जगह जगह गुल हो सकती है बिजली: मानसून मुसीबत की आहट से बेसुध बिजली विभाग, संसाधनों की कमी
आंधी-बारिश से पैदा होने वाले हालात से निपटने के लिए तैयारी नहीं, विभाग में संसाधनों की कमी बनी
अनूपपुर। प्री मानसून का दौर चालू है, जिसमें प्रदेश के जिलों में आने की जल्द ही सम्भावना मानी जा रही है। लेकिन मानसून आने से पहले औसतन ४० से ५० किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से आंधी या हवाओं के झोंके चलते हैं, जिसमें बिजली तंत्र अस्त व्यस्त हो जाता है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए बिजली कंपनी ने अभी तक मानसून से होने वाले ब्यावधानों से निपटने के इंतजाम नहीं किए हैं। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार जून माह के दूसरे सप्ताह से आसमान में बादलो के छाए रहने व तेज हवाओं के साथ आंधी चलने की सम्भावना बनी हुई है। इससे अनूपपुर जिला मुख्यालय के साथ विकासखंड में भी बिजली आपूर्ति ठप हो सकती है। लेकिन बिजली विभाग द्वारा पहले से कर्मचारियों और संसाधनों की व्यवस्था नहीं होने से इसका परिणाम आम जनता को भुगतना होगा। अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित अन्य विकासखंड में घने जंगल है, जिनके बीच बीच से बिजली के तारों को निकाला गया है। इसके अलावा जो भी ट्रांसफर्मर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में लगाए गए है वे भी पेड़ो की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं हैं। जिस कारण तेज हवाओं के झोंके चलने पर अचानक पेड़ों या अन्य सामग्रियों(होर्डिंग, फ्लैक्स)के गिरने के कारण बिजली के तार टूटकर गिर जाते है जिससे बिजली आपूर्ति के साथ किसी जानमाल के हानि की आशंका बनी रहती है।
माना जाता है कि शहर के मुख्य सडक़ों पर बिजली गुल होने का सबसे बड़ा कारण फीडर सेप्रेशन नहीं होने के साथ साथ प्रचार प्रसार के लिए लगाए गए होर्डिंग, फ्लैक्स सहित बड़े-बड़े छायादार पेड़-पौधे हैं। आंधी से फ्लैक्स, होर्डिंग व पेड़ टूटकर बिजली के तारों पर गिर जाते है। इससे तार टूटते है। वहीं प्रत्यके साल बिजली विभाग के अधिकारी कहते है कि मानसून के पहले बिजली लाइनों के आसपास बिजली आपूर्ति में बाधा बनने वाली वस्तुओं को हटाने के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। लेकिन प्री मानसून के आगमन के बाद भी फ्लैक्स हटाने के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किए गए हैं।
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बिजली बिजली ने आपात स्थिति से निपटने के लिए कागजों पर ही आपदा प्रबंधन की योजना बना रखी है। आपदा प्रबंधन में आंधी-बारिश के दौरान शहर की बिजली गुल होने पर लाइनमैन से लेकर अधीक्षण अभियंत्र तक की जिम्मेदारी तय की गई है, लेकिन आपदा के दौरान पूरा प्रबंधन धरा का धरा रह जाता है। मानसून के दौरान चलने वाले तेज आंंधी बारिश से सबसे ज्यादा परेशानी बिजली लाइनों पर गिरने वाले पेड़-पौधों से होती है। वहीं विभाग के पास इलेक्ट्रोनिक कटर नहीं होने से बिजली कर्मी मोटे-मोटे पेड़ काटकर अलग नहीें कर पाते हैं। इन पेड़ों को काटने में मजदूरों को पांच से आठ घंटे लग जाते है। मुसीबत यहीं समाप्त नहीं होती, फिर कटे पेड़ को हटाने के लिए क्रेन की अनुपलब्धता के कारण बिजली विभाग की परेशानी बढ़ जाती है। लेकिन यह परेशानी का सबब हर साल बनता है इसके बावजूद बिजली विभाग ने इलेक्ट्रोनिक कटर और क्रेन की व्यवस्था नहीं की है।
बॉक्स: ये क्षेत्र बिजली कटौती से सर्वाधित प्रभावित
फीडर सेप्रेशन के अभाव में मुख्य उपकेन्द्रों से निकलने वाली लाईनों पर किसी फॉल्ट के आने पर उपकेन्द्र या मुख्य ग्रिड पावर में फॉल्ट की समस्या बनती है। जिसके सुधार में कई घंटों का समय लग जाता है। इससे बचने थोड़ी तेज हवा चलने के बाद बिजली की आपूर्ति रोक देनी पड़ती है। सबसे ज्यादा परेशानी अनूपपुर जिला मुख्यालय सहित उपकेन्द्र अंतर्गत आने वाले ५४ गांवों व अमरकंटक, कोतमा, पुष्पराजगढ़ इलाके प्रभावित होती हैं। जहां पहाड़ी क्षेत्र के साथ वनस्थली क्षेत्र भी उपलब्ध हैं। आंधी और बारिश के दौरान पेड़ उखडक़र बिजली के तारों पर जा गिरती है।
वर्सन:
फीडर सेप्रेशन के अभाव में फॉल्ट की समस्या बनती है। विभाग द्वारा जितने संसाध उपलब्ध कराए गए हैं उसी के आधार पर मेंटनेंश व्यवस्था बनाकर बिजली आपूर्ति कराई जाती है।
पीके गेडाम, कार्यपालन यंत्री बिजली विभाग अनूपपुर