गांव के पांव: गांव में बनी देव स्थली से नाम पड़ा दैखल, कोयला खुदाई में निकली थी देवी प्रतिमाएं
अनूपपुरPublished: Dec 05, 2020 11:46:17 am
गांव पर हमेशा दैवीय कृपा बनी रही, भीषण अकाल तथा सूखे की स्थिति में भी यहां ग्रामीणों को नहीं उठानी पड़ी परेशानी
गांव के पांव: गांव में बनी देव स्थली से नाम पड़ा दैखल, कोयला खुदाई में निकली थी देवी प्रतिमाएं
अनूपपुर। अनूपपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत दैखल का नाम पूर्व में देवस्थल के रूप में प्रचलित था, जहां दैवीय प्रतिमाएं खुदाई के दौरान निकलने के कारण इस गांव का नाम देव स्थल के रूप में पड़ा, जो बोलचाल की भाषा में धीरे धीरे परिवर्तित होते होते देवस्थल से दैखल के रूप में उपयोग होने लगा। ग्रामीणों के अनुसार इस गांव पर हमेशा दैवीय कृपा बनी रही एवं भीषण अकाल तथा सूखे की स्थिति में भी यहां ग्रामीणों को परेशानी नहीं उठानी पड़ी। वर्ष 1983 से पहले यह गांव ग्राम पंचायत परासी का हिस्सा हुआ करता था। जिसके बाद पहली बार 1983 में इसे पंचायत बनाया गया और तब इसका नाम देव स्थल से दैखल के रूप में परिवर्तित हुआ। यहां की आबादी ३ हजार के आसपास है। यह अनूपपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत दैखल के अंतर्गत आता है। कुछ लोगों का कहना है कि पूर्व दइखल गांव कहा जाता था, क्योंकि यह गांव घने जंगल के बीच बसा हुआ था, जंगली जानवरों की तादाद अधिक थी। बाद में कॉलरी द्वारा भू-अर्जन किया गया, जिसमें उसने धीरे धीरे आदिवासी परिवारों को विस्थापित करते हुए जमीनों को दखल करते कोयला निकालना आरम्भ कर दिया। पुरानी बस्ती पूरी तरह खत्म हो गई, आदिवासी परिवार नए स्थानों पर निवास बनाने लगे। कॉलरी के द्वारा दखल कर जमीन कब्जा करने को बाद में ग्रामीणों ने इसे दैखल कहना शुरू कर दिया।
बॉक्स: कॉलरी के आने के बाद टूटे देवी स्थल
ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच ६२ वर्षीय लालजी सिंह बताते हैं कि गांव में स्थित धार्मिक स्थलों तथा खुदाई के दौरान निकली प्रतिमाओं के कारण इस गांव का नाम दैखल पड़ा। कोयला खुदाई के दौरान वट वृक्ष के नीचे मंदिर को तोडऩे जब डोजर मशीन पहुंचा था तो वृट वृक्ष को हटाने के दौरान मशीन खराब हो गई थी। किसी तरह मशीन को हटाया गया था। बाद में कॉलरी ने मंदिर और वट वृक्ष को हटा दिया।
बॉक्स: पूर्व में धार्मिक स्थलों का प्रमुख केंद्र था गांव
गांव के वरिष्ठ नागरिक 82 वर्षीय मंगल पुरी का कहना है कि पूर्व में दैखल आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में प्रचलित था, तथा खुदाई के दौरान देवी प्रतिमाएं इस गांव में पाई गई थी। जिसके कारण इसे देव स्थल के रूप में जाना जाता था। वर्तमान में कुछ प्रतिमाएं अब भी हनुमान मंदिर में स्थापित हैं।
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