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अनूपपुर

अध्यक्ष व पार्षदों ने परिषद अधिकारियों की क्रियाकलापों पर जताई नाराजगी, निर्माण कार्यो की जांच की मांग

बेवा ने कहा कॉलरी नहीं दे रहा मुआवजा, परिवार के अन्य सदस्य फांसी लगाकर आत्महत्या के लिए है तैयार

अनूपपुरJun 05, 2019 / 12:54 pm

Rajan Kumar Gupta

Speaker and councilors demanded investigation of the activities of the

अध्यक्ष व पार्षदों ने परिषद अधिकारियों की क्रियाकलापों पर जताई नाराजगी, निर्माण कार्यो की जांच की मांग

अनूपपुर। मंगलवार केा आयोजित साप्ताहिक जनसुनवाई में दोपहर अमरकंटक नगर परिषद अध्यक्ष प्रभा पनारिया सहित परिषद की अनेक महिला पार्षदों ने नगर परिषद में पदस्थ सीएमओ, इंजीनियर व पटवारी के क्रियाकलाप संतोषप्रद नहीं होने की बात कहते हुए उनके द्वारा क्षेत्र में किए गए विकास कार्याे की गुणवत्ता पर नाराजगी जताई। साथ ही आरोप लगाए कि आजतक परिषद में प्रस्तावित कोई भी कार्य नहीं कराए गए हैं। जिसके कारण हमें जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है। जबकि सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों का स्थानांतरण अन्यत्र जगह शासन के द्वारा किया जा चुका है। लेकिन चुनाव के दौरान आचार संहिता लगने के कारण आदेशित नहीं हो सके। अब आचार संहिता समाप्त हो चुका है उपरोक्त कर्मचारियों की स्थानांतरण अतिशीध्र किया जाए, ताकि परिषद का कार्य व्यवस्थित रूप से हो सके। इधर कर्मचारी आचार संहिता के खत्म होते ही अवकाश लेकर बाहर चले गए हैं। इसके कारण कर्मचारी कार्यालय में कोई भी उपस्थित नहीं रहता और कार्यालयीन कार्य प्रभावित हैं। अध्यक्ष ने शिकायती पत्र के माध्यम से चेतावनी देते हुए कहा कि सम्बंधित अधिकारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया जल्द ूपूरी की जाए अन्यथा हम जनप्रतिनिधि को हड़ताल में बैठने के लिए विवश होना पड़ेगा।
मुआवजा नहीं मिला तो परिवार के सदस्य कर लेंगे आत्महत्या:
इधर जमुना कोतमा निवासी बेवा नानबाई पाव ने एसईसीएल द्वारा वर्ष २००२ में ग्राम जमुना के कुल ६ किता लगभग कुल रकबा २.७४८ हेक्टेयर के अधिग्रहण करने तथा अबतक कोई मुआवजा राशि नहीं प्रदान करने पर नाराजगी जताते हुए परिवार के सदस्यों द्वारा आत्महत्या करने की चेतावनी दी है। महिला का कहना है कि कॉलरी ारा कोयला उत्खनन के दौरान उक्त भूमि पर बड़े-बड़े गड्ढे एवं दरारे पड़ जाने के कारण जमीन कृषि योग्य नहीं रह गया। भूमि के मुआवजा के सम्बंध में प्रशासन को आवेदन पत्र दिया गया था जिसमें प्रशासन द्वारा वर्ष २००५ तक का फसल मुआवजा भी दिलाया गया था। शेष अवधि वर्ष २०१०-११ तक का फसल का नुकसानी एवं अधिग्रहित भूमिा का मुआवजा आजतक नहीं दिलाया गया। बल्कि एसईसीएल द्वारा उक्त भूमि में बने गड्ढे व दरारों को रेत से भर दिया गया। $$भरण पोषण के अन्य स्त्रोत नहीं होने के कारण परिवार चलाने में दिक्कतें आ रही है। भूखमरी के कारण ही दो वर्ष पूर्व पुत्र नानसाय पाव ने तंग होकर आत्महत्या कर लिया था। जबकि दूसरा पुत्र रामधनी पाव भी इस परेशानी में वृक्ष से फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। यदि मुआवजा का तत्काल भुगतान नहीं होता है तो मेरे घर के और भी सदस्य व बहुएं फंासी लगाकर आत्महत्या करने को तैयार हैं।
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