एक सप्ताह बाद भी अधिग्रहित जमीन अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो सकी
वहीं अब सड़क के दूसरी छोर 13 एकड़ की प्लाट पर ईंट-सीमेंट की पक्की दीवार तनने आरम्भ हो गई है। शासकीय भूमि पर कब्जे को लेकर पत्रिका ने 9 जुलाई को खबर प्रकाशित कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था, जिसमें अनुविभागीय राजस्व अधिकारी ने भोपाल से वापसी के उपरांत मामले की जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन आश्चर्य एक सप्ताह बाद भी शासन की अधिग्रहित जमीन अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो सकी। जबकि खबर के बाद भी जिला प्रशासन की बेसुधगी बनी हुई है। प्रशासन की उदासीनता में भू-माफिया व अन्य द्वारा दिनोंदिन जमीन पर अपना कब्जा जमाया जा रहा है।
सिर्फ कागजों में निर्माण की प्रक्रिया चल रही है
जिला अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अबतक जिला अस्पताल भवन के लिए सिर्फ कागजों में ही निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। हाल के दिनों में जिला प्रशासन और विधायक अनूपपुर द्वारा अस्पताल परिसर एरिया में ही नए भवन बनाने के प्रस्ताव शासन को भेजें हैं। लेकिन वर्तमान जिला अस्पताल की जमीन भविष्य की आधुनिक जिला अस्पताल की मानकों के अनुरूप अपर्याप्त है। यहां भवन तो बन जाएगें, अन्य व्यवस्थाएं जैसे पार्किंग, आवासीय पसिसर, रैन बसेरा सहित अन्य विभागीय व्यवस्थाओं की कमी रह जाएगी। जबकि जिला अस्पताल के लिए चंदास नदी अमरकंटक मार्ग पर शासन द्वारा पूर्व में अधिग्रहित भूमि अधिक होने के कारण व्यवस्थाओं के लिए बेहतर साबित होता। इससे पूर्व भी जिला अस्पताल परिसर में ही नए भवन निर्माण की कागजी कार्रवाई हुई। इसके बाद सीएमएचओ कार्यालय स्थित अधिग्रहित भूमि पर भवन निर्माण के प्रस्ताव पर सहमति बनी। यहां किसानों के विवाद को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर पी अनुग्रह ने तिपान नदी स्थित 20 एकड़ जमीन पर जिला अस्पताल भवन के प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। लेकिन पिछले 10 सालों में इन सभी स्थानों मेंं किसी भी स्थान पर अबतक जिला अस्पताल भवन का निर्माण नहीं सम्भव हो सका है।
करीब 17 एकड़ जमीन का रकबा फैला हुआ है
बताया जाता है कि अनूपपुर-अमरकंटक मार्ग के दोनों हिस्सों में लगभग 17 एकड़ जमीन का रकबा फैला हुआ है। इसमें एक के एक छोर पर 2.20 डिसमिल जमीन तो दूसरी ओर शेष भूमि है। इसमें भूमि खसरा नम्बर 36/7/ क/3 वं 36/7/क/4 रकबा 0.445 हेक्टेयर एवं 0.445 हेक्टेक्टर वाले हिस्से जहां शासन की 2.20 डिसमिल जमीन है पर भू-माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है। अब दूसरी छोर लगभग 14 एकड़ की जमीन पर पक्के भवन का निर्माण जारी है। वर्ष 2008 में 45 किसानों से 7.522 हेक्टेयर(लगभग 17 एकड़) भू-अर्जन किया गया था। यह भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 4 के तहत 11 जनवरी 2008 को अधिसूचना जारी कर 15 जनवरी 2008 को पूरी की गई थी। लेकिन शासन द्वारा तत्कालीन दर पर आवंटित कराई गई मुआवजा राशि से भू-स्वामी नाखुश हुए और प्रशासन और भू-स्वामी के बीच मुआवजा को लेकर विवाद हो गया था। संभागायुक्त आरबी प्रजापति ने कहा कि इस सम्बंध में मुझे जानकारी नहीं है। बिना अनुमति वहां निर्माण कार्य कैसे आरम्भ हो गए, मैं मामले की जानकारी लेकर तत्काल कार्रवाई करवाता हूं।