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लॉकडाउन: घरों में कैद ग्रामीण जनजीवन, गांवों में नहीं मिल रहा रोजगार

locationअनूपपुरPublished: Apr 09, 2020 08:15:45 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

शासन से प्राप्त सहयोग से चल रहा चूल्हा, खेतों की फसल कटाई बन रही चुनौती

Lockdown: imprisoned rural life, not getting employment in villages

लॉकडाउन: घरों में कैद ग्रामीण जनजीवन, गांवों में नहीं मिल रहा रोजगार

अनूपपुर। कोरोना संक्रमण से बचाव और आम नागरिकों की सुरक्षा में देश में लगा लॉकडाउन से अब शहरों के साथ साथ ग्रामीण अचंलों में भी वीरानी छाई है। दिनभर चहल-पहल वाले ग्रामीण अचंल खामोशी में सिमटा हुआ है। गांव के लोग घरों में कैद हैं। पूरी वीरानी में चिडिय़ों की चहचहाहट सुनाई दे रही है। कुछ ऐसा ही माहौल अनूपपुर जनपद पंचायत के दारसागर ग्राम पंचायत में बनी हुई है। लगभग ३ किलोमीटर से अधिक की परिधि में फैला यह ग्राम पंचायत वर्तमान लॉकडाउन में खामोश है। घरों के दरवाजें बंद है। एक्का दुक्का लोग जरूरतों के अनुसार घर से बाहर निकल रहे हैं। यहां तक खेतों में लगी गेहंू की फसल की कटाई के लिए ग्रामीणों को मजदूर तक नहीं मिल रहे हैं। जबकि सोशल डिस्टेंसिंग सुरक्षार्थ ग्राम पंचायत में कोई शासकीय कार्य भी नहीं हो रहा, जिसके कारण गांव के ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिल रहे हैं। हांलाकि ग्रामीणों से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में लॉकडाउन के कारण लोगों को रोजी रोटी के लिए ज्यादा परेशानी नहीं है। लेकिन जो मजदूरी कर अपना जीवनयापन करने पर निर्भर थे, उन्हेंं थोड़ी बहुत परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ रहा है। रोजगार या काम नहीं मिलने के कारण उनके पास आय के अन्य साधन नहीं है। खेतों में फसल कटाई के लिए एकाध मजदूर तैयार है लेकिन अन्य के सहमति नहीं होने के कारण मजदूर खेतों में भी नहीं उतर रहे हैं। शासन की तरफ से जो योजनाएं चलाई जा रही उसी से राशन मिल रहा है और घर का चूल्हा जल रहा है। गम्भीरवाटोला ग्रामीण उदल केवट ने बताया कि यहां लगभग २ हजार की आबादी है। जिसमें १४ सौं वोटर है। लगभग सभी घरों में राशन कार्ड भी उपलब्ध है। जिसके कारण वर्तमान लॉकडाउन में खाने पीने की समस्या नहीं बन रही है। अगर थोड़ी बहुत बनती भी है तो आपसी सहायता के रूप में मदद लेकर एडजेस्ट कर लेते हैं। कुछ ग्रामीण खेतों में सब्जी भाजी भी उपजा लेते हैं। जिसके कारण खेतों के अनाज और सब्जी भाजी से उनका गुजारा चल रहा है। हां गांव की कुछ महिलाओं ने बताया कि गांव में सब्जी नहीं मिल रही है। बाहर जा नहीं पा रहे हैं गांव में सब्जी की खेती भी कम ही होती और जिन गांव के दुकानों के पास आलू व प्याज है वह महंगे दामों पर दे रहें है। गांव में बिकने के लिए आना वाला सब्जी थोड़ा महंगा अवश्य है। वहीं ग्रामीण नरेन्द्र सिंह मरावी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण गांवों में कफ्र्यू जैसा माहौल बना हुआ है। ग्रामीण जनजीवन ठप पड़ी है। रोजगार, खेती, मजदूरी, हाट बाजार सहित अन्य छोटी-बड़ी व्यवसायिक दुकानें बिल्कुल बंद है। जिला प्रशासन ने गांवों में राशन की दुकान का सुबह से शाम तक संचालन कर गरीबों सहित ग्रामीणों को बड़ी राहत दी है। गांव में लगभग 487 गरीबी रेखा राशन कार्ड उपभोक्ता हैं, शासन द्वारा पंचायत के लिए 6 क्विंटल अनाज राहत कोष के लिए उपलब्ध कराया गया है। जिसका उपयोग गरीबों के लिए किया जा रहा है। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आता है उनकी मदद के लिए सचिव के माध्यम से की जाएगी। ग्रामीण सुबह से राशन लेने पहुंच भी जाते हैं, जहां एक मीटर की दूरी बनाकर अपना अपना राशन ले जाते हैं। ग्रामीणों को भी लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण की जानकारी होने के कारण वे भी अपनी सुरक्षा में शासन के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। गांव में जो मजदूरी कर जीवन यापन करते है उनके लिए मदद के रूप में शासन ५ किलो अनाज भी दे रही है। लेकिन उन्हें अन्य दिनों की भांति रोजगार और शाम को मिलने वाला पैसा बेरोजगारी के कारण नहीं मिल पा रहा है। पैसे के अभाव में अन्य जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। दुकानदार भी ग्राहकों के नहीं के आने के कारण परेशान है। वाहनों के बंद होने के कारण राशन की सामानों सहित लोगों की आवाजाही भी बिल्कुल बंद है। स्कूल बंद होने से बच्चों की पढाई भी प्रभावित है। लेकिन इस विपदा में ग्रामीण भी शासन के आदेश के पालन में घरों में बंद है।
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