मॉडल स्कूल की जमीनी विवाद की नहीं सुलझी गुत्थीबिना खेल मैदान और पहुंच सड़क की मॉडल स्कूल, २७ अतिक्रमणकारियों को हटाने में प्रशासन को बीत गए वर्षो
अनूपपुर। केन्द्रीय विद्यालय की तर्ज पर वर्ष २०१४ में संचालित की गई शासकीय मॉडल उच्चतर स्कूल अनूपपुर की परिसर अबतक अतिक्रमणकारियों से मुक्त नहीं हो सकी है। शासकीय जमीन से २७ कब्जेदारो को हटाने प्रशसान को चार साल बीत गए। लेकिन आदेशों के बाद भी प्रशासकीय अधिकारियों ने कब्जेदारो के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी। परिणामस्वरूप चार साल पूर्व संचालति हुई स्कूल आज भी बिना खेल मैदान और पहुंच मार्ग के संचालित हो रही है। वहीं स्कूल के आसपास की भूमि पर कब्जेदारों ने फसल की बुआई के साथ आशियाना बनाकर कब्जा जमा रखा है। तीन करोड़ की लगात से १०.७४ एकड़ में संचालित की गई केन्द्रीय मॉडल स्कूल सिर्फ स्कूल भवन नजर आ रही है। जबकि बच्चों के खेलने के लिए न तो कोई मैदान उपलब्ध है और ना ही सुरक्षा के लिए बाउंड्रीबॉल। प्राचार्य एसके परस्ते का कहना है कि पौने घंटे के लंच ऑवर के दौरान बच्चे को खेलने के लिए बाहर नहीं जाने दिया जाता है। बच्चों के खेलने के दौरान कब्जेदारों द्वारा अभद्रता की जाती है। जबकि शासकीय राजस्व के नक्शे में शासकीय मॉडल स्कूल की जमीन रकवा ११/१ के १०.७४ एकड़ जमीन के रूप में चिह्नित है। जिसमें भवन के लिए मात्र एक एकड़ जमीन का उपयोग किया है, शेष जमीन अब भी अतिक्रमण की चपेट में दर्ज है। इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर नंद कुमारम् ने सभी २७ कब्जेदारो को नोटिस जारी करते हुए अतिक्रमण खाली करने से इंकार कर दिया। जिसपर जुलाई २०१५ में जिपं सीईओ ने भी तहसीलदार अनूपपुर को आदेश पत्र जारी करते हुए मॉडल स्कूल के पास बने अतिक्रमण को खाली कराने के निर्देश दिए। इसके बाद फिर से नोटिस जारी किए गए, बावजूद स्कूल परिसर के आसपास से अतिक्रमण को नहीं हटाया जा सका है। बताया जाता है कि असुरक्षित स्कूल परिसर के कारण आए दिन किसी कमरे की खिलकियों के कांच चटकते रहती हैं। वहीं अतिकमण के कारण स्कूली के विकासी विस्तार को विराम सा भी लग गया है।
इस सम्बंध में हमने कई बार पत्राचार कर प्रशासन का
ध्यान आकृष्ट कराया है। बच्चों को खेल मैदान तो क्या पहुंच मार्ग तक नहीं बनाया जा सका है। जिसके कारण बरसात के दौरान बच्चों को अधिक परेशानी होती है।
एसके परस्ते, प्राचार्य मॉडल स्कूल अनूपपुर।