वीडियो कॉन्फ्रेंस तकनीक से होंगे कैदियों के फैसले, न्यायाधीश कर सकेंगे जेल में बंद आरोपियों से सीधा संवाद
अनूपपुरPublished: Mar 27, 2019 09:33:22 pm
सुरक्षा और सुगमता में नई पहल, गम्भीर मामलों में आपराधियों को नहीं आना होगा कोर्ट
वीडियो कॉन्फ्रेंस तकनीक से होंगे कैदियों के फैसले, न्यायाधीश कर सकेंगे जेल में बंद आरोपियों से सीधा संवाद
अनूपपुर। न्यायालय को अपग्रेड करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने की तैयारी में अनूपपुर जिला सत्र न्यायालय सहित कोतमा और पुष्पराजगढ़ खंडपीठों को जिला जेल की वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम रूट से जोड़ दिया गया है। इस विशेष व्यवस्था का उद्घाटन जिला सत्र न्यायाधीश डॉ. सुभाष कुमार जैन ने जेल बिल्डिंग में बनाए गए विशेष वीडियो कॉन्फे्रंसिंग हॉल के फीता काटकर किया। इस दौरान खुद न्यायाधीश ने विशेष कक्ष में बैठकर वीडियो कॉन्फे्रंंस सिस्टम का उपयोग करते हुए उसकी बारीकि जानी और सम्बंधित जेल प्रभारी को विशेष दिशा निर्देश दिए। जिला सत्र न्यायाधीश अनूपपुर डॉ. सुभाष जैन के अनुसार अब विशेष परिस्थितियों में न्यायाधीश जेल में बंद आरोपियों से सीधी संवाद स्थापित कर प्रकरण को आगे बढ़ा पाएंगे। इसके लिए अभियुक्तों(आरोपियों) को भौतिक रूप से न्यायालय में उपस्थित नहीं होना पड़ेगा। इसमें जहां समय बचत के साथ साथ पारदर्शिता लाने व आरोपियों पर पडऩे वाले अतिरिक्त दबाव से बचाया जा सकेगा, वहीं पुलिस बल की कमी, वाहन खराबी या अनुपलब्धता सहित अधिक खर्च व सुरक्षा कारणों में आरोपियों को सुरक्षात्मक सहयोग भी प्रदान किया जा सकेगा। उनके अनुसार यह अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में उपलब्ध कराई गई है। बताया जाता है कि वर्तमान में जिले के तीनों खंडपीठ न्यायालयों का सीधा सम्पर्क वीडिया कॉन्फ्रेंस के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन जेल बिल्डिंग के निर्माण में विलम्बता के कारण इस सुविधा का लाभ अबतक तीनों खंडपीठों को नहंी मिल पाया था। लेकिन अब जिला सत्र न्यायालय सहित अन्य खंडपीठ कोतमा और पुष्पराजगढ़ को इस सुविधा का लाभ मिल पाएगा और हद तक परेशानियों से बचाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन में देश के सभी जेल को न्यायालय से सीधा सम्पर्क करने के निर्देश दिए गए थे। जिसमें सुरक्षा कारणों के साथ साथ न्यायालय में प्रकरणों के बढ़ते दबाव को कम किया जा सके। व्यवहार न्यायाधीश राकेश सनोडिय़ा ने बताया कि ऑनलाईन वीडिया कॉन्फ्रेंस से कैदियों को न्यायालय में भौतिक रूप से लाना उपस्थित करना अनिवार्य नहीं होगा। कभी कभी पुलिस बल या कैदी वाहन की उपलब्धता नहीं होने से आरोपी की अनुपस्थिति में विचारण सम्भव नहीं हो पाता और प्रकरण लम्बे समय के लिए टल जाता है। वहीं वीडिया कॉन्फ्रेंस इस अवरोद्ध को कम करता है साथ ही साथ ऐसे कैदी जिनका सार्वजनिक स्थल से गुजरना खतरनाक होता है, ऐसी परिस्थितियों ममें वीडियो कॉन्फ्रेंस बेहत विकल्प माना गया है। वहीं उनका कहना है कि कोई भी पेशी आरोपी मुलजिम की उपस्थिति में ही सम्भव होता है। इसके अलावा इस सुविधा से कहीं से भी किसी आरोपी की पेशी न्यायालय द्वारा सीधी रूप में किया जा सकेगा।
बॉक्स: पुलिस बल को मिलेगी राहत
एक ओर जहां वीडियो कॉन्फ्रेंस से न्यायालय व अभियुक्तों की बीच सीधे संवाद प्रकरणों का निराकरण करने में सहायता मिलेगी, वहीं गम्भीर आरोपियों को न्यायालय तक लाने-ले जाने के दौरान उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिस जवानों को भी राहत मिलेगी। वहीं कैदियों को न्यायालय तक लाने व ले जाने में शासकीय व्यय को भी कम किया जा सकेगा।