तीसरी आंख बंद: भगवान भरोसे जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था, लाखों की सीसीटीवी कैमरा बनी शोपीस
तीसरी आंख बंद: भगवान भरोसे जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था, लाखों की सीसीटीवी कैमरा बनी शोपीस
तीसरी आंख बंद: भगवान भरोसे जिला अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था, लाखों की सीसीटीवी कैमरा बनी शोपीस
सीसीटीवी कैमरा का नहीं कोई रिकार्ड रूम, नहीं हो रही रिकार्ड की मॉनीटरिंग
अनूपपुर। प्रदेश के कुछ अस्पतालों में बच्चा चोरी तथा असामाजिक तत्वों द्वारा डॉक्टरों के साथ की गई मारपीट जैसी घटनाओं के बाद डॉक्टरों के विरोध पर ऐसी वारदातों को रोकने शासन स्तर पर जिला अस्पतालों को तीसरी आंख के हवाले किया गया। जिसमें अस्पताल परिसरों को सीसीटीवी कैमरे से लैस करते हुए उनकी लगातार मॉनीटरिंग उपलब्ध कराने की सुविधा बनाई। इस सुविधा के तहत मुख्यालय अनूपपुर जिला अस्पताल में भी सुरक्षा व्यवस्थाओं की मॉनीटरिंग करने १२ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। लेकिन अब अस्पताल परिसर में लगाए सभी सीसीटीवी कैमरे बंद हैं। उनके हैंडलिंग के लिए रिकार्ड रूम तक अता-पता नहीं बनाया गया है, जहां सीसीटीवी कैमरे की फुुटेज को जरूरत पडऩे पर खंगाला जा सके। जिला अस्पताल में लगाए गए लाखों के सीसीटीवी अपने स्थानों पर शोपीस में नजर आते हैं। अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि अस्पताल में मोबाईल चोरी सहित स्टाफो के साथ र्दुव्यहार होने का सिलसिला अभी भी बना रहता है। लेकिन हमारे पास किसी अधिकारी को दिखाने कुछ नहीं है। एसएनसीयू वार्ड परिसर के आसपास के स्थलों को छोडक़र अस्पताल परिसर के अन्य सीसीटीवी कैमरे बंद हैं। यहां तक इन कैमरों मॉनीटरिंग के लिए कोई रिकार्ड रूम तक नहीं है। पूर्व में बने रिकार्ड रूम को अब पैडियाट्रिक वार्ड में तब्दील कर दिया गया है। विदित हो कि वर्ष २०१४-१५ के दौरान जिला अस्पताल के मुख्य प्रवेश गेट से लेकर विभिन्न वार्डो तक जाने वाली मुख्य मार्गो तथा कुछ वार्डो में १२ सीसीटीवी कैमरे लगाए । इन कैमरों का उपयोग अनेक बार पुलिस जांच में सहायक साबित हुई। यहां तक अस्पताल परिसर से बाइक एवं मोबाईल चोरी की बढ़ती प्रवृति पर भी रोक लगा। जबकि डॉक्टरों के साथ मारपीट की अनेक घटनाओं में वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों पर पुलिस ने मामला भी दर्ज किया। लेकिन फिलहाल अब इन सुविधाओं के लिए अस्पताल के पास लाखों के संसाधन बेकार एवं अनुपयोगी टंगे हैं।
अस्पताल सूत्रों की मानें तो जहां सीसीटीवी कैमरे के बंद होने से असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है, वहीं अस्पताल परिसरों में आने वाले मरीजों, वार्ड की व्यवस्थाओं तथा संदिग्ध व्यक्तियों पर भी नजर नहीं जा रही है। जिसके कारण अस्पताल परिसर से मोबाईल व सामानों की चोरी की घटना आम बात हो गई है। हालांकि आदिवासी क्षेत्र से अनिभिज्ञ परिवार से जुड़ा मामला होता है जिसमें अपराध के विरूद्ध शिकायत करने के लिए परिजन तैयार नहीं होते। जिसका फायदा संदिग्धों को मिल जाता है।
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