जर्जर सडक़ से ग्रामीण पहुंचेंगे मेला स्थली, अव्यवस्थाओं में सीतापुर व थानगांव का घोघराधाम मकर संक्रांति मेला
बर्षो से आयोजित मेले की सुविधा के लिए पंचायत व प्रशासन ने नहीं बनाई व्यवस्था

अनूपपुर। अनूपपुर जिला मुख्यालय स्थित सीतापुर गांव, बिजुरी नगर से सटे घोघरा धाम में प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर मेले का आयोजन होता है। जहां नगर समेत आसपास के दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीण इस मेले में शामिल होते हैं। यह मेला स्थल स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक माना जाता है। लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान मेले के लिए प्रशासन की मिली छूट बाद भी प्रशासकीय स्तर पर मेले की तैयारी नहीं की गई है। दशकों से आयोजित होने वाले इन मेला स्थल तक पहुंचने का रास्ता काफी जर्जर है। जिस वजह से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करते हुए मेला स्थल पहुंचना पड़ता है। बताया जाता है कि सीतापुर गांव में लगने वाले दो दिवसीय मेले के लिए मार्ग सहित अन्य व्यवस्थाएं अधूरी है। जबकि ग्राम पंचायत थानगांव के जूनहा टोला से घोघरा तक लगभग डेढ़ किलोमीटर की सडक़ जर्जर है। इसके साथ ही संकीर्ण भी है, जहां दोनों तरफ से जीप, कार जैसे वाहन आ जाए तो जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। वहीं जर्जर सडक़ में यह जाम और भी परेशानी का सबब बन जाता है। बावजूद ग्राम पंचायत या जिला प्रशासन द्वारा मेले की व्यवस्थित बनाने आजतक पहल नहीं की गई है। मेले में शामिल होने वाले हजारों श्रद्धालुओं को प्रतिवर्ष यह परेशानी उठानी पड़ती है।
बॉक्स:10 वर्ष पूर्व बनी थी ग्रेवल सडक़
ग्राम पंचायत द्वारा 10 वर्ष पूर्व जुनहा टोला से घोघरा तक डेढ़ किलोमीटर ग्रेवल सडक़ का निर्माण कराया गया था। तब से आज तक यही सडक़ आने जाने का मुख्य मार्ग है। जहां मकर संक्रांति के दिन वाहनों की आवाजाही से धूल डस्ट व जाम की समस्या का सामना श्रद्धालुओं को करना पड़ता है। इसको देखते हुए श्रद्धालुओं के द्वारा इस सडक़ का चौड़ीकरण करते हुए सीसी सडक़ निर्मित कराए जाने की मांग प्रशासन से की गई है।
बॉक्स: अमरकंटक मेले की भी नहीं तैयारी
मकर संक्रांत के मौके पर अमरकंटक में भी मेले का आयोजन होता है जहां हजारों श्रद्धालु स्नान और मां नर्मदा के पूजन उपरांत मेले का आनंद लेते हैं। लेकिन यहां भी नगरीय प्रशासक द्वारा मेले की तैयारी नहीं की गई है। मंदिर परिसर तक पहुंच मार्ग तत्कालिक ढलाईयुक्त बना है, जहां दोनों किनारों पर मिट्टी की भराई नहीं हो सकी है। इसके अलावा पानी के लिए पानी टैंकर की सुविधा तैयार रखी गई। लेकिन मेले के दौरान शौचालय सुविधा गौण हो गई है। कम संख्या में चलित शौचालय हजारों में नाकाफी साबित होता है। जबकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को वाहन पार्किंग की समस्या से जूझना पड़ेगा।
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