पशुओं में फैला नया वायरस , 109 गांवों के 13 सैकड़ा पशु आए चपेट में
अनूपपुरPublished: Aug 12, 2020 08:16:46 pm
पशु विभाग ने किसानों को दी सलाह, लक्षण आधारित करें उपचार, बाहर चरने नहीं भेजे संक्रमित पशु
पशुओं में फैला नया वायरस , 109 गांवों के 13 सैकड़ा पशु आए चपेट में
अनूपपुर। जिले के पशुओं (गौवंश) में नई वायरस ने अपना प्रसार जारी रखते हुए 109 गांवों के 1305 पशुओं को अपनी चपेट में ले लिया है। हालंाकि इस नई वायरस जनित रोग की वास्तविक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन पशु विशेषज्ञ इसे अज्ञात लम्पी स्किन डिसीज (विषाणु जनित) के लक्षणों के आधार पर इलाज जारी रखे हुए हैं। बीमारी की जांच के लिए संभागीय रोग अनुसंधान केन्द्र जबलपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पीके सोलंकी के नेतृत्व में बीमार पशुओं का जांच और सैम्पल लिया गया है। विशेषज्ञ दल द्वारा विकासखंड जैतहरी के पपरोडी, धनगवां, कुकुरगोड़ा, चोलन, पटना कला, पोड़ी तथा अनूपपुर के ग्राम भालूमाडा, पसान, दैखल, पयारी नम्बर 1, मुड़धोवा तथा कोतमा गोविंदा कॉलरी, बरगवां, पिपरिया तथा पुष्पराजगढ़ के कोहका, बेलडोंगरी, में गौवंशज पशुओं का रक्त सीरम, रक्तपट्टिका, नोजलस्वाब, नायडूल्स के स्लाईड्स नमूने एकत्र किए हैं। डॉ. सोलंकी ने बताया कि यह एक नई बीमारी है। जिसके लक्षण पिछले वर्ष इन्हीं माह में उड़ीसा प्रदेश में देखी गई थी। जिसकी पहचान लम्पी स्किन डिसीज के नाम पर हुई थी, जो एक प्रकार का विषाणुजनित वायरस से फैलती है। यह वायरस कैप्री पोक्स परिवार का होता है। बीमार पशु को चरने न जाने दें एवं स्थानीय चिकित्सकों से लक्षण के आधार पर एंटीबायोटिक, एन्टीहिस्टेमिनिक, एन्टीपायरेटिक एवं मल्टीविटामिन की दवा दिलवाकर उपचार करवाए। साथ ही फटे हुए नाडूल्स के घाव को एंटीसेप्टिक कीम, स्प्रे से प्रतिदिन ड्रेसिंग कराएं। विदित हो कि पशुओं में पिछले एक सप्ताह के दौरान इस प्रकार की बीमारी के लक्षण सामने आए थे। जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने विभाग से जांच कराने के निर्देश दिए थे।
बॉक्स: कहां कितने मवेशी प्रभावित
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले के विकासखंड जैतहरी के 58 गांव, अनूपपुर के 34 गांव, कोतमा के 16 गांव एवं पुष्पराजगढ़ के 1 गांव सहित कुल 109 गांवों में1305 पशुओं में यह संक्रमण पाया गया है। जिसकी संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। इस सक्रमण में गौवंशज पशुओं के शरीर में छोटे-बड़े नाड्यूल्स तथा शरीर के लिम्फ नोड्स में सूजन और अगले पैरों में सोल्डरज्वाइंट के पास दर्दयुक्त सूजन होता है। इसमें लंगड़ाना तथा नाक से पीले रंग का स्त्राव के साथ शरीर का तापमान 104 से 105 डिग्री सेल्सियस बना रहता है। साथ ही कुछ मामलों में शरीर के नाड्यूल्स पककर फूटने के कारण घाव का रूप ले रहे हैं। हालांकि अब तक इस बीमारी के कारण पशुओं की मृत्यु की घटना सामने नही आई है। डॉ. चौहान ने बताया कि पशुओं में ऐसे लक्षण आने पर पशु विभाग व संजीवनी हेल्पलाइन 1962 में जानकारी दें। साथ ही संक्रमित पशुओं को बाहर चरने न भेजें।
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