अब पिलर भी छोड़ रहे पुल का साथ, हादसा रोकने तैनात नहीं कोई जिम्मेदार
अनूपपुरPublished: Oct 15, 2019 08:26:04 pm
हादसे के इंतजार में बैठा प्रशासन, 40 फीट की लम्बाई में पड़ी दरार से कभी हो जाएगा धराशायी पुल
अब पिलर भी छोड़ रहे पुल का साथ, हादसा रोकने तैनात नहीं कोई जिम्मेदार
अनूपपुर। जिला मुख्यालय अनूपपुर के सामतपुर से हर्री-बर्री गांव सहित फुनगा तक के दर्जनों गांव को जोडऩे वाली तिपान नदी पर बनी ६० मीटर लम्बी पुल का ४० फीट हिस्सा अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर नदीतल में बैठ गया है। इसमें पुल के ८ खम्भों सहित नीचे की बेस ने पुल का बिल्कुल साथ छोड़ दिया है। खम्भों के नीचे और उपरी हिस्से बड़ी दरारों में तब्दील होकर पूरी तरह से गिरने को आतुर है, एक-दूसरे पर टिकी है। जहां नीचे से नदी के तेज बहाव में धीरे-धीरे रेत के कटाव होने से एकाध दिनों में यह पुल कभी भी धराशायी होकर नदी में समा जाएगा। कभी सपाट दिखने वाली पुल वर्तमान मे ंवी सेप की दिखाई दे रही है। बावजूद इतनी बड़ी घटना के बाद भी जिला प्रशासन सुरक्षा को लेकर गम्भीर नहीं है। क्षतिग्रस्त पुल से ग्रामीणों व वाहनों की आवाजाही अब भी बनी हुई है। ७ अक्टूबर को पुल के क्षतिग्रस्त होने तथा ८ अक्टूबर को पत्रिका में छपी खबर के बाद जिला प्रशासन ने आनन फानन में एसडीएम अनूपपुर को पुल पर आवाजाही बंद करने के निर्देश दिए थे। जिसमें एसडीएम ने कागजी आदेश जारी कर ६ विभागा प्रमुखों को कार्रवाई व जन प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपते हुए २ माह तक आदेशों के तामिली के आदेश जारी करते हुए पुल पर आवाजाही बिल्कुल बंद करने तथा आदेशों के उल्लंधन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए थे। लेकिन आश्चर्य आदेश के सात दिनों बाद भी क्षतिग्रस्त पुल पर वाहनों के साथ पैदल ग्रामीणों की आवाजाही बनी हुई है। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई कि एसडीएम के कागजी आदेश के बाद यहां इस क्षतिग्रस्त पुल को देखने अबतक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने मौके पर पहुंच निरीक्षण करना उचित नहीं समझा। पुलिस के लगाए बेरिकेट को भी पुलिस व अधिकारियों की अनुपस्थिति में ग्रामीणों ने आसपास फेंक दिया है। जिसके कारण अब यहां सुरक्षा जैसी कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है। जबकि रोजाना सुबह-शाम वाहनों की बहुतायात आवाजाही होती है। जिला मुख्यालय से बाजार और नौकरीपेशा करने वाले लोग सहित व्यापारी यहां से गुुजरते हैं। वाहन व ग्रामीण बेरोक-टोक बेधडक़ पुल पर आवाजाही कर रहे हैं, जिन्हें रोकने वहां कोई जिम्मेदारी अधिकारी मौजूद नहीं है। मानों जिला प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठी है। लेकिन प्रशासन खुद यह नहीं समझ रही है कि इस हादसे का जिम्मेदार ैकौन होगा। विदित हो कि जलसंसाधन विभाग द्वारा वर्ष २००९ में १ करोड़ २७ लाख की लागत से निर्मित ७ अक्टूबर की दोपहर ८ खम्भों सहित पुल का लगभग ४० फीट हिस्सा दरारों में तब्दील होकर १ फीट नीचे बैठ गया था। इसके बाद नदी की तेज बहाव में पुल लगातार नीचे ही धंसकता हुआ अब ५ फीट से अधिक धंसक गया है। ९ अक्टूबर को पुल के ८ खम्भे वी सेप में टेढी होकर पूरी तरह धंसक गर्ई थी। यह पुल सामतपुर वार्ड जिला मुख्यालय से फुनगा तक शॉटकट होने के कारण हर्री, बर्री, भगताबांध, पसला, बिजौड़ी, चातरहिया, रक्शा, कोलमी, अमगंवा, छुलकारी से लेकर फुनगा तक जुड़ी है।
बॉक्स: सात दिनों बाद भी जांच में नहीं पहुंचे अधिकारी
एसडीएम द्वारा जारी आदेश में जलसंसाधन विभाग जैतहरी को क्षतिग्रस्त पुल के दोनों ओर बेरिकेटिंग कर मार्ग को अवरूद्ध करते हुए वाहनों की आवाजाही बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही दोनों छोर पर सूचना प्रदर्शित करने को कहा गया। जबकि कोतवाली थाना प्रभारी को जवानों को तैनात कर निर्देश के पालन कहे गए हैं। वहीं आरटीओ को आदेश के उल्लंधन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने, तहसीलदार एवं सम्बंधित अधिकारियों को आदेश के प्रचार प्रसार, सीईओ जैतहरी को क्षेत्र के सचिव और रोजगार सहायक के माध्यम से सुबह शाम मुनादी के माध्यम से जानकारी देने को कहा गया। वहीं नगरपालिका अनूपपुर को निर्देशों के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही कहा गया कि यह आदेश आगामी २ माह तक प्रभावी रहेगी। लेकिन आश्चर्य पुल की सुरक्षा में कोई भी अधिकारी मैदान में नहंी उतरे, नहीं कोई सूचना प्रसार किया गया।
वर्सन:
इस सम्बंध में तत्काल अधिकारियों से जानकारी लेकर वहां सुरक्षा की व्यवस्था बनवाता हूं। क्षतिग्रस्त पुल होने के कारण आवाजाही बंद करवाई गई थी। लेकिन आवाजाही हो रही है तो खतरनाक है।
अमन मिश्रा, एसडीएम अनूपपुर।