बूथ क्रमांक- 81, 97
मतदान केन्द्र- कोतमा, लहसुई
2013 में मतदान- 961, 760
कांग्रेस को मिले मत- 640, 558
कांग्रेस:
अनूपपुर। कोतमा विधानसभा क्षेत्र कोतमा की हृदय स्थली महावीर मार्ग गांधी चौराहा तथा लहसई गांव केवई नदी किनारा। यहां पूरे महावीर चौक, गांधी चौराहा, कन्या स्कूल चौराहा से लेकर लहसुई गांव व केवई नदी किनारा है। इलाके की अर्थ व्यवस्था कॉलरी के साथ साथ पुस्तैनी व्यवसाय व किसानी व्यवस्था पर आधारित है। कोतमा और लहसुई गांव के व्यापारी व किसान वर्षो से यही रहते आए हैं। सियासी दृष्टिकोण में इसी दो वार्डो के मतदाता रहे हैं। हालांकि कॉलरी के कारण स्थानीय लोगों का कॉलरी में मजदूरी व नौकरी होने के कारण पलायन की स्थिति नहीं बनी। विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में इस इलाके के कोतमा नगरीय क्षेत्र के दो बूथ क्रमांक ८१ तथा ९७ पर मौजूदा विधानसभा के विधायक तथा प्रदेश कांग्रेस कमेटी पूर्व सचिव मनोज अग्रवाल को पूरे विधानसभा में किसी भी बूथ के सर्वाधिक वोट मिले हैं। मोटे तौर पर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण जायसवाल, जैन, अग्रवाल, सोनी, गुप्ता सहित मुस्लिम मतदाताओं पर आधारित है। मनोज अग्रवाल का जन्म स्थली कोतमा होने के कारण आसपास के वार्डो सहित नगर में अधिक प्रभावशाली रहा। यह कांग्रेस के परम्परागत वोटर रहे हैं। दोपहर के समय कोतमा मुख्य चौराहा से चंद दूरी पर उपज मंडी मुख्य परिसर है, जहां आसमान से चंद रिमझिम बारिश की बूंदो से बचने मंडी भवन में छिपा, लेकिन बारिश की जैसी जैसी बूंदे मोटी होती गई, आसपास परिसर पानी से कीचरनुमा बनता गया। स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला कि क्षेत्र में पानी की समस्या पहले भी और आज भी बरकरार है। जनता पेयजल की सुविधा को लेकर परेशान है। मोहम्मद दस्तगीर का कहना है कि मंडी की हालत पांच साल पूर्व जैसी थी, वैसी आज भी बनी हुई है। नगरीय सडक़ों सहित लहसुई गांव में पानी और सडक़ की सुविधा बदहाल बनी हुई है। लहसुई गांव हमेशा कांग्रेस का गढ़ रहा है जहां 95 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। यहां भी पानी और सडक़ की समस्या लहसुई ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या है। हालंाकि हाल के दिनों में विधायक निधि से 20 लाख एंव नगर पालिका द्वारा सहयोग कर सडक़ निर्माण का प्रस्ताव बनाया गया है। लेकिन पांच सालों में दोनों ही वार्डो में विकास के आईने नहीं चमक सके।
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विधानसभा- कोतमा
बूथ क्रमांक- 75, 143
मतदान केन्द्र- सकोला, खोड्री
2013 में मतदान- 807, 819
भाजपा को मिले मत- 450, 387
कोतमा विधानसभा क्षेत्र का सकोला ग्राम पंचायत प्राथमिक स्कूल सकोला तथा खोड्री ग्राम पंचायत भवन तिराहा।यहां पूरे सकोला गांव की यादव मोहल्ला, साहूटोला, चौधरीटोला से लेकर खोड्री, कुहका, खारेटोला, कुरकुटीटोला गांव। दोनों ही गांवो के बीच लगभग १५ किलोमीटर की दूरी। एसईसीएल कोल खदान होने के कारण अधिकांश कोल खदान कमर्चारी व कृषि आधारित है। कमोबेश कॉलरी में भू-अधिग्रहण जमीनों के भू-स्वामियों की मजदूरी और नौकरी है। सकोला और खोड्री के अधिकांश किसान और नौकरी करने वाले वर्षो से यही रहते आए हैं। सियासी दृष्टिकोण में इसी दो ग्राम पंचायत के मतदाता रहे है, हालांकि अधिकांश कोल खदानें के बंद होने के कारण कुछ लोगों का पलायन बाहर के लिए हुआ है। विधाानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में इस इलाकें में सकोला और खोड्री ग्राम पंचायतें हैं, जिसके बूथ कमांक ७५ सकोला तथा खोडरी बूथ क्रमंाक १४३ पर मौजूदा विधानसभा क्षेत्र हारे प्रत्याशी भाजपा के राजेश सोनी को पूरे विधानसभा क्षेत्र के बूथ के सर्वाधिक वोट मिले थे। मोटे तौर पर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण साहू, कंवर, यादव, चौधरी, केवट, पाव व गोंड सहित अन्य समुदाय आधारित मतदाता है। सकोला ग्राम पंचायत में दोपहर प्यास महसूस होने पर आसपास के घरों में पानी के लिए भटकना पड़ा। लोगों ने चंद दूरी पर गडे शासकीय हैंडपम्प से पानी के लिए इशारा किया। ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि क्षेत्र में कॉलरी के कारण पानी सबसे बड़ी समस्या है। ७-८ वर्ष पूर्व लाखों रूपए की पानी टंकी स्थापित की गई, लेकिन आज तक एक बूंद तक नहीं आपूर्ति कराई जा सकी। पानी टंकी सूखा पड़ा है। ग्रामीण लाला यादव का कहना है कि कोल मोहल्ले में अधिकांश परिवारों के पक्के मकान नहीं हैं। बदरा-धुम्मा मार्ग की हालत सुधरी है, लेकिन उससे जुड़ी गांव की सडक़ों का हालत दलदलनुमा बनी हुई है। बिजली की समस्याएं पूर्व की भांति बनी हुुई है। स्थानीय स्तर पर सुविधाओं का अभाव है। लेकिन पिछले पांच सालों के दरमियान हारे हुए प्रत्याशी के साथ साथ जीते हुए प्रत्याशी ने भी गांव के विकास के लिए पहल नहीं की। जबकि खोड्री गांव से जुडी खोड्री-उरा मार्ग खस्ताहाल बनी हुई है। पानी की समस्या विकट है, पानी के लिए बडक़ाटोला जाना पड़ता है। १२वीं की शिक्षा के लिए ६-७ किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ग्रामीण संत कुमार केवट का कहना है कि क्षेत्र में कॉलेज जैसी सुविधाएं आसपास नहंी है। क्षेत्र में उपस्वास्थ्य केन्द्र तो स्थापित हैं, लेकिन आजतक खुले नहीं है। ग्रामीण चुंगरी केवट का कहना है पिछले चुनाव के बाद दोनों प्रत्याशी ने कभी क्षेत्र का निरीक्षण तक नहीं किया है।
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