अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में अध्ययनरत छात्रों के द्वारा मशरूम की प्रायोगिक खेती करते हुए स्थानीय किसानों को भी लाभांवित करने के उद्देश्य से उन्हें प्रशिक्षित कर रहे हैं। बताया जाता है कि लालपुर में ओस्टर मशरुम के 550 बैग के इस यूनिट में प्रतिदिन उत्पादन क्षमता 12 से 20 किलो तक है। जिसे मैकल जैविक मशरुम नाम दिया गया है। आगामी दिनों में मशरुम उत्पादन की इकाईयां पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के विभिन्न गावों में स्थापित करने की भी कार्य योजना है। बॉक्स: ग्रामीणों को भी देंगे प्रशिक्षणविश्वविद्यालय के छात्र विकास चंदेल ने बताया की वर्तमान में ओस्टर तथा मिल्क मशरुम का उत्पादन किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य क्षेत्र में रोजगार तथा उन्नत खेती के नए अवसर उत्पन्न करना है। जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कृषि विकास केन्द्र के सहयोग से आगामी दिनों में विभिन्न कृषि उत्पादों पर कार्य करने की भी योजना बनाई गई है, जहां स्थानीय किसानों को इसका प्रशिक्षण देते हुए खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। छात्र का कहना है कि कवक से बना एक मांसल बीजाणु-युक्त फलने वाला पिंड है जो जमीन के ऊपर पैदा होता है और भोजन का अच्छा स्रोत है। मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। मशरूम एंटी-ऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, विटामिन डी, सेलेनियम और जिंक से भरपूर होता है और इसका इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए भी किया जाता है। मशरूम में मौजूद पौषक तत्व शरीर को कई खतरनाक बीमारियों से बचा कर रखते है। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है। [typography_font:18pt;” >——————————————–