बहनों ने भाईयों की लम्बी आयु की कामना लिए माथे पर लगाया तिलक, भाईयों ने अस्मिता सुरक्षा का दिया वचन
हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भैयादूज का पावन पर्व

अनूपपुर। ‘यमुना ने निमंत्रण दिया यम को, मैं निमंत्रण दे रही हूं अपने भाई को, जितनी बड़ी यमुना जी की धारा उतनी बड़ी मेरे भाई की आयु’ के उच्चारण के साथ तीन बार बहनों द्वारा अंजलि में जल अर्पण कर अपने भाई की आयु की कामना करने वाली भैया दूज का पार्वन पर्व जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भैया दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया कहा जाता है। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। १६ नवम्बर सोमवार को भैया दूज के मौके पर जिलेभर के शहरी और ग्रामीण अचंलों में बहनों ने भाईयों के पैर धुला उच्चासन पर बैठाकर अंजलिबद्ध दोनों हाथों में चावल का घोल एवं सिंदूर लगा, हाथ में मधु, गाय का घी, चंदन से उसकी पूजा अर्चना कर उसकी लम्बी आयु की कामना की। बहना का मनाना है कि इस प्रकार की विधि करन से भाईयों के उपर आने वाली सारी बलाएं वह हर लेती है। वहीं भाईयों ने भी अपनी बहनों की अस्मिता की रक्षा तथा उनकी सुखद गृहस्थ की प्रार्थना की। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है)। इसके अलावा कायस्थ समाज में इसी दिन अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। कायस्थ लोग स्वर्ग में धर्मराज का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त का पूजन सामूहिक रूप से तस्वीरों अथवा मूर्तियों के माध्यम से करते हैं। जबकि इस दिन कारोबारी भी बहीखातों की पूजा भी करते हैं।
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