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अक्षय तृतीया के मौक पर जमकर हुई खरीदी, माटी के गड्डो व गुडिय़ों की हुई विकवाली

locationअनूपपुरPublished: May 07, 2019 01:06:08 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

बर्तनों से लेकर श्रृगांर दुकानों पर लगा रहा महिलाओं का तांता, आज होगी गुड्डो-गुडिय़ों की शादी

Purchased on the occasion of Akshaya Tritiya, the sale of gaddo and gu

अक्षय तृतीया के मौक पर जमकर हुई खरीदी, माटी के गड्डो व गुडिय़ों की हुई विकवाली

अनूपपुर। वैशाख माह के शुल्क पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले अक्षय तृतीया या आखा तीज के साथ परशुराम जयंती के मौके पर शहर की गली मुहल्लों से लेकर बाजार की गलियों में खुशी का माहौल बना हुआ है। स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया था। सौभाग्यवती स्त्रियां और कुवांरी कन्याएं इस दिन गौरी पूजा करके मिठाई फल और भींगे हुए चने बांटती हैं तथा गौरी-पार्वती की पूजा करके धातु या मिट्टी के कलश में जल, फल, फूल, तिल व अन्न लेकर दान करती हैं। ७ मई को जिलेभर में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है, जहां तृतीया से पूर्व सोमवार को ३८ डिग्री तापमान में झुलसा देने वाली गर्मी के बाद भी महिलाओं ने पर्व की तैयारियों में सुबह से खरीदी की। अक्षय तृतीया के शुभ वैवाहिक मुहूर्त होने के कारण विवाह सम्बंधी खरीदारी करने वाले सैकड़ो परिजन भी खरीदारी से अछूते नहीं रहे। इस मौके पर शहर के बाजार के अधिकांश गहनो से लेकर बर्तनों की दुकानों पर खरीददारों की भीड़ जुटी रहीं। माना जाता है कि जिलेभर में लगभग २०० अधिक परिवारिक विवाहिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं। जिसमें उपहार स्वरूप की गई खरीदारियों में ऑटोमोबाईल्स, कपड़े, मोबाईल्स सहित बर्तन व ज्वैलरी की खरीदारी जमकर हुई। इन समस्त व्यापार में लगभग ५० लाख से अधिक का कारोबार होने की सम्भावना जताई गई है। अक्षय तृतीया या आखा तीजा के मौके पर विभिन्न रंगों की चूडिय़ों से श्रृगांर की दुकानें सजी थी, पीतल व कांसे बर्तन के खरीदार अपनी जरूरत के अनुसार बर्तन खरीदे। महिलाओं का रूझान सौन्दर्य प्रसाधनों पर जमा रहा जहां महिलाएं अपने लिए चुडिय़ां, नेल पॉलिस, मेहंदी सहित अन्य जरूरत की चीजों को खरीदी की। गौरतलब है कि अक्षय तृतीया को सबसे शुभ व मंगलमय दिन माना जाता है। अधिकांश लोग इसी दिन गहनों से लेकर नए बर्तन या अन्य घरेलू सामानों की खरीदारी करना पसन्द करते है। उनका मानना है कि इस दिन की खरीदारी से घर में घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है अर्थात घरोंं में कोई बाधा नहीं आती है। इसी दिन ब्राम्हण समाज में परशुराम जयंती मनाने की परम्परा है। दोनों ही शुभ मुहूर्त होने के कारण इस दिन वैवाहिक स्थितियां शुभ मानी जाती है। पौराणिक परम्परा के अनुसार गांवों में किशोरियां माटी के गड्डो व गुडिय़ों को वैवाहिक रस्मों की तरह शादी रचाने का खेल भी करती है। जहां बच्चों की टोलिया विधि पूर्वक विवाह करेगी। जिसमें छुलहा के मंडप बनाकर चना दाल व पूडी का विशेष पकवान बनेंगे।

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