अनूपपुर। लौटती मानसून के दौरान जिले में लगातार हुई बारिश से अलान और तिपान नदी में आई उफान अब धीरे-धीरे शांत होने लगा है, इसमें दोनों मुख्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे उतर गया है। लेकिन नदियों के जलस्तर कम होने के बाद नदी किनारे तटीय क्षेत्रों में किसानों के खेतों में अब भी पानी का जमाव बना हुआ है। आपदा के रूप में हुए नुकसान फसलों पर दिखने लगी है। जिसके आंकलन के लिए अब आईआर सहित हल्का पटवारी प्राकृतिक आपदा के रूप में क्षति हुए फसलों के जायजे के लिए खेतों में उतरेंगे। जहां जल्द ही खेतों में फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर उसकी रिपोर्ट राजस्व अनुविभागीय अधिकारी को सौंपेंगे, जिसमें प्राकृतिक आपदा प्रावधानों के अनुसार प्रभावित किसानों को आर्थिक मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी। जैतहरी एसडीएम विजय डहेरिया ने बताया कि १४ सितम्बर को छत्तीसगढ़ के गैरेला से निकलकर मप्र की सीमावर्ती क्षेत्र वेंकटनगर-जैतहरी होते अनूपपुर स्थित सोननदी में मिलने वाली अलान और तिपान दोनों नदियों में सुबह अचानक बाढ़ आ गई थी, जिसमें तिपान नदी का पानी तटबंध को तोड़ते हुए आसपास के निचले खेतों में भर गया था। इसके अलावा अलान नदी के तट से सटे निचले इलाकों के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया था, जिससे गांवों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया था। हालंाकि तीन दिनों बाद दोनों नदियों का जलस्तर नीचे उतर गया है। जिसमें किसानों के फसलों के नुकसान के आंकलन के लिए अब राजस्व विभाग के अमले को निर्देशित किया गया है कि वे खेतों में उतर कर नुकसान का वास्तविक आंकड़ा प्रस्तुत करें, ताकि उसके आधार पर क्षतिपूर्ति राशि का निर्धारण किया जा सके। वहीं एसडीएम ने बताया कि अभी जलस्तर उतरे है, लेकिन बारिश का सिलसिला रह-रहकर बरसने से फिलहाल आंकलन का कार्य सम्भव नहीं है। इसलिए क्षेत्र से लगे सभी आरआई पटवारी को २-३ दिनों के बाद सर्वेक्षण कार्य के लिए निर्देशित किया गया है। इसमें खेतों में लगी फसल धूप खिलने के साथ वास्तविक नुकसान के रूप में सामने आ पाएगी। एसडीएम के अनुसार धान की अधिकांशत: फसलें पानी में डूब जाने के बाद भी उपर निकल आती है। लेकिन इसमें कुछ अलग वेरायटी की फसलें अधिक पानी जमने पर खराब भी हो जाती है। जिन किसानों ने छिटंवा धान किया होगा, उनके पौधों में अब फल लगने की तैयारी होगी, ऐसे में इन धान की फसलों को अधिक नुकसान होगा। जिसे देखते हुए हल्का पटवारियों को गांव-गांव जाकर सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं। बॉक्स: इन गांवों में हल्का पटवारी की होगी नजरबताया जाता है कि छग के गौरेला से निकलकर वेंकटनगर, जैतहरी होते हुए अलान और तिपान दोनों नदियां कदमसरा में मिलती है, जिसके बाद यह तिपान रूप में नदी बहती हुई जिला मुख्यालय के सोननदी में मिलती है। जिसमें तिपान नदी लगभग ७० से अधिक किलोमीटर दूरी का रास्ता तय करता हुअ सोन से मिलता है। जिसके कारण तिपान के किनारे लगी तटीय गांव गोबरी, जैतहरी, सिवनी, गोरसी, कपरिया, उमरिया, बलबहरा, झाईंताल वहीं अलान नदी के तटीय क्षेत्रों में शामिल वेंकटनगर, खैरी और कदमसरा को प्रभावित गांवों में रखा गया है। जिसमें इन गांवों का सर्वेक्षण कार्य कराया जाएगा। बॉक्स: दो फसली क्षेत्रवेंकटनगर और जैतहरी में दो फसली फसल उपाजाई जाती है। इसमें रबी और खरीफ की अच्छी पैदावार होती है। जबकि अनूपपुर में एकल फसल उगाए जाते हैं। फिलहाल अलान और तिपान नदी की उफान में खरीफ की फसलें प्रभावित होती नजर आ रही है। वर्सन: नदी के तटीय क्षेत्रों में बसे ग्रामीण अंचलों में लगी फसलों को नुकसान हो सकता है, इसके लिए आरआई व हल्का पटवारी को सर्वेक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं, प्रावधानों के अनुसार क्षति की सहायता राशि प्रदान कराई जाएगी।विजय डहेरिया, एसडीएम जैतहरी।[typography_font:18pt;” >————————————————-