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सुरक्षा से खिलवाड़, कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा में लगी लाखों की तीसरी आंख हुई बेकार

locationअनूपपुरPublished: Sep 01, 2019 02:50:47 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

हाई रेज्यूलेशन के लगे सीसीटीवी कैमरे का नहीं हो रहा उपयोग, डीवीआर चालू मॉनीटरिंग बंद

Messing with security, the third eye of lakhs engaged in security of C

सुरक्षा से खिलवाड़, कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा में लगी लाखों की तीसरी आंख हुई बेकार

अनूपपुर। लगभग १० करोड़ की लागत से बनी अनूपपुर जिला संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा में अब खुद जिला प्रशासनिक अधिकारी लापरवाही बरती जा रही है। कलेक्ट्रेट परिसर को सुरक्षित दायरे और बाहरी लोगों पर निगरानी रखने लगी लाखों की तीसरी आंख बंद है। यहां तक पैसे के भुगतान के अभाव में नदी किनारे कलेक्ट्रेट परिसर से अलग बनाए गए आदिवासी विभाग विभाग में लगे आधा दर्जन सीसीटीवी कैमरे को कंपनी के कर्मचारी निकाल ले गए। जिसके कारण मुख्य संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर सहित आदिवासी विभाग परिसर में प्रवेश करने वाले बाहरी संदिग्धों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यहां तक परिसर के अंदर अवैधानिक गतिविधियों की भी मॉनीटरिंग के लिए कोई सुरक्षा गार्ड या प्रहरी नहीं है। जबकि परिसर के अंदर प्रशासनिक विभाग की २७ विभागीय के कार्यालय संचालित है। बताया जाता है कि वर्ष २०१४ में संचालित कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा के लिए तत्कालीन कलेक्टर ने कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर सहित मुख्य प्रवेश द्वारा पर होने वाली गतिविधियों की निगरानी के लिए ८ छोटे-छोटे कैमरे तथा बाद में दो हाई रेज्यूलेशन के सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। जिससे खुद जिला कलेक्टर मॉनीटरिंग टीम की निगरानी में व्यवस्थाओं की जानकारी लेते थे। बाद में कलेक्टर ने खुद अपनी निगरानी में परिसर की गतिविधियों को देखने कार्यालय परिसर में मॉनीटरिंग स्क्रीन लगवाया था। हालांकि बाद में परेशानियों को देखते हुए उसे वहां से हटवा दिया गया। कलेक्टर द्वारा लगाए गए सिस्टम को परिसर के एक कमरे में बंद कर रख दिया गया है। जिसके कारण लगाए गए लाखों की सीसीटीवी कैमरे अब परिसर की शोपीस सी नजर आ रही है। जानकारी के अनुसार परिसर की बेहतर मॉनीटरिंग के लिए चार डायमेंशन के हाई रेज्यूलेशन वाले दो बड़े सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिसकी नजर में पूरा कलेक्ट्रेट परिसर सहित अनूपपुर-कोतमा मुख्य मार्ग पर होने वाले प्रत्येक गतिविधियां रिकार्ड होती थी। लेकिन अब यह कैमरे बिना मॉनीटरिंग बंद पड़े हैं। सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर चालू है, लेकिन सीसीटीवी कैमरे से सम्बंधित कोई टीम मॉनीटरिंग के लिए उपलब्ध नहीं है।
सूत्रों की जानकारी के अनुसार शुरूआती दौर में परिसर के मुख्य गेट सहित मुख्य बरामदों पर ८ छोटे-छोटी सीसीटीवी लगाए गए थे। जिसमें जिला प्रशासन विभागीय कार्यालय से बाहर बरामदें में समय व्यतीत करने वाले कर्मचारियों पर निगरानी के साथ साथ बाहरी लोगों खासकर जुलूस, ज्ञापन सौंपने वाले लोगों की मॉनीटरिंग करती थी। इसके लिए दो स्टाफों को लगाया गया था। लेकिन बाद में परिसर के बाहरी क्षेत्र में होने वाले गतिविधियों क लिए दो हाई रेज्यूलेशन वाले कैमरे भी लगाए गए। वहंी विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि धीरे-धीरे छोटे कैमरे निकल गए, शेष दोनों बड़े कैमरे रहे गए। लेकिन अब इनका का काम बंद है।
बॉक्स: विभाग ने नहंी किया भुगतान, ठेकेदार ने खोले कैमरे
सोननदी किनारे आदिवासी विभाग के लिए बनी नई बिल्डिंग में चोरी की घटना के बाद ६ सीसीटीवी कैमरे विभाग द्वारा लगाए गए। जहां विभाग द्वारा दो लाख से अधिक के बिल भुगतान के लिए उच्च विभाग को भेजा गया। लेकिन उच्च विभाग ने पैसे भुगतान से मनाही कर दी। जिसके बाद पैसा भुगतान नहीं होने पर ठेकेदार ने विभागीय कार्यालय से समस्त सीसीटीवी कैमरे ही खोल कर निकाल लिए।
वर्सन:
चोरी की घटना बाद सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन कैमरों का भुगतान नहीं होने पर सभी निकाल लिए गए।
डीएस राव, सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग अनूपपुर।
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