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सोननदी पुल का नहीं बना प्रस्तावित इस्टीमेट, इस वर्ष भी पुल निर्माण अटका

locationअनूपपुरPublished: Aug 11, 2019 03:19:01 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

बेस और पिलरों में पड़ी दरार, चार साल पूर्व से मरम्मत के लिए प्रस्ताव की चल रही थी तैयारी

No proposed construction of Sonnadi bridge, bridge construction stuck

सोननदी पुल का नहीं बना प्रस्तावित इस्टीमेट, इस वर्ष भी पुल निर्माण अटका

अनूपपुर। पुल निर्माण विभाग शहडोल के अधिकारियों की अनेदखी में सोननदी पुल के निर्माण के लिए प्रस्तावित योजनाएं इस वर्ष भी शासन के पास नहीं पहुंच पाई है। पुल निर्माण के लिए विभाग ने न तो इस्टीमेट तैयार किया और ना ही शासन को भेजें। जबकि अनूपपुर की ही दूसरी तिपाननदी पुल का इस्टीमेट शासन के पास पहुंचकर निर्माण के लिए भी स्वीकृत हो गया है। लेकिन सोननदी पुल पर अधिकारियों ने गम्भीरता नहीं दिखाई। जिसके कारण अनूपपुर-कोतमा को जोडऩे वाली जिला मुख्यालय अनूपपुर की सोननदी के उपर बना पुल अब मेंटनेंस के अभाव में ५० वर्ष की अवधि में खतरनाक हो गया है। ७५-८० मीटर लम्बी पुल के बेस में जगह जगह सरिया उधडक़र दरारों में तब्दील हो गई है। पुल के उपर डामर उधड़ गई है, वहीं बेस पर जगह जगह दरारे उभर आई है। रेलिंग की लोहे की पिलर एवं पाईप जगह जगह टूटकर धराशायी हो रहे हैं। अनदेखी का आलम यह है कि पुल के लिए ढलाई की गई निचली बेस की परत भी अब टूटकर नदी में गिर रही है। हालांकि तकनीकि आंकड़ों में किसी भी पुल की औसत आयु १०० साल माना जाता है। लेकिन सोननदी पुल का निर्माण के बाद अबतक कभी मेंटनेंस नहीं किया गया। बताया जाता है कि लोक निर्माण (भवन तथा पथ) विभाग द्वारा २८ जनवरी १९६९ में तत्कालीन शहडोल जिला अंतर्गत अनूपपुर तहसील से गुजर रही सोननदी के उपर पुल का निर्माण कराया था। जिसका उद्घाटन तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह द्वारा किया गया था। उद्घाटन के बाद अनूपपुर कोतमा को एक सूत्र में बांधा गया, लेकिन निर्माण के ५० वर्ष बाद आजतक पुल के मरम्मत के लिए सम्बंधित विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए। यहां तक इस दौरान पुल पर गुजरते वाहन द्वारा अनेकों बार पिलरों को ठोकर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया। लोहे की पाईपों में ठोकर से औंधे-पौंने आड़े-तिरछी लगी हुई है। लेकिन उसे दुरूस्त कराने विभाग द्वारा जहमत नहीं उठाई गई है। पुल निगम शहडोल के अनुसार चार साल पूर्व इसके मेंटनेंश के लिए भोपाल को पत्राचार कर मेंटनेंश की अपील की गई थी। इसमें फिर से पुल निगम को इस्टीमेंट भेजा जाना था। पुल निगम के अनुसार अनूपपुर के लिए ८ योजनाओं पर प्रस्ताव भेजे गए थे, लेकिन सोननदी का प्रस्ताव नहीं भेजा जा सका। खुद पुल निगम मानती है कि अगर पुल का मेंटनेंश नहीं हुआ तो जल्द ही पुल धराशयी हो जाएगी। निगम के अनुसार पुल की बेस जर्जर हो चुकी है, वहीं पिलरों में भी जगह जगह दरार जैसी रेखाएं उभडने लगी है।
बॉक्स: क्षतिग्रस्त पिलर दे रहे हादसों को निमंत्रण
पुल निर्माण के दौरान उसकी रेलिंग के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सीमेंट की ढलाई वाली पिलर की जगह लोहे की पिलर लगाई गई थी। जिसकी पकड़ के लिए नीचे ढाल किया गया था। लेकिन वाहनों की ठोकर के बाद यह पकड़ की ढाल अब क्षतिग्रस्त होकर पुल से अटकी पड़ी है, जो कभी भी किसी के छूने या पकडऩे के दौरान टूटकर नदी में गिर सकती है। इसके अलावा कभी हादसे के दौरान कोई भी वाहन पुल पर सुरक्षित थोड़ी बहुत रूकने के बजाय सीधे नदी में जा समाएगी।
वर्सन:
सोननदी पुल के लिए प्रस्ताव भेजा जाना था, लेकिन इस वर्ष नहीं भेजा गया है। ८ अन्य परियोजनाओं को शासन द्वारा मंजूरी मिल गई है। अगर सोननदी पुल का भी प्रस्ताव भेजा जाता तो सम्भव था कि स्वीकृति मिल जाती।
गोपीकृष्ण चतुर्वेदी, पूर्व एसडीओ पुल निगम शहडोल।
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