदान के लिए अधिक रक्तदाताओं की भीड़ जुटेगी।
डॉ. एससी राय, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अनूपपुर।
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