परिसर में क्यों शरण दिए रहे
इस मौके पर कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने विश्वविद्यालय प्रशासन को छोटी बात की अनदेखी से तनावपूर्ण स्थिति बनाने के लिए जमकर फटकार लगाई। उनका कहना था कि जब पूर्व में ही मामले की जानकारी मिली थी तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने क्यों नहीं समाधान किया। घटना के बाद भी पुलिस पदाधिकारियों को परिसर से बाहर निकालने की बजाय परिसर में क्यों शरण दिए रहे। अगर इस दौरान पुलिस पदाधिकारियों या छात्रों के साथ किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होती तो इसका जिम्मेदार कौन होता। जब शाम को पुलिस पदाधिकारियों ने परिसर में मारपीट की तो इसकी जानकारी भी पुलिस को क्यों नहीं दी। सहित अन्य बातों पर लापरवाही बरतने का बात कहते हुए आगे से सावधानी बरतने के निर्देश दिए।
लड़कों के बीच हुई थी हाथापाई
कलेक्टर की जानकारी के अनुसार आरआई पुलिस उमरिया की पुत्री का छात्रावास में बिजली बल्व जलाने व बुझाने की बात पर अपने सहपाठी छात्रा से विवाद हुआ था। लेकिन इसके इस विवाद में उनके सहपाठी लड़को ने दोनों पक्षों के बीच हस्ताक्षेप कर बात को बढ़ा दिया। लड़कों के बीच इस मामले में हाथापाई भी हुई थी। इसी प्रकरण में पुत्री की शिकायत पर उमरिया पुलिस पदाधिकारी परिसर पहुंचे थे। जहां पुत्री के सहपाठी के पक्ष से विवाद में शामिल रहे छात्रों के साथ विवाद को जन्म दिया। फिलहाल विश्वविद्यालय में शांति का माहौल है और पुलिस सम्बंधित पुलिस स्टाफों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर रही है। विदित हो कि 31 अगस्त की शाम 5 बजे उमरिया पुलिस आरआई सुरेश अग्निहोत्री सहित कुछ अन्य स्टाफों ने विश्वविद्यालय परिसर में तीन छात्रों के साथ मारपीट की थी। जिसमें तीनों छात्र घायल हुए थे। इस घटना के बाद पूरे परिसर में तनाव का माहौल बन गया और छात्र-छात्राएं पुलिस की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए विरोध प्रदर्शन करते हंगामा मचाया था। कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर के तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए रात 12 बजे पुलिस अधीक्षक के साथ छात्रों को समझाने का प्रयास किया गया। छात्र कार्रवाई की मांग कर रहे थे, जिसपर पुलिस अधीक्षक ने उमरिया एसपी द्वारा किए गए निलम्बन की कार्रवाई कागजात को दिखाकर उन्हें आश्वास्त किया। परिसर में फिलहाल माहौल शांतिपूर्ण बना है।