20 लाख की पानी टंकी नहीं बुझा सकी 400 परिवारों की प्यास, 12 वर्षो से नहीं उतरा एक बूंद पानी
वैकल्पिक बोर से ग्रामीण बुझा रहे प्यास, गर्मी के दिनों में पानी की बनती है समस्या
20 लाख की पानी टंकी नहीं बुझा सकी 400 परिवारों की प्यास, 12 वर्षो से नहीं उतरा एक बूंद पानी
अनूपपुर। जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर की दूरी ग्राम पंचायत दुलहरा व नगरपालिका अनूपपुर की सीमा के बीच लाखों रुपए की खर्च से बनाई गई पानी टंकी १२ वर्षो से दुलहरा गांव के ४०० आबादी की प्यास नहीं बुझा सका। २० लाख की लागत से तैयार सेम्पबेल व पानी टंकी के साथ लाखों की बार बार मरम्मती कार्य के बाद भी लोगों के लिए जलप्रदाय सुविधा के लिए उपयोगी साबित नहीं हो सका। माना जाता है कि पीएचई विभाग के इंजीनियरों की लापरवाही में बिना जलस्तर की मापदंड को तैयार किए पानी टंकी का निर्माण कराया गया, जहां मशीन से खींचा गया पानी का चढाव टंकी तक नहीं हो सका। पास के तालाब में जलस्तर अधिक होने पर पूरे बारह मास में मात्र बरसात के दिनों में एक माह के लिए पानी का चढ़ाव टंकी तक होता था। लेकिन शेष ११ महीने टंकी सूखी ही रह गई। घरों तक पहुंचे नल कनेक्शन से पिछले १२ वर्षो से एक बूंद नहीं टपक सका। जिसके कारण ग्रामीणों की बार बार जलसमस्या को लेकर प्रशासन से की गई शिकायत पर पुन: पीएचई विभाग ने दुलहरा तालाब के पास वैकल्पिक बोर की व्यवस्था बनाई, जिससे लोगों को पानी की सुविधा उपलब्ध हो रही है। लेकिन इसी तालाब के मेढ़ के पार २० लाख की लागत से खड़ी पानी टंकी व सेम्पबेल मशीन विभागीय लापरवाही में अब ग्रामीणों के लिए शोपीस बनकर रह गई है। नलजल योजना के बंद होने के कारण गांव में पानी की समस्या सबसे बड़ी समस्या मानी जा रही है। इसके बावजूद पानी की समस्या को दूर करने पीएचई विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। लोगों का कहना है कि जिला मुख्यालय सहित आसपास के गांवों में दुलहरा तालाब से ही जलापूर्ति कर ३००० लोगों की प्यास बुझाई जाती है। उसी तालाब के लोग पानी को लोग मोहताज हो गए हैं। वर्ष २००७ में पीएचई विभाग द्वारा २० लाख की लागत से पानी टंकी का निर्माण कराकर आसपास के पांच गांवों में जलापूर्ति कराने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए पूर्व में बोर हुए पम्प को बंदकर अन्य स्थल पर बोर कराकर पानी टंकी तक पानी को पहुंचाने का कार्य किया गया। लेकिन चंद दिनों के बाद पानी टंकी तक नहीं पहुंच पाई। जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि बोरपम्प के लिए जमीन के भीतर पानी अपर्याप्त है। जिसके कारण पर्याप्त पानी का खींचाव नहीं हो पाता और पानी के अभाव में खाली टंकी से घरों तक पानी की आपूर्ति नहीं पहुंच पाती।
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ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में ग्राम पंचायत द्वारा पर्याप्त हैंडपम्प नहीं गड़वाए गए हैं। जो गड़वाए गए भी हैं उनमें अधिकांश खराब है। जिसके कारण अधिकांश लोगों को आधा किलोमीटर दूर चलकर तालाब के पास बोर कराए गए पम्प से पानी भरने की मजबूरी बन रही है। इसके लिए ग्रामीण लोग दिन में ही रात के लिए पानी भर ले जाते हैं। ऐसी स्थिति एकाध दिन की नहीं है यह पूरे १२ वर्ष से चला आ रहा है। लेकिन इस ओर कभी विभाग या अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया है। जबकि ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी दुलहरा तालाब इस वर्ष खुद जलस्तर के अभाव में सुख गई।
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