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सुबह उठकर सुर्य को चढ़ाए जल फिर करें भोजन,विज्ञान भी मानता है इसके चमत्कार

locationअनूपपुरPublished: Nov 11, 2018 04:12:14 pm

Submitted by:

Faiz

सुबह उठकर सुर्य को चढ़ाए जल फिर करें भोजन,विज्ञान भी मानता है इसके चमत्कार

surya namaskar

सुबह उठकर सुर्य को चढ़ाए जल फिर करें भोजन,विज्ञान भी मानता है इसके चमत्कार

अनुपपुरः भारत अपनी परंपराओं के चलते विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं परंपराओं में से एक प्रसिद्ध परंपरा है कि, यहां कई लोग सुबह नींद से जागकर सबसे पहले स्‍नान करते हैं। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाकर कुछ भोजन करते हैं। इस प्रक्रिया से सुबह की शुरुआत करने के कई लाभ शास्त्रों में भी बताए गए हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, ऐसा करना विज्ञान के नज़रिये से भी बड़ा लाभकारी होता है। विज्ञान भी आज इसपर रिसर्च करने के बाद हमें इसके कई फायदे बता रहा है, बैंगलोर के एक निजी रिसर्च सेंटर में अपनी सेवाएं देने वाले जिले के विज्ञानिक राजे शर्मा जी ने बताए इस परंपरा से जुड़े विज्ञानिक फायदे।

सूर्य को जल चढ़ाने का विज्ञानिक लाभ

सूर्योदय के समय सूर्य की किरणों से मिलने वाला तेज इंसानी शरीर के लिए एक बढ़िया औषधि का काम करता है। उगते सूर्य को जल चढ़ाते वक्त जल की धार में सूर्य दिखाई देता है। सूर्य की किरणें जल में से छनकर आंखों और शरीर पर पड़ती हैं, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। साथ ही इससे पीलिया, क्षय रोग और दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। सूर्य की किरणों से विटामिन-डी भी मिलता है। सुबह सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से शुद्ध ऑक्सीजन भी मिलती है।

सूर्य को जल चढ़ाने का धार्मिक तर्क

सूर्य को जल चढ़ाने की परम्परा बहुत पुराने समय से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को जल चढ़ाने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। मनुष्य पर सूर्य का प्रकोप नहीं रहता। साथ ही, उसके राशि में पड़ने वाले दोष ख़त्म होते हैं।

स्नान के बाद ही भोजन करने का वैज्ञानिक तर्क

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से स्नान करने से शरीर की गंदगी निकल जाती है शरीर में नई ताजगी और स्फूर्ति आती है। स्नान करने के बाद स्वभाविक रूप से भूख लगती है। उस समय भोजन करने से भोजन का रस शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

स्नान के बाद ही भोजन करने का धार्मिक तर्क

शास्त्रों में कहा गया है कि, बिना स्नान किये भोजन करना अशुभ होता है। इसका हवाला देते हुए शास्त्रों में कहा गया है कि, स्नान करने से व्यक्ति पवित्र होता है और अगर वह पवित्र होकर भोजन ग्रहण करेगा तो भोजन के दोष उसके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते। इसका उदाहरण देते हुए शास्त्रों में बताया गया है कि, बिना स्नान किये भोजन करना पशुओं के समान है इसे अपवित्र माना जाता है। ऐसा करने से देवी देवताओं की अप्रसन्नता बढ़ती है।

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