प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल; नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को दर्शनार्थियों को प्रसाद , स्मृति चिन्ह स्वरूप देने की हुई पहल
अनूपपुरPublished: Jul 13, 2018 08:40:53 pm
प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल; नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को दर्शनार्थियों को प्रसाद , स्मृति चिन्ह स्वरूप देने की हुई पहल
प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल; नर्मदा मंदिर मे पूजित पौधों को दर्शनार्थियों को प्रसाद , स्मृति चिन्ह स्वरूप देने की हुई पहल
जल संरक्षण एवं नदियों के पुर्नजीवन में पौध प्रसाद से प्रकृति संरक्षण की अनूठी पहल, नर्मदा में किया सामूहिक पौधारोपण का उत्कृष्ट प्रयास
अनूपपुर। ‘प्रकृति की गोद में बसा अनूपपुर का अमरकंटक क्षेत्र पूरे प्रदेश में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने का केंद्र रहा है। पूरे प्रदेश में पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण प्रति जागृति लाने के उद्देश्य से की गई नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा का प्रारम्भ एवं समापन इसी क्षेत्र में हुआ है। इस यात्रा ने प्रदेश नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में जल संरक्षण एवं जीवनदायिनी नदियों के पुनर्जीवन की अलख जगाई है। पिछले वर्ष नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों में किए गए वृक्षारोपण में स्थानीय जनों ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए पौधारोपण किए थे। पौधारोपण प्रकृति के स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रथम चरण है। पौधारोपण के साथ उनका पालन पोषण कर उन्हें वृक्ष का रूप प्रदान करने मे सहयोग देना।’ यह बात शहडोल आयुक्त जेके जैन ने नर्मदा परिसर में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा पर्यावरण सुरक्षा की भावना को अमरकंटक की पवित्रता से जोडक़र दोनों ही भावनाओं विशेषकर पर्यावरण सुरक्षा की भावना को और मजबूत किया जाए। इसी भावना को बल प्रदान करने नर्मदा मंदिर अमरकंटक एवं जिला प्रशासन ने अमरकंटक की पावन भूमि में तैयार किए, नर्मदा मंदिर में पूजित पौधों को दर्शनार्थियों को प्रसाद स्वरूप, स्मृति चिन्ह स्वरूप देने की पहल की है। पौधप्रसाद की पहल का मुख्य लक्ष्य अधिकाधिक पौधारोपण, उनके संरक्षण के साथ, प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का प्रकृति से लगाव का भाव लाना है। मुख्य वन संरक्षक एके जोशी ने कहा यदि दर्शनार्थी अपने घर में ले जाकर वृक्षों को लालन पालन करना चाहते हैं तो वे पौधे अपने साथ ले जाए। ऐसा कर पाने में वे असमर्थ हैं तो वृक्षारोपण के लिए भूखंड का चयन पौधों की प्रजाति के अनुकूल किया जा चुका है, उन पौधों का रोपण चिन्हित स्थलों में कर सकेंगे। चिन्हित स्थलों मे पौधों का रखरखाव वन विभाग द्वारा किया जाएगा। कलेक्टर अनुग्रह पी ने कहा यह जुड़ाव न सिर्फ अमरकंटक क्षेत्र वरन समस्त मानव जाति के लिए उदाहरण बनेगा। प्रकृति के सम्मान को अमरकंटक की पहचान बनाने के लिए समस्त दर्शनार्थियों, श्रद्धालुओं एवं प्रकृति प्रेमियों को इन पूजित पौधो की देख रेख कर इन्हें वृक्ष बनाना पड़ेगा।
बॉक्स: गोबर के गमले में पौधे
इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा गोबर से बने गमलों के माध्यम से पौधों को प्रदान करने की पहल भी की गयी। साथ ही गोबर से गमलों को बनाने की मशीन का भी प्रदर्शन कृषि विभाग द्वारा किया गया। गोबर के गमलों से न केवल पशुपालक को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा, साथ यह ही ऐरा प्रथा की रोकथाम में भी सहायक होगा। नर्मदा मंदिर अमरकंटक नीलू महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को बताया की एक वृक्ष की सेवा कर उसे बड़ा करना समाज को 10 योग्य संतानों की सेवा देने के बराबर पुण्य का कार्य है। पौधारोपण कार्यक्रम के पहले ही दिन 2000 श्रद्धालुओं ने पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।