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अस्पताल में मात्र 8 यूनिट खून, 15 दिनों से सिकलसेल और थैलीसिमिया के मरीजों को नहीं मिला ब्लड

locationअनूपपुरPublished: Feb 14, 2020 08:03:34 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

दो माह से रक्तदान शिविर का नहीं हुआ आयोजन, संशय में प्रसव प्रसूताएं व अन्य मरीज

Only 8 units of blood in the hospital, sicklecell and thalassemia pati

अस्पताल में मात्र 8 यूनिट खून, 15 दिनों से सिकलसेल और थैलीसिमिया के मरीजों को नहीं मिला ब्लड

अनूपपुर। जिला अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। पिछले १५ दिनों से सिकलसेल और थैलीसिमिया से पीडि़त मरीजों को रक्त की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। रक्त की आवश्यकता में अस्पताल आने वाले मरीज निराश होकर वापस लौट रहे हैं। अस्पताल के ३०० यूनिट वाले ब्लड बैंक में मात्र ८ यूनिट खून उपलब्ध है, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पुष्पराजगढ़ में २५ यूनिट की जगह एक भी यूनिट ब्लड की व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में ब्लड बैंक में जो ग्रूप उपलब्ध हैं ये ऐसे ग्रूप के ब्लड हैं जिसके मरीज नाममात्र हैं। जिसके कारण सडक़ हादसे से लेकर सिजेरियन प्रसव के लिए अस्पताल आने वाली माताओं को रक्त की कमी में अनूपपुर के बजाय शहडोल की ओर रेफर किया जा रहा है। इसमें मरीजों के साथ साथ परिजनों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में सिकलसेल के लगभग ३ हजार मरीज तथा थैलीसिमिया के २० से अधिक मरीज है। लेकिन दूसरी ओर जिला अस्पताल प्रशासन इन परेशानियों के प्रति गम्भीर नहीं दिख रहा है। शासन की नजरों में अनूपपुर कुपोषित जिलों में शामिल है तथा यहां रक्त अल्पता के शिकार मरीजों की संख्या सर्वाधिक है। अनूपपुर जिला अस्पताल में मात्र ८ यूनिट खून शेष है, तथा पुष्पराजगढ़ और कोतमा सीएचसी में एक भी यूनिट ब्लड नहीं है। उपलब्ध ब्लड ग्रूपों में ए पॉजिटिव १ यूनिट, बी पॉजिटिव ३ यूनिट, ए निगेटिव ० यूनिट, बी निगेटिव २ यूनिट, ओ पोजिटिव १ यूनिट, एबी पॉजिटिव १ यूनिट, एबी निगेटिव ० यूनिट, ओ निगेटिव ० यूनिट है। जिला अस्पताल लैब की जानकारी के अनुसार मदर ब्लड बैंक में ३०० यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य है। हालंाकि इसे ३२५ यूनिट तक रखने की क्षमता में स्थापित किया गया है। इसमें प्रतिमाह जिला अस्पताल को १५०-२०० यूनिट की आवश्यकता होती है। इनमें सर्वाधिक ग्रूप ओ पोजिटिव लगभग ६०-७५ यूनिट तथा सबसे कम एबी पॉजिटिव १०-१२ यूनिट खर्च होती है। लेकिन पिछले ३ माह से ब्लड बैंक में नाममात्र में विभिन्न ग्रूपों के ब्लड शेष बचे हैं। सूत्रों की जानकारी में ब्लड डोनेट के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनवरी से दिसम्बर माह तक ८ शिविर लगाए गए हैं। लेकिन यहां से लगभग ४५० यूनिट ब्लड की उपलब्धता हो सकी है। जबकि ब्लड बैंक में १०० यूनिट ब्लड रखना अनिवार्य किया है।
जिला अस्पताल की जानकारी के अनुसार जिले में प्रतिदिन १०-१५ छोटे-बड़े सडक़ हादसे होते हैं। इनमें आधा दर्जन केसेज गम्भीर होते हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में रोजाना १२-१३ माताएं प्रसव के लिए भी भर्ती होती है, जिनमें ५-७ प्रसव ऑपरेशन के द्वारा कराया जाता है। लेकिन इन ऑपरेशन में पूर्व से कुपोषित माताओं के कारण रक्त की अधिक मात्रा की आवश्कता पड़ती है। जिसमें वर्तमान में रक्त कमी के कारण इन्हें शहडोल रेफर कर दिया जाता है। वहीं पिछले १५ दिनों से अस्पताल में नामात्र के ८-१० यूनिट ब्लड की उपलब्धता बने रहने के कारण सिकलसेल और थैलीसिमिया जैसे मरीजों को रक्त की उपलब्धता नहीं कराई जा रही है। वहीं गम्भीर बीमारियों के मरीजों को भी रक्त के बदल रक्त जैसी व्यवस्था से ही खून की उपलब्धता कराई जा रही है।
बॉक्स: दो माह से नहीं आयोजित हुए रक्तदान शिविर
एसईसीएल की १८ कोल खदान सहित हिन्दुस्तान पावर प्लांट जैसे संस्थानों के बाद भी जिला अस्पताल प्रशासन रक्तदान शिविर के लिए गम्भीर नहीं है। अक्टूबर २०१९ में दो और दिसम्बर २०१९ में एक शिविर आयोजन के उपरांत एक भी रक्तदान शिविर का आयोजन नहीं हो सका है। दिसम्बर में आईटीआई कॉलेज अनूपपुर, और अक्टूबर में मोजरबेयर पावर प्लांट और शारदा कन्या पीठ पोंडकी परिसर में रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ था। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी आमजनों को अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने या अन्य से कराने कोई जागरूकता कार्यक्रम नहीं आयोजित करवा रही है। जिसके कारण ग्रामीणों में आज भी रक्तदान को लेकर अनेक भ्रांतियां बनी हुई हैं और अस्पताल में अपने परिजनों के लिए रक्तदान करने से मनाही कर रहे हैं।
वर्सन:
जल्द ही रक्तदान शिविर का आयोजन कराया जाएगा। अस्पताल में भी रक्तदाता अधिक संख्या में सामने नहीं आ रहे हैं। जिसके कारण ब्लडबैंक में खून की कमी बन गई है।
डॉ. आरपी श्रीवास्तव, प्रभारी ब्लडबैंक जिला अस्पताल अनूपपुर।
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