सोन नदी में उतरा पावर प्लांट के फूटे डैम का राखडय़ुक्त पानी
कलेक्टर ने घटना के बारे में प्रमुख सचिव उर्जा और कमिश्नर को जांच कर कार्रवाई के लिए लिखा पत्र
अनूपपुर
Updated: February 17, 2022 11:48:03 am
अनूपपुर। चचाई स्थित कैल्होरी गांव में स्थापित अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई संयंत्र की राखड़ डैम के फूटने के बाद उसमें भंडारित पानी के साथ राखड़ के बहाव में अब सोननदी भी चपेट में आ गई है। जहां बांध के टांकी नाला से बहते हुए राखड़ डैम का पानी किसानों के खेत में भरने के उपरांत पास ही सोननदी में उतर गई है। जिसमें राखडय़ुक्त पानी के नदी में मिलने से आसपास के पानी का रंग भी राखडय़ुक्त नजर आने लगा है। इसे देखकर आसपास के नदी तट और जलीय जीवों के प्रभावित होने का खतरा मंडराने लगा है। हालंाकि इस पानी के मिलने पर पीसीबी ने इससे सोननदी के पर्यावरणीय जीवन के प्रभावित होने से इंकार किया है। शुरूआती समय में पीसीबी ने पत्रिका के सवालों में सोननदी में राखड़ डैम के फूटे राखडय़ुक्त पानी के उतरने से इंकार किया था। लेकिन अब खुद पीसीबी भी मानती है कि कुछ पानी सोननदी में मिले हैं, लेकिन उसमें राखड़ की मात्रा नहीं है, बल्कि राखड़ के रंगत में सिर्फ पानी है। वहीं जिला प्रशासन ने भी दलील दी है कि सोननदी में राखडय़ुक्त पानी नहीं मिला है। लेकिन डैम से बहा पानी जरूर नदी में उतरा होगा, लेकिन पीसीबी के प्रावधानों के अनुसार डैम के पानी को नदी में उतरने के लिए अपू्रव किया गया है। जिसमें किसी कारणों में अगर डैम का पानी नदी में उतरता है तो राखड़ नहीं जाएगा। वैसे ही यह पहली घटना है, इससे पूर्व राखडय़ुक्त पानी का बहाव नहीं हुआ था। फिर भी मैं इसे दोबारा जांच करवाता हूं। जबकि १०-११ फरवरी की रात डैम के फूटने के बाद पानी तेजी के साथ आसपास के खेतों में जरूर भरा था, ड्रेन सर्वेक्षण और राजस्व टीम की जानकारी में तीन किसानों के द्वारा नाला को नुकसान पहुंचाने के कारण उनके खेतों में राखड़ अवश्य जमा होना पाया गया है। इसके अलावा डैम से बारिश या जरूरत के अनुसार पानी निकासी के लिए बनाया गया टाकी नाला ४ किलोमीटर दूर जाकर शासकीय भूमि में समाप्त हो जाता है, वहां से नदी की कुछ दूरी है। घटना के दिन राखड़ खेतों और नाला में ही जमा हो गया। संभव है कि इनमें से पानी छनकर नदी तक पहुंचा होगा और मिला होगा। लेकिन इनमें राखड़ की मात्रा नामात्र होगी और इससे नदी को नुकसान नहीं होगा।
बॉक्स: प्रमुख सचिव उर्जा और कमिश्नर को लिखा पत्र
कलेक्टर सोनिया मीणा ने बताया कि घटना विभागीय लापरवाही के कारण घटित हुई, डैम का नियमित जांच पड़ताल और मेंटनेंस नहीं किया गया। २००५ में बनाए गए नए डैम से अब तक राखड़ नहीं निकाले गए थे, वहीं नाला में पानी निकासी के लिए बनाए गए पुल के पास मिट्टी और राखड़ के कटाव के कारण पुलिया धसक गया और लगभग लाख लीटर से अधिक पानी राखड़ के साथ बह गया था। इस घटना की जांच के लिए प्रमुख सचिव उर्जा विभाग और शहडोल कमिश्नर को भी पत्र लिखा गया है। जिसमें कारणों की जांच कर आगे की कार्रवाई की जाए। वहीं कलेक्टर ने बताया कि पटवारी की तरफ से सर्वे किया जा रहा है, वहीं पावर प्लांट प्रबंधन द्वारा भी खेतों से राखड़ को निकाला जा रहा है। किसानों के खतों में लगी फसलों के नुकसान की रिपोर्ट पर आरबीसी ६/४ के कार्रवाई की जाएगी। हालंाकि पावर प्लांट ने किसानों के होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।
बॉक्स: राजस्व और प्रबंधन ने अब तक नहीं दी रिपोर्ट
कलेक्टर सोनिया मीणा ने बताया कि घटना और आसपास के किसानों को हुए नुकसान मामले में पावर प्लांट और राजस्व विभाग को जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे। जिसमें अभी तक राजस्व और पावर प्लांट प्रबंधन द्वारा कोई रिपोर्ट नहीं सौंपा गया है। कलेक्टर ने बताया कि रिपोर्टो के परीक्षण के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
वर्सन:
टाकी नाला से बहे पानी और राखड़ में राखड़ का अधिक बहाव नहीं होने के कारण ये सभी राखड़ आसपास के खेतों और नाला में जमा हो गया था। पानी जरूर नदी में उतरा होगा, लेकिन इनमें राखड़ की मात्रा नहीं है, पीसीबी के अनुसार इससे नदी के पारिस्थितिक को कोई नुकसान नहीं होगा। फिर भी मैं दोबारा जांच करवाती हूं। प्रमुख सचिव उर्जा और कमिश्नर को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया है।
सोनिया मीणा, कलेक्टर अनूपपुर।
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