scriptअल्प वर्षा ने उड़ाई प्रशासन की नींद: आगामी साल में जलसंकट के आसार, सावन भी नहीं बुझा सका सोन की प्यास | Sleep deprivation of administration: sleeping in the coming yearSawan | Patrika News

अल्प वर्षा ने उड़ाई प्रशासन की नींद: आगामी साल में जलसंकट के आसार, सावन भी नहीं बुझा सका सोन की प्यास

locationअनूपपुरPublished: Aug 12, 2018 08:53:28 pm

Submitted by:

shivmangal singh

अल्प वर्षा ने उड़ाई प्रशासन की नींद: आगामी साल में जलसंकट के आसार, सावन भी नहीं बुझा सका सोन की प्यास

Sleep deprivation of administration: sleeping in the coming yearSawan

अल्प वर्षा ने उड़ाई प्रशासन की नींद: आगामी साल में जलसंकट के आसार, सावन भी नहीं बुझा सका सोन की प्यास

सावन मास के बाद भी सोननदी के तटों से दूर नदी की जलधारा, १३०६ औसत बारिश में मात्र ५१६ मिमी बारिश
अनूपपुर। कहते हैं शुरू भली तो अंत भी भला। लेकिन अनूपपुर जिले में इस वर्ष की उमड़-धूमड़ करती मानसूनी बादलों से अब अधिकांश किसानों ने मोह तोड़ लिया है। जिन किसानों ने शुरूआती मानसून में किसी प्रकार खरीफ की फसलों की बुवाई की अब उन्हें अंत मानसून के बरसने की आस लगी है। जबकि आसमान से गुजर रहे सूखे काले बादलों से अब पिछले वर्ष हुई बारिश से भी कम वर्षा होने की सम्भावनाएं जताई जा रही है। वहीं जिले के लिए निर्धारित १ लाख ७९ हजार हेक्टेयर के खरीफ के लक्ष्य में मात्र ८० फीसदी बुवाई का अनुमान आंका गया है। आंकड़ों को देखा जाए तो वर्ष २०१७ के दौरान हुई कम बारिश के आंकड़े में वर्तमान मानसून पिछड़ता जा रहा है। अगर मानसून के यही हालत रहे तो इस वर्ष भी खरीफ की पैदावार प्रभावित होगी। जबकि इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश की सम्भावनाओं को देखते हुए कृषि विभाग ने इस वर्ष जिले में ९ हजार हेक्टेयर रकबा और अधिक बढ़ा दिया था। वर्ष २०१७ में १ लाख ७० हजार हेक्टेयर भूमि खरीफ के लिए लक्षित किए गए थे। लेकिन अब आंकलनों के बाद अब अनूपपुर में मानसून की बारिश की बौछार निर्धारित रकबे के अनुसार नहीं गिरी है। जिसके कारण खरीफ फसलों के प्रभावित होने की चिंता अब कृषि विभाग के माथे पर छा गई है। एक ओर जहां कृषि प्रभावित होती दिख रही है, वहीं अब जिले में आगामी वर्ष जलसंकट की समस्या पैदा होने की अटकले भी लगाई जा रही है। ढाई माह की बारिश के बाद भी जिले सोननदी, तिपाननदी, चंदास नदी, जोहिला नदी, और केवई नदी की जलस्तरों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इन मुख्य नदियों की तलहटी आज भी बैशाख माह जैसी दिख रही है। सोननदी जैसे प्रमुख नदी में ढाई माह की बारिश के बाद भी नदी की जलधाराओं ने नदी किनारों को पूरी तरह छुआ नहीं है। जबकि तिपान नदी में अब भी रेत की चादर तटों पर नजर आ रही है। जिले में अबतक हुई मानसूनी रिमझिम में मानक सामान्य औसत वर्षा ५१६ मिमी हुई है। जबकि वर्ष २०१७ के दौरान १ जून से १० अगस्त तक ५२८.६ मिमी बारिश का रिकार्ड किया गया था। लेकिन वर्ष २०१८ में १ जून से १० अगस्त तक मात्र ५१६ मिमी बारिश का आंकड़ा दर्ज किय गया है। यानि १२ मिमी बारिश कम। यहीं नहीं जिले में औसत बारिश १३०६ मिमी दर्ज है, लेकिन अबतक हुई ५१६ मिमी, आधे से भी कम है। भू-अधीक्षक कार्यालय के अनुसार अबतक जिले में सामान्य बारिश की मात्रा ६२५.३ मिमी हो जानी चाहिए थी। बावजूद मानसून के आंकड़े अबतक रूठे नजर आ रहे हैं।
बॉक्स: कहां कितनी खरीफ फसल के रकबे
अनाज की फसलो में धान के लिए १ लाख २० हजार हेक्टेयर, ज्वार २०० हेक्टेयर, मक्का१४ हजार हेक्टेयर, दलहन फसलो में अरहर १० हजार हेक्टेयर, मूंग १ हजार हेक्टेयर, उड़द ४ हजार हेक्टेयर तथा तिलहन की फसलों में मूंगफली १ हजार हेक्टेयर, तिल १ हजार ५०० हेक्टेयर, सोयाबीन ६ हजार हेक्टेयर, रामतिल ८ हजार ५०० हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य रखा गया है।
बॉक्स: फिल्टर प्लांट का कैसे पहुंचेगा पानी
तिपाननदी में अनूपपुर नगरपालिका के लिए बनाए गए फिल्टर प्लांट के बैराज में अधिक पानी के भराव नहीं होने ेके कारण अब फिल्टर प्लांट से नगरीय क्षेत्र के लिए जलापूर्ति पर संकट मंडरा गया है। पूर्व से ही जलसंकट से जूझ रही नदी पर बिना पानी की वास्तविकताओं को रेखांकित किए प्लांट की स्थापना उसके बंद हो जाने की अटकलों तक पहुंचा दिया है। फिलहाल फिल्टर प्लांट संचालित नहीं हुई है।
वर्सन:
इस वर्ष जो बारिश की सम्भावना बनी थी, उसमें उतनी मात्रा में बारिश नहीं हुई। हालांकि शुरूआती दौर में किसानों ने बारिश की सम्भावनाओं पर खेती कर लिया है। लेकिन अब कम पानी के कारण फसलें प्रभावित हो रही है। अंत में मानसून कैसा गिरेगा यह तो भगवान ही मालिक हैं।
एनडी गुप्ता, उपसंचालक कृषि विभाग अनूपपुर।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो