अनूपपुर

झिलमिला जलाशय पर मंडराया खतरा, पहली बार पानी भरने के साथ दरकने लगी जलाशय की दीवार

तीन साल बाद भी जलाशय का निर्माण नहीं हो सका पूर्ण, अधिक जलभराव के कारण दीवारों पर बढऩे लगा दवाब

अनूपपुरAug 27, 2019 / 03:35 pm

Rajan Kumar Gupta

झिलमिला जलाशय पर मंडराया खतरा, पहली बार पानी भरने के साथ दरकने लगी जलाशय की दीवार

अनूपपुर। पुष्पराजगढ़ विकाससखंड के ग्राम पंचायत बीजापुरी में जलसंसाधन विभाग द्वारा बनाए जा रहे झिलमिल जलाशय में पानी के भराव के साथ ही दीवारों पर दरार पडऩा आरम्भ हो गया है। जिसके कारण बीजापुरी सहित फरहदा गांवों में जल प्रलय का खतरा मंडराने लगा है। १८५३.७५ करोड़ की लागत से बनाया जा रहा झिलमिल जलाशय तीन साल बाद भी अधूरा पड़ा है। इस जलाशय में निर्माण के दौरान पहली बार जल भराव हुआ है। जिसके कारण जलाशय की दीवारें जहां तहां पानी के दवाब में धंसकने लगी है। इससे उन स्थानों से जलाशय के जल रिस कर दूसरी दिशा के खेतों में फैल रहा है। यहंी नहीं कुछ स्थानों पर अधिक जलभराव और जलाशय के हिस्से के टूटने की आशंका में विभाग द्वारा पाईपलाइन डालकर जलाशय के पानी को आसपास के निचले हिस्सों में बहा रही है, ताकि जलाशय के दीवार को टूटने से बचाया जा सके। बावजूद जिले में लगातार जोरदार हो रही बारिश और झिलमिला जलाशय में बढ़ते पानी के दवाब में ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जलाशय का एक भी हिस्सा क्षतिग्रस्त होता है तो आसपास के आधा दर्जन गांव जल प्रकोप की साया से प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ो की लागत से बनाए गए झिलमिल जलाशय का निर्माण गुणवत्ता विहीन किए गए हैं। बारिश के दौरान जलाशय पानी से लबाबल भर जाने पर जलाशय के सीपेज होने के साथ ही जलाशय ढहने के कगार पर पहुंच गई है। हालंाकि जलाशय में पानी भर जाने के बाद सीपेज को देखते हुए जलाशय का पानी कम करने के लिए स्विलिश गेट को खोल दिया गया। लेकिन इससे आसपास के कुछ किसानों की फसल नष्ट होने की आशंका है। बताया जाता है कि जल संसाधन विभाग द्वारा आदिवासी उप योजना अंतर्गत झिलमिल जलाशय योजना वर्ष 2016 में १८५३.७५ लाख रूपए से निर्माण होना प्रस्तावित किया गया, जहां स्वीकृति किए जाने के बाद १८ सितम्बर २०१६ को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, तत्कालीन जिला प्रभारी मंत्री संजय पाठक, पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को एवं जिला पंचायत अध्यक्ष रूपमति सिंह द्वारा भूमिपूजन किया गया था। भूमि पूजन के उपरांत तीन साल बीत गए, लेकिन जल संसाधन विभाग द्वारा आजतक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका। जानकारों का कहना है कि अपने निर्माण के दौरान अधूरी निर्मित इस जलाशय में पहली बार जलभराव हुआ है। निर्माण में मिट्टी और मुरूम के उपयोग के कारण यह पानी के दवाब में जहां-तहां दब रही है। पानी के भराव में ही जलाशय मजबूत होगा, लेकिन इस दौरान इसमें बरती गई लापरवाही के कारण जलाशय टूटकर नुकसानदायक भी साबित होगा। विभागीय जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन होने के कारण अभी जलाशय से बाहर निकलने वाले पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए कैनाल नहीं बनाए गए हैं। मिट्टी और मुरूम से बनी बांध में कम्वेंशन पूरी नहीं होने के कारण पानी भरने पर मिट्टी पानी दवाब में दब रही है।
विदित हो कि ९ जुलाई को कोतमा स्थित निर्माणाधीन पिपरिया जलाशय में भी मानसून की शुरूआती बारिश में ही अधिक जलभराव होने तथा विभाग द्वारा निर्माण में बरती गई लापरवाही में एक हिस्सा टूटकर बह गया था। जिसमें आधा दर्जन गांव सहित हजारो एकड़ खरीफ की फसल बर्बाद हो गई थी। लेकिन इसे बाद भी जलसंसाधन विभाग द्वारा निर्माणाधीन जलाशयों के निर्माण पर गम्भीरता नहीं दिखाई है। जिसका परिणाम है कि अब झिलमिला जलाशय के उपर खतरा मंडराने लगा है।

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