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रावण दहन: करोड़ों का कारोबार कोरोना संकट में बेजार, सैकड़ो अस्थायी मजदूरों को नहीं मिला काम

locationअनूपपुरPublished: Oct 24, 2020 09:27:33 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

एक माह पूर्व से रावण के पुतले बनाने की होती थी तैयारी, इस बार रावण दहन लेकर असमंजस्य में आयोजक

Ravana Dahan: Business worth crores was lost in corona crisis, hundred

रावण दहन: करोड़ों का कारोबार कोरोना संकट में बेजार, सैकड़ो अस्थायी मजदूरों को नहीं मिला काम

अनूपपुर। जिले में पिछले वर्ष विजयादशमी के अवसर पर असत्य पर सत्य का प्रतीक, अधर्म पर धर्म का प्रतीक और बुराई पर अच्छाई का प्रतीक रावण की २० स्थानों पर दहन का कार्यक्रम आयोजित हुए थे। जिसमें करोड़ो रूपए का कारोबार और सैकड़ों मजूदरों को अस्थायी रूप में रोजगार प्राप्त हुए थे। विजयादशमी या उसके अगले दिन आयोजित होने वाले रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मेले जैसे माहौल में सैकड़ो असंगिठत छोटे कारोबारियों खासकर चाट-फुलकी, झाल मूढ़ी, चनाजोर गरम, कुल्फी सहित चाय नाश्ता और पान दुकानों को भी सीधा लाभ मिलता था। जहां लोगों को रोजगार के साथ साथ आमदनी के स्त्रोत और मेले के जश्न में एकाध दिनों की बढोत्तरी हो जाया करती थी। इस बार कोरोना संक्रमण में यह कारोबार बेजार हो गया है। कोरोना संक्रमण में सुरक्षा गाइडलाइन के कारण लगभग सभी स्थानों पर रावण दहन जैसी परम्परा को रोक दिया गया है। जहां कुछ आयोजकों को अनुमति भी दी जा रही है, वहां दर्शकों की संख्या निर्धारित करते हुए प्रतीकात्मक रावण दहन का स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। इससे प्रतिवर्ष रावण बनाने वाले कारीगरों के साथ उनके साथ काम करने वाले मजदूरों में निराशा का माहौल बना हुआ है। उनका कहना है कि साल में एक बार रावण दहन जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं, इसे देखने खासकर ग्रामीण अंचलों से हजारों की भीड़ उमड़ती थी। खुद भी अपने द्वारा बनाए गए रावण के पुतलों को देखकर यह खुशी होती थी कि हमने बेहतर बनाया। अगली बार इससे और बेहतर बनाएंगे। लेकिन इस बार कहीं से कोई काम नहंी आए। मजदूरो को कहीं माहभर तो कहीं सप्ताह भर मिलने वाला काम भी नहीं मिल सका। पुलिस विभाग की जानकारी के अनुसार अबतक जिले के ४ स्थानों से रावण दहन के लिए अनुमति मांगी गई है। कोतमा, राजनगर, रामनगर, बिजुरी, अमरकंटक, राजेन्द्रग्राम के ग्रामीण अंचल सहित अन्य स्थानों से रावण दहन अनुमति के लिए कोई आवेदन नहीं आए हैं। माना जाता है कि इस प्रकार कोरोना के कारण दर्शकों की भीड़ भी कम ही जुट पाएगी। प्रशासन ने पूर्व से ही पूजा पंडालों में संख्या कम रखी है।
वर्सन:
अनूपपुर में वह पिछले चार वर्षो से रावण का पुतला बना रहे हैं। लगभग ७० हजार का पुतला बनता था। इसमें आधा दर्जन मजदूरों को एक सप्ताह तक काम मिलता था। यहां ३५ फीट उंचा रावण बनता है। इसलिए एक सप्ताह दिन-रात मेहनत कर बना लिया जाता था। लेकिन इस बार यह फीका नजर आ रहा है। पुतला बनाने का कार्य तो मिला है, लेकिन कम मजदूर से काम ले रहे हैं। दर्शकों की भीड़ भी कम ही पहुंचेगी।
मोहम्मद ताज, पुतला निर्माता अनूपपुर।
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बिजुरी में विभिन्न प्रदेशों के निवासी यहां बसते हैं, जिसके कारण यहां रावण दहन को लेकर विशेष उत्साह का माहौल बना रहता है। १० दिन पूर्व से पुतला बनाने का कार्य आरम्भ होता था। बांस, कागज, पैरा सहित पटाखों की खरीदी कर रावण का पुतला तैयार किया जाता था, आधा दर्जन से अधिक मजदूरों को रोजाना काम मिलता था। धार्मिक आयोजन के कारण मजदूरों में भी उत्साहभरा रहता था। लेकिन इस बार पुतला बनाने का आर्डर नहीं आया है। मजदूरों में निराशा है। प्रतिमाओं में भी घाटा हो गया है। परिवारिक भरण पोषण को लेकर चिंता बनी हुई है।
जगदीश केवट, पुतला निर्माता, बिजुरी।
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