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अनूपपुर

जिम्मेदारियां तय, मॉनीटरिंग से परहेज: जिले की एनआरसी केन्द्र जांच के लिए नहीं पहुंचे अधिकारी

एसडीएम सहित स्वास्थ्य और महिला बाल विकास को सौंपी गई जिम्मेदारी, केन्द्रों का नहीं हुआ निरीक्षण

अनूपपुरMay 11, 2019 / 12:14 pm

Rajan Kumar Gupta

Responsibility to decide, avoiding monitoring: NRC center of the distr

जिम्मेदारियां तय, मॉनीटरिंग से परहेज: जिले की एनआरसी केन्द्र जांच के लिए नहीं पहुंचे अधिकारी

अनूपपुर। अनूपपुर जिले में कुपोषण के साए में लिपटे १०३९१ कुपोषित व ७७० अतिकुपोषित बच्चों की पत्रिका की लगातार खबर पर कलेक्टर ने गम्भीरता दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग को जमकर फटकार लगाते हुए मैदानी अमले को कुपोषण के प्रकरणों पर नजर रखने तथा जिम्मेदार अधिकारियों को मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए थे। साथ ही कलेक्टर ने कुपोषण प्रकरण में दोनों विभागों की कार्य प्रगति पर असंतोष जताते हुए कार्यप्रणाली में परिवर्तन के निर्देश दिए। यहीं नहीं क्षेत्राधिकार में आने वाले अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को क्षेत्र में स्थित एनआरसी केन्द्रों की मॉनीटरिंग करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के मानकों के निरीक्षण करने के निर्देशित किया। लेकिन हालात यह है कि कलेक्टर के जारी निर्देश के पांच दिनों बाद भी जिले के विकासखंडों में संचालित एनआरसी केन्द्र में विकासखंड के एसडीएम सहित स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग अधिकारी निरीक्षण के लिए नहीं पहुंचे। जबकि कमिश्नर शहडोल ने सम्भाग के समस्त कलेक्टरों को तीन दिनों के अंदर पिछले पांच सालों की जानकारी मंगवाई है। लेकिन आश्चर्य विभागों के अधिकारियों ने इसे दरकिनार कर केन्द्रों की समस्याओं तक सुनने की जहमत नहीं उठाई। हां इतना जरूर है कि कमिश्नर के आदेश की तामिली में पूरा विभाग एनआरसी सहित सम्बंधित स्वास्थ्य केन्द्रों से पिछले पांच सालों के आकड़े जुटाने में जरूर जुट गए हैं। लेकिन जिम्मेदारियों में शामिल कार्यप्रणालियों को अधिकारियों ने अनदेखी कर दिया है। जिसके कारण आज भी पूर्व की भांति जिले के पोषण पुर्नवास केन्द्र संचालित हैं। जहां उनकी कमियों को जानने और समस्याओं को सुनने न तो स्वास्थ्य विभाग और ना ही महिला बाल विकास विभाग का कोई अधिकारी मौजूद है। जिले में पांच एनआरसी केन्द्र संचालित हैं, इनमें अनूपपुर में २० बच्चें, जैतहरी ०६, कोतमा ०७ , राजेन्द्रग्राम १९ और करपा में १० बच्चे भर्ती है। जिनमें क्षेत्र के अनुसार न्यूनतम सीटों का आवंटन कराते हुए कुपोषण जैसी बड़ी जंग पर जीत हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि जिले में १०३९१ कुपोषित तथा ७७० कुपोषित बच्चें हैं। इनमें अनूपपुर और पुष्पराजगढ़ सबसे अधिक कुपोषित वाला विकासखंड है। बावजूद अधिकारियों की अनदेखी बनी हुई है।
बॉक्स: बिना मॉनीटरिंग कैसे सुधरेगी व्यवस्था
एक ओर कमिश्नर शहडोल द्वारा लगातार जिला प्रशासन सहित सम्बंधित विभागों से कुपोषण पर निगरानी रखते हुए कुपोषित बच्चों को एनआरसी केन्द्र भेजने की बात कह रहे हैं। वहीं अनूपपुर अधिकारियों द्वारा निर्देशों के तामिली में अनदेखी बरत रहे हैं। जब अधिकारी ही केन्द्रों का निरीक्षण नहीं करेंगे तो केन्द्र की समस्याएं व अव्यवस्थाएं कैसी सुधरेगी। किन आधारों पर प्रशासन आगे की रणनीति तैयार करेगी।
बॉक्स: तो पांच सालों के आंकड़े होंगे चौकाने वाले
कमिश्नर शहडोल द्वारा मांगी गई जानकारियों में यह माना जा रहा है कि अनूपपुर में संचालित पांचों एनआरसी केन्द्रों में भर्ती बच्चों की संख्या चौकाने वाली होगी। स्वास्थ्य विभाग सूत्रों का मनाना है कि अबतक इस सम्बंध में किसी भी अधिकारी व मीडिया ने गम्भीरता नहीं दिखाई थी। जिसके कारण महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग अमलों द्वारा अबतक सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर आंकड़ों को दर्ज किया गया। इसी का परिणाम यह रहा कि अनूपपुर में अब कुपोषण के चक्र में १० हजार से अधिक बच्चें सम्मिलित हो गए हैं।
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