पर्यटन क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का सिरमौर: यूरोप, श्रीलंका सहित देशभर से 22 विशेषज्ञ कार्यशाला में हुए शामिल, 90 से अधिक शोध पत्र हुए प्रस्तुत
अनूपपुरPublished: Jan 13, 2019 09:34:10 pm
पर्यटन क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का सिरमौर- प्रो. पांडेय: यूरोप, श्रीलंका सहित देशभर से 22 विशेषज्ञ कार्यशाला में हुए शामिल, 90 से अधिक शोध पत्र हुए प्रस्तुत
पर्यटन क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश का सिरमौर: यूरोप, श्रीलंका सहित देशभर से 22 विशेषज्ञ कार्यशाला में हुए शामिल, 90 से अधिक शोध पत्र हुए प्रस्तुत
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में इंडीजिनस एंड रिलिजस टूरिज्म इन साउथ एंड ईस्ट एशिया: अपाच्र्युनिटी एंड चैलेंजेस विषय पर आधारित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
अनूपपुर। ‘जनजातीय विश्वविद्यालय के अद्वितीय विकास के लिए निश्चित ही कुलपति ने विशेष प्रयास किए हैं। पिछले पांच वर्षों में यूनिवर्सिटी ने तीव्र गति से विकास किया है। हमें उम्मीद है कि जल्द ही देश में इस यूनिवर्सिटी का उच्च स्थान होगा। यह बात पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्कों ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में इंडीजिनस एंड रिलिजस टूरिज्म इन साउथ एंड ईस्ट एशिया: अपाच्र्युनिटी एंड चैलेंजेस विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला समापन सत्र के दौरान कही। विधायक ने कहा जनजातीय विश्वविद्यालय आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कुलपति ने इस विश्वविद्यालय को शिक्षा, खेल, समाज, संस्कृति और चहुंमुखी विकास के साथ नए आयाम तक पहुंचाया है। सेमीनार के समन्वयक डॉ. आशीष माथुर ने यूरोप से आए अतिथियों सहित अतिथिजनों का स्वागत किया। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का समापन 13 जनवरी की शाम प्रशासनिक भवन के ऑडिटोरियम में समारोह के साथ हुआ। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में एपीएसयू रीवा प्रो. अतुल पांडेय तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. टीवी कटटीमनी ने की। इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में यूरोपीय देश लातविया की विड्जम यूनिवर्सिटी की प्रो. अगीता लिविना, जनजातीय विश्वविद्यालय के कॉमर्स विभाग के अधिष्ठाता प्रो. अजय वाघ, प्रो. एचएनएसएन मूर्ति, पी सिलुवैनाथन, ऐ जेना, प्रो. बसवराज पी डोनूर, डॉ. जितेंद्र मोहन मिश्रा शामिल रहे। मुख्य अतिथि प्रो. अतुल पांडेय ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में मैं जब पहले आया था तो यह टिन शेड में संचालित एक विश्वविद्यालय था। लेकिन जिस गति से विश्वविद्यालय का विकास हुआ है इसका पूरा श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टीवी कटटीमनी को जाता है। उन्होंने कहा कि अमरकंटक तीर्थ पर्यटन के साथ अब जनजातीय विश्वविद्यालय के नाम से पहचाना जाता है। मप्र. पर्यटन के मामले में बेहद धनी है और पिछले तीन वर्षों से लगातार पर्यटन के क्षेत्र में मप्र. को पुरस्कार प्राप्त हुआ है। मध्यप्रदेश भारत में पर्यटन के सिरमौर के रूप में पहचान स्थापित करेगा। उन्होंने प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों पर चर्चा करते हुए उनकी विशेषताओं पर चर्चा की। साथ ही कहा कि मप्र स्वदेशी और धार्मिक ऐतिहासिक पर्यटन के साथ प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण पर्यटन के क्षेत्र में तीव्र गति से बढ़ रहा है। उन्होंने स्वदेशी पर्यटन पर स्वच्छता की समस्या पर चर्चा की और निदान पर सुझाव दिए। कुलपति प्रो. टीवी कटटीमनी ने देश-विदेश से आए शोधार्थी छात्र-छात्राओं का स्वागत किया। साथ ही तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला की सफलतापूर्वक क्रियान्वयन और संचालन के लिए समन्वयक डॉ. आशीष माथुर और संचालन समिति को बधाई दी। प्रो. अगीता लिवीना ने कहा कि पर्यटन को मुख्यत: दो चीजें प्रभावित कर रही हैं। एक तो सांस्कृतिक और स्वदेशी। पर्यटन में बढ़ती व्यवसायिकता और दूसरा पर्यटन के बदलते प्रकार और प्रवृत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि व्यवसायिकता का पर्यटन का दोनों ही प्रकार का असर पड़ता है। जहां इसका नुकसान लोगों को व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के रूप में होता है तो पर्यटन के नए अवसर और जानकारियों का लाभ भी प्राप्त होता है। इसी प्रकार पर्यटन को लेकर लोगों के अनुसार बढ़ते प्रकार भी पर्यटन की प्रवृत्तियों पर असर डालते हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटन के प्रति लोगों की बढ़ती इच्छा शक्ति ने इसे विश्व के सबसे बड़े लाभकारी व्यवसायों में शामिल कर दिया है। डॉ. अनुश्री ने बताया कि पिछले तीन दिनों में 90 शोधार्थी छात्रों ने अपने शोध पत्रों को प्रस्तुत किया।