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नगरपालिका ने नहीं किया डीजल का भुगतान, 15 दिनों तक नहीं हुआ कचरा संग्रहण का काम

locationअनूपपुरPublished: Mar 12, 2019 07:55:51 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

लाखों की राशि होने पर पेट्रोल पम्प ने डीजल देने से किया इंकार

Nagarpalika did not pay for diesel, waste collection not done for 15 d

नगरपालिका ने नहीं किया डीजल का भुगतान, 15 दिनों तक नहीं हुआ कचरा संग्रहण का काम

अनूपपुर। पिछले 15 दिनों से घरों में संग्रहित हो रही कचरा की सड़ाध से मंगलवार को शहरवासियों ने राहत पाई। मंगलवार की सुबह कचरा संग्रहण के लिए नगरपालिका की चार छोटी वाहनों के साथ साथ तीन अन्य ट्रैक्टर वाहन भी सडक़ों पर दौड़ लगाई। इस दौरान सभी वाहनों ने कई फेरे लगाते हुए शहर के लगभग ५५०० घरों से कचरा संग्रहण करते हुए लोगों को राहत दी। जबकि इससे पूर्व नगरपालिका अनूपपुर की सभी कचरा संग्रहण करने वाली वाहनें डीजल के अभाव में परिसर में खड़ी रही। इस दौरान नगरीय प्रशासन सहित जिला प्रशासन ने भी नगर की बिगड़ती इस व्यवस्था में उदासीनता दिखाते हुए खुद को अलग रखा। जिसमें कचरा संग्रहण नहीं होने से नाराज शहरवासियों ने नगरपालिका कार्यालय पहुंचकर सफाई अधिकारियों सहित अन्य कर्मचारियों को खरीखोटी सुनाई। साथ ही इस सम्बंध में नगरपालिका प्रशासक व पीओ डूडा से शिकायत कर जल्द ही वाहन चलाने की अपील की। बावजूद आश्वासनों में सप्ताहभर से अधिक समय बीत गए। नगरपालिका सूत्रों के अनुसार वाहनों में भराए जाने वाले डीजल का भुगतान पिछले दो माह से सम्बंधित पेट्रोल पम्प संचालक को नहीं किया गया था। जिसमें अधिक राशियों के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए पेट्रोल पम्प संचालक ने डीजल देने से इंकार कर दिया। डीजल की कमी में नगरपालिका की लगभग १२ वाहनें परिसर में बंद हो गई। इस दौरान एकाध ट्रैक्टर वाहन के माध्यम से मुख्य बाजारी क्षेत्र के कचरे का संग्रहण किया गया। लेकिन अन्य छोटी कचरा संग्रहण वाहनें बंद रही। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी वाहनों में खराबी के नाम पर एक सप्ताह से अधिक दिनों तक सभी वाहनों को बंद रखा गया था। इसमें पैसे के भुगतान के अभाव में एक वाहन को शोरूम मालिक ने बाहर नहीं आने दिया। जबकि दूसरी वाहन के खराब गेयरबॉक्स उपकरण होने के बावजूद सडक़ पर दौड़ाया गया। जिसमें चंद दिनों बाद वह भी वाहन खराब होकर परिसर में खड़ी हो गई। इसके अलावा दो अन्य वाहनों को बजट अभाव में सुधार के लिए शोरूम भेजा ही नहीं गया। लेकिन आश्चर्य इसके बाद भी स्वच्छता अभियान पर जोर देने वाले प्रशासनों की नींद नहीं खुलती दिख रही है।
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