कमर्शियल माइनिंग के विरोध में कॉलरी खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल, उत्पादन ठप करोड़ों का नुकसान
जिले की 18 खदानों पर सुबह से कोयला उत्पादन रहा प्रभावित, मात्र 150 टन रिकार्ड में दर्ज
कमर्शियल माइनिंग के विरोध में कॉलरी खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल, उत्पादन ठप करोड़ों का नुकसान,कमर्शियल माइनिंग के विरोध में कॉलरी खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल, उत्पादन ठप करोड़ों का नुकसान,कमर्शियल माइनिंग के विरोध में कॉलरी खदानों में तीन दिवसीय हड़ताल, उत्पादन ठप करोड़ों का नुकसान
अनूपपुर। भारत सरकार द्वारा कमर्शियल माइनिंग की आड़ में कोल ब्लॉकों को निजी हाथो में सौंपने, काम के घंटे बढ़ाए जाने, तथा सीएमपीडीआई के विलयीकरण के विरोध में पांचों श्रमिक संगठनों ने २ जुलाई से सामूहिक तीन दिवसीय हड़ताल आरम्भ की है। जिसमें अनूपपुर जिले के १८ कोल खदानों पर व्यापक असर पड़ा है। पांचो श्रमिक संगठनों एचएमएस, सीटू, एटक, इंटक, बीएमएसएच के पदाधिकारियों ने सभी खदानों के प्रवेश द्वार पर सुबह से ही मोर्चा सम्भालते हुए आने वाले श्रमिकों से कामर्शियल माइनिंग से होने वाले नुकसान को बताते हुए काम पर नहीं जाने की अपील की। जिसके बाद मजदूर वापस लौट गए। इनमें आधे से अधिक मजदूरों ने काम पर आना ही उचित नहीं समझा। जिसके कारण आंशिक उत्पाद के साथ खदानों पर उत्पादन शून्य दर्ज की गई। एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के ८ कोल खदानों सहित हसदेव क्षेत्र की १० खदानों के लगभग सभी खदानों से कोयला उत्पादन का कार्य बंद रहा। कॉलरी सूत्रों के अनुसार पांचों श्रमिक संगठनों के तीन दिनी हड़ताल में जिले के समस्त कोयला खदानों में उत्पादन नहीं होने से सरकार को लगभग ४०० करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कॉलरी सूत्रों का कहना है कि कॉलरी में ऐसे ही कर्मचारी कायर्रत है, जिनकी जरूरत खदानों की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जरूरी है। इसके अलावा उत्पादन से सम्बंधित समस्त श्रमिक और कर्मचारी हड़ताल में शामिल है। जिसके कारण २ जुलाई को श्रमिकों की लगभग १०० फीसदी हड़ताल सफल साबित हुई।
एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र अंतर्गत आनेवाली ९/१० बंद होने के कारण यहां उत्पादन बंद है, जबकि मीरा खदान, आमाडांड भूमि खदान, आमाडांड ओसीएम, जमुना १/२, जमुना कॉलरी वर्कशॉप, जमुना कोतमा ७/८ खदान , गोंविदा खदान में सुबह से कोई उत्पादन कार्य नहीं हुए। इसी तरह हसदेव क्षेत्र अंतर्गत आने वाली १० खदानों में बिजुरी, बहेराबांध, कपिलधारा, कुरजा भूमिगत खदान, राजनगर आरओ, राजनगर ओसीएम, झिरिया खदान, बेस्ट जेकडी, तथा हल्दीबाड़ी खदानों में भी उत्पादन नहीं हुआ। कपिलधारा में मात्र १५० टन उत्पादन दर्ज किया गया है। जबकि बिजुरी खदान की क्षमता ६०० टन, बेहराबांध में १६०० टन, कपिलधारा ६०० टन, कुरजा भूमिगत खदान ८०० टन, राजनगर के दो खदानों में १००० टन, झिरिया खदान ४०० टन, बेस्ट जेकड़ी ४००, हल्दीबाड़ी १६०० टन रोजाना है।
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