मौसम की मार, बारिश के साथ गिरे ओले, खेतों में खड़ी रबी की फसलों को नुकसान
अनूपपुरPublished: Jan 11, 2022 09:43:35 pm
उपार्जन केन्द्रों पर भंडारित हजारों क्विंटल धान फिर गीला, मौमस की की मार में उपार्जन प्रभावित


मौसम की मार, बारिश के साथ गिरे ओले, खेतों में खड़ी रबी की फसलों को नुकसान
अनूपपुर। पिछले दो सप्ताह से मौसम में लगातार हो रही तब्दीली में १० जनवरी की दोपहर अचानक बदले मौसम के मिजाज में तेज बारिश के साथ ओलो की भी बौछार बरसी। जिसमें खेतों में खड़ी रबी की फसल की फसलों को नुकसान पहुंचा है। वहीं तेज हवाओं के साथ बारिश का सिलसिला बना हुआ है। जिसमें जिले में धान खरीदी केन्द्रों पर असुरक्षित भंडारित हजारों क्विंटल धान फिर भीग गए हैं। जिले में तेज बारिश के साथ ओलावृष्टि होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीर खींच आई है। राजस्व अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में पटवारी से किसानों के खेतों में होने वाले नुकसान की जानकारी मांगी है। अधीक्षक भू-अभिलेख विभाग ने बताया कि मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार मौसम में तब्दीली आई है, जिसमें ८ जनवरी से लगातार बारिश का सिलसिला बना हुआ था। लेकिन १० जनवरी की सुबह हल्की खिली धूप के बाद दोपहर अचानक आसमान में काले बादल छाए गए और चंद घंटो के दौरान ही बारिश की बौछार आरंभ हो गई। इस बौछार के शुरू में ही आंवले से कम छोटे आकार में ओलावृष्टि आंरभ हुई। यह दो-तीन मिनट तक बरसती। जिसके बाद तेज बारिश में ओलावृष्टि बंद हो गई। लेकिन ५ मिनट के उपरांत फिर से आंवला आकार में ओलावृष्टि आरंभ हुई और २-३ मिनटों के बाद पुन: बंद हो गई। अधीक्षक भू-अभिलेख विभाग एसएस मिश्रा ने बताया कि ओलावृष्टि का यह क्रम कहीं ज्यादा और कहीं कम मात्रा में गिरा है। इससे रबी की फसलों को अधिक नुकसान नहीं होगा। लेकिन दलहनी तैयार हो रही फसलें खासकर मटर, अरहर, मसूर और चना की फसलें अवश्य प्रभावित होगी। गेहूं की फसलों को भी ओलावृष्टि से नुकसान होगा, पौधो चोटिल हो जाएंगे और आगामी उत्पादन प्रभावित होगा। फिलहाल तेज हवाओं के साथ बारिश की बौछार जारी है। कृषि विभाग की जानकारी के अनुसार इस वर्ष २०२१-२२ के लिए जिले में रबी की ८८.०४ हजार हेक्टेयर भूमि लक्षित की गई है। जिसमें गेहूं के लिए ३२.५० हजार हेक्टेयर, जौ एवं अन्य अनाज के लिए ०.३२ हजार हेक्टेयर, चना १५.५० हजार हेक्टेयर, मटर ३.५० हजार हेक्टेयर, मसूर १९ हजार हेक्टेयर, सरसो ८ हजार हेक्टेयर, अलसी ९.२० हजार हेक्टेयर, गन्ना ०.०२ हजार हेक्टेयर रकबा है। इनमें ३८ हजार हेक्टेयर में दलहनी फसल के लक्ष्य रखे गए हैं। जिसमें चना १५.५० हजार हेक्टेयर, मटर ३.५० हजार हेक्टेयर, मसूर १९ हजार हेक्टेयर में बोई गई है।
बॉक्स: असुरक्षित भंडारित हजारों क्विंटल धान फिर गीली, नहीं हुआ परिवहन
सोमवार की दोपहर अचानक ओलावृष्टि के साथ तेज हुई बारिश में जिले के ३० केन्द्रों पर उपार्जित कर भंडारित रखे गए २ लाख क्विटंल धान में हजारों क्विंटल धान फिर गीली हो गई। इससे पूर्व दो दिन हुई बारिश में सोसायटी प्रबंधकों व जिला प्रशासन ने इसे कम बारिश में अधिक नुकसान से इंकार किया था। लेकिन १० जनवरी की दोपहर से जारी बारिश में जगह जगह पानी भर गए हैं, बिना तिरपाल और खुले आसमान के नीचे रखे गए धान की बोरियां पूरी तरह से पानी से गीली हो गई है। इसके अलावा उपार्जन केन्द्रों पर बिना सीमेंट की बनी बेस पर स्टैक लगी धान की बोरियां दलदलनुमा जमीन में गीली पड़ी है। आशंका है कि इनमें अधिक नुकसान नुकसान होंगे।
बॉक्स: लक्ष्य के अनुरूप नहीं होगा उपार्जन, ४ दिन शेष
इस वर्ष जिले में लक्षित किए गए ९ लाख क्विंटल धान उपार्जन का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। अब तक १० हजार से अधिक किसानों से की गई खरीदी में ५ लाख २५ हजार क्विंटल धान की खरीदी हो सकी है। जबकि किसानों से धान खरीदी की अंतिम तिथि १५ जनवरी के शेष ४ दिन बचे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ९ लाख क्विंटल की जगह ७ लाख तक धान की खरीदी हो पाएगी। इसका मुख्य कारण बिचौलियों से धान की खरीदी नहीं होना मुख्य कारण बताया गया है।
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