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मेरा शहर मेरा मुद्दा: कई कद्दावरों की कर्मभूमि रहे पुष्पराजगढ़ का नहीं बढ़ा कद, नगरपरिषद दर्जा के लिए भी इंतजार

locationअनूपपुरPublished: Oct 22, 2018 07:25:36 pm

Submitted by:

shivmangal singh

मेरा शहर मेरा मुद्दा: कई कद्दावरों की कर्मभूमि रहे पुष्पराजगढ़ का नहीं बढ़ा कद, नगरपरिषद दर्जा के लिए भी इंतजार

My city is my issue: There is no work to be done in the field of Karma

मेरा शहर मेरा मुद्दा: कई कद्दावरों की कर्मभूमि रहे पुष्पराजगढ़ का नहीं बढ़ा कद, नगरपरिषद दर्जा के लिए भी इंतजार

वरिष्ठ राजनीतिज्ञों जन्मभूमि के बाद भी ग्राम पंचायत के नाम से संचालित विभागीय कार्य प्रणाली
अनूपपुर। अनूपपुर जिला स्थापना के १५ वर्षो के बाद भी जिले की सबसे बड़ी जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ मुख्यालय राजेन्द्रग्राम आज भी ग्राम पंचायत के नाम से पहचानी जा रही है। कांगे्रस कार्यकाल में मंत्री रहे स्व. दलवीर सिंह, शहडोल संसदीय क्षेत्र सांसद रही उनकी पत्नी स्व. राजेश सिंह नंदनी तथा पांच कार्यकाल से शहडोल संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले स्व. दलपत सिंह परस्ते जैसे शरीखे राजनीतिज्ञों सहित पूर्व व वर्तमान पुष्पराजगढ़ विधायकों की पुष्पराजगढ़ कर्मभूमि रही है। लेकिन इसके बाद भी ११९ ग्राम पंचायतों वाली जनपद पंचायत के लिए अनुविभागीय स्तर पर सारे शासकीय विभाग राजेन्द्रग्राम के किरगी ग्राम पंचायत से संचालित हो रही है। पुष्पराजगढ़ के नाम एसडीएम से लेकर तहसीलदार और सीईओ से लेकर एसडीओपी जैसे प्रशासनिक अधिकारी विभागीय कार्यो को क्रियान्यवन करते हैं। यहीं नहीं विधानसभा क्षेत्र होने के कारण अबतक जितने भी विधायक बने सभी मुख्यालय के आसपास के गांवों से ही जुड़े रहे। लेकिन आश्चर्य इसके बाद भी राजेन्द्रग्राम मुख्यालय को नगरपरिषद या नगरपंचायत का दर्जा दिलाने का प्रयास नहीं किया गया। आलम यह है कि अब भी शासकीय दस्तावेजों में ग्राम पंचायतों के नाम से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जबकि आबादी, ग्राम पंचायतों की संख्या और भूभागीय क्षेत्रफल में पुष्पराजगढ़ अनूपपुर जिले के भौगोलिक आंकड़ों में आधी से अधिक क्षेत्रफल में शामिल है। पुष्पराजगढ़ अंतर्गत आने वाली अमरकंटक नगरीय क्षेत्र परिषद के रूप में अपना पहचान बना रखी है। विभागीय जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिला ३६६९ वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें पुष्पराजगढ़ विकासखंड १७६४ वर्ग किलोमीटर एरिया में फैली है। इनमें २६९ गांव सहित११९ ग्राम पंचायत शामिल हैं। जबकि पुष्पराजगढ़ की आबादी १९४५७१ है जिसमें पुरूषों की संख्या ९७९१७ तथा महिलाओं की संख्या ९६६६५ हैं। इनमें ७०८२ महिला और पुरूष मुख्यालय स्थित एरिया में बसे हैं, जबकि गांवों में १८७४९२ लोगों का रहवास बना हुआ है। घरों के आंकड़ों को देखा जाए तो पुष्पराजगढ़ में कुल ३९८६० परिवारों के घर बने हुए हैं। लेकिन राजनीतिक उपेक्षाओं में शामिल बहुल्य आदिवासी विकासखंड मुख्यालय राजेन्द्रग्राम आज भी जिले के सबसे बड़े जनपद पंचायत में होने के बाद गुमनामी में जी रहा है।
बॉक्स: विरासत में मिले नाम, काम रहे अधूरे
जिले के सबसे बड़े जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ का मुख्यालय राजेन्द्रग्राम विरासती पहचान के बाद भी नगर परिषद या नगरपंचायत जैसे उपलब्धियों से वंचित रह गया। जानकारों के अनुसार पुष्पराजगढ़ विकासखंड के समस्त गांव पूर्व में ग्राम पंचायत के नाम से ही जाने जाते थे। जहां रीवा नरेश के घर पुत्र जन्मे पुष्पराज सिंह के नाम पर पठारी हिस्से को पुष्पराजगढ़ और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के राजेन्द्रग्राम आने पर राजेन्द्रग्राम नाम रखा गया था। लोगों की मानें तो शासकीय स्तर पर बैगा और आदिवासी विकास के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले करोडों की राशि के बाद भी राजेन्द्रग्राम सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की हालात वर्षो पुरानी पद्धतियों पर संवर रही है। इसका मुख्य कारण राजनैतिक विद्वता से परिपूर्ण रहे स्थानीय राजनीतिक जनप्रतिनिधियों ने खुद ही अपनी पहचान बनाए रखने इसे नगर परिषद या पंचायत में विकसित नहीं होने दिया। उन्हें लगता था कि नगरपरिषद या पंचायत बनने पर यहां राजनीतिक दो पक्षीय दीवार उठेगी, जिसके कद में उनकी पहचान खो जाएगी।
बॉक्स: १० किलोमीटर लम्बी सडक़ भी नहीं
कहते हैं तीन दशक पूर्व अनूपपुर से राजेन्द्रग्राम जाने के उपरांत ग्रामीण अपनी पतलून को आधी उपर चढ़ाकर दलदलनुमा सडक़ों से गांव पहुंचते थे। यह स्थिति एकाध दिन नहीं पूरे छह माह बनती थी। हालांकि ३० साल बाद भी इतना जरूर है कि ग्रामीणों के पहनावे बदल गए, जीवनशैली बदल गई। लेकिन नहीं बदली तो पुष्पराजगढ़ विकासखंड सहित राजेन्द्रग्राम मुख्यालय के विकास की तकदीर। किरगी ग्राम पंचायत के नाम से संचालित पुष्पराजगढ़ विकासखंड मुख्यालय राजेन्द्रग्राम २० किलोमीटर की परिधि में विस्तारित है, जहां किरगी और राजेन्द्रग्राम नाम सहित प्रेमनगर, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी, सिचाई विभाग कॉलोनी, पोस्ट ऑफिस कॉलोनियां बसी है। लगभग ८ हजार की आबादी वाले २० किलोमीटर के विस्तारित क्षेत्रफल की मुख्यालय में १० किलोमीटर लम्बी सडक़ भी नहीं है।
वर्सन:
जनसंख्या और मतदाता आंकड़ों के कारण इसे उपेक्षित रखा गया है। अगर आसपास के चार ग्राम पंचायतों को मुख्यालय के दायरे में शामिल कर पहल की जाए तो राजेन्द्रग्राम को मुख्यालय का दर्जा मिल सकता है। लेकिन अभी तक किसी ने इस ओर पहल नहीं की गई।
हीरा सिंह श्याम, अध्यक्ष जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़।
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इस क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि नगरपंचायत या नगरपालिका के अभाव में अबतक विकास के पायदान नहीं चढ़े। सांसद सहित विधायकों का निवास रहने के बावजूद विकासखंड मुख्यालय ग्राम पंचायत के रूप में संचालित हो रही है। यह राजनीतिक लचरता का प्रतीक है।
प्रमोद शुक्ला, स्थानीय निवासी
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अगर नगरपंचायत और नगरपालिका का दर्जा मिला होता तो राजेन्द्रग्राम की तस्वीर कुछ और ही होती, विरासत में मिली पहचान के बावजूद राजनीतिज्ञों ने इसे विकसित करने की पहल ही नहीं की। आज भी आदिवासी परिवार अविकास की धूरी में ***** रहे हैं।
अशोक गुप्ता, स्थानीय व्यवसायी
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हमने इसकी मुहिम आरम्भ की, लेकिन जनप्रतिनिधियों का अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। हालंाकि पूर्व में सीएम ने इसे नगरपंचायत बनाने के प्रस्ताव दिए थे, लेकिन लोगों में भी अनिच्छा रही। नगरपंचायत या नगरपालिका का दर्जा मिलने पर क्षेत्र का विकास अधिक होगा।
एड. संतोष मिश्रा, स्थानीय निवासी

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