इस जिले की प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी चिकित्सकों की कमी, 209 स्वीकृत में 50 कार्यरत
कोरोना की फिर आहट: वर्षो से पत्राचार बाद भी नहीं भरे जा सके चिकित्स, मरीजों को समय पर नहीं मिल रहा उपचार
अनूपपुर
Updated: May 01, 2022 12:01:15 pm
अनूपपुर। दिल्ली सहित आसपास के राज्यों में कोरोना की चौथी लहर की सुगबुगाहट आरंभ हो गई है। दिल्ली में रोजाना नए केसों की तादाद में इजाफा हो रहा है। रेल सेवाओं के साथ शिक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं में व्यापारी, रिश्तेदार, छात्रों की आवाजाही हजारों के तादाद में जिले से हो रही है। जहां आगामी दिनों कोरोना के संक्रमण से जिला अछूता नहीं रहेगा से इंकार नहीं किया जा सकता। बावजूद जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल नजर आ रही है। जिला अस्पताल सहित जिले के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों की कमी है। हालात यह है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी एकाध चिकित्सकों के भरोसे हजारों मरीजों का इलाज किया जा रहा है। जिसमें मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण ऐसे मरीज अन्य जिलों की ओर रूख कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर जिला अस्पताल भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि जिले में चिकित्सकों के एक चौथाई पद भी पूरे नहीं भर पाए हैं। जिला अस्पताल में चिकित्सकों का आंकड़ा दहाई तक सिमटा हुआ है। वही कोतमा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी चिकित्सकों की कमी का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। कोतमा में सिर्फ चिकित्सक ही नहीं बल्कि मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव बना हुआ है।
वर्षो से खाली विशेषज्ञों के पद, स्वीकृत 209 में कार्यरत मात्र 50
जिला अस्पताल सहित पूरे जिले में चिकित्सकों के 209 पद स्वीकृत हैं, इनमें से सिर्फ 50 पदों पर ही चिकित्सक कार्यरत हैं। जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 28 पद के विरुद्ध सिर्फ तीन कार्यरत हैं वहीं मेडिकल ऑफिसर के 26 पदों में से 1४ वर्षों से खाली पड़े हुए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञों के पद कभी भी नहीं भरे गए हैं। मेडिकल ऑफिसर के 19 पद हैं, जिनमें से 7 खाली पड़े हुए हैं। वही एनएचएम के ८५ मेडिकल ऑफिसर के पदों में से 71 पद वर्षों से रिक्त हैं। इसके अलावा अन्य जरूरतमंद पदों पर वर्षो से कोई प्रतिपूर्ति नहीं हो पाई है। हालांकि जिला स्वास्थ्य प्रबंधक द्वारा इन की पूर्ति के लिए शासन को पत्राचार किए जाने की बात कही है। इससे पूर्व प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री के जिला आगमन पर सीएमएचओ द्वारा पूरी सूची प्रस्तुत की गई थी, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द ही इन पदों पर भर्ती की स्वीकृति प्रदान की थी। लेकिन इनके भी दो साल से अधिक बीत गए हैं।
बॉक्स: चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल
जिले की प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की क्या बात की जाए, यहां तो स्वयं जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। हालात यह है कि दोपहर को एकाध चिकित्सकों के भरोसे ओपीडी जैसी व्यवस्थाओं को संभाला जा रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल में सिर्फ 1० चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिनमें ऑर्थोपेडिक, नेत्र विशेषज्ञ एवं महिला रोग विशेषज्ञ भी शामिल है। आपातकालीन व्यवस्था को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ एक चिकित्सक ही इमरजेंसी ड्यूटी रूम में उपलब्ध रहते हैं। वहीं लगातार सेवानिवृत्त हो रहे वरिष्ठ चिकित्सकों के बाद नवीन अधिकारियों की भर्ती नहीं होने से यह रिक्त की संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।
बॉक्स: अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्र चिकित्सक विहीन
जिले में ७ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों की भर्ती नहीं है। यहां आसपास के स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात चिकित्सकों को सप्ताह में एक-दो दिनों के लिए भेजकर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का कोरम पूरा किया जा रहा है। बिजुरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत लाखों की आबादी यहां मात्र एक चिकित्सक, कोठी में एक भी चिकित्सक तैनात नहीं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 2, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रोंं की संख्या 7, तथा उप स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 44 है। यहां इलाज के नाम पर आलीशान भवन खड़े कर दिए गए लेकिन इन भवनों में चिकित्सकों और दूसरे स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
वर्सन:
चिकित्सकों की कमी को लेकर मंत्री, विधायक सहित प्रशासन सभी को पत्राचार किया जा चुका है। यह सही है कि अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकों की कमी है। वहीं वरिष्ठ चिकित्सक भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं।जिससे यह समस्या और बढ़ गई है।
डॉ. एससी राय, सीएमएचओ अनूपपुर।
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इस जिले की प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी चिकित्सकों की कमी, 209 स्वीकृत में 50 कार्यरत
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