scriptये क्या? जिंदगी और मौत से जूझ रही मानसिक अस्वस्थ्य महिला, जिला अस्पताल में काउंसलिंग के नहीं लिए मन कक्ष | what is this? Mental unhealthy woman struggling with life and death, m | Patrika News

ये क्या? जिंदगी और मौत से जूझ रही मानसिक अस्वस्थ्य महिला, जिला अस्पताल में काउंसलिंग के नहीं लिए मन कक्ष

locationअनूपपुरPublished: Jun 13, 2018 09:17:04 pm

Submitted by:

shivmangal singh

ये क्या? जिंदगी और मौत से जूझ रही मानसिक अस्वस्थ्य महिला, जिला अस्पताल में काउंसलिंग के नहीं लिए मन कक्ष

what is this? Mental unhealthy woman struggling with life and death, m

ये क्या? जिंदगी और मौत से जूझ रही मानसिक अस्वस्थ्य महिला, जिला अस्पताल में काउंसलिंग के नहीं लिए मन कक्ष

सूचना पटल में दर्ज जमीनी स्तर से गायब मन कक्ष: सालभर के बाद भी मनकक्ष को नहीं मिला स्थायित्व
अनूपपुर। जिला अस्पताल में मरीजों की जान से खिलवाड़ में अस्पताल प्रशासन लापरवाही करने से कोई गुरेज नहीं कर रही है। लापरवाही का आलम है कि स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा वर्ष २०१७ में मानसिक तनावग्रस्त लोगों को काउंसलिंग के माध्यम से जीवन की मुख्य धारा से जोडऩे आरम्भ किया गया मन कक्ष योजना सालभर बाद भी जिला अस्पताल की सरजमीं पर स्थापित नहीं सकी है। भले ही अस्पताल प्रशासन ने उसके प्रचार प्रसार के लिए पूरे जिला अस्पताल परिसर में पम्पलेट चस्पा कर जानकारी प्रदान कर दी है। इसके अलावा जिला अस्पताल मुख्य प्रवेश द्वार पर मार्गदर्शिका पटल में मनकक्ष वार्ड का कमरा नम्बर भी अंकित बता दिया है कि सम्बंधित कक्ष में मनकक्ष का संचालन किया जा रहा है। लेकिन जमीन स्तर पर सम्बंधिक कमरा नम्बर में डायलसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है। इसके कारण मानसिक तनाव या मानसिक अस्वस्थ्यता का उपचार कराने जिला अस्पताल आने वाले मरीजों का काउंसलिंग नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि पिछले एक सप्ताह से लगभग ५० वर्षीय महिला अपनी मानसिक अस्वस्थ्यता में जीवन और मौत के बीच जूझ रही है। लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा उसे जिंदा रखने कोई उपचार या अन्य वैकल्पिक कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यहां तक महिला के खाने-पीने से लेकर उसके कपड़े के बदलने का कार्य सफाई कर्मचारी या अन्य लोगों द्वारा किया जा रहा है। अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि पूर्व में कमरा नम्बर ३८ का मनकक्ष के लिए चयन किया गया। जिसे बाद में डायलसिस यूनिट बनाकर उसे पूर्व प्रसव कक्ष में संचालित कराने की योजना बनाई। लेकिन बाद में उसे बर्न वार्ड बना दिया गया। इसके बाद महिला वार्ड के बगल कक्ष में संचालित कराने के लिए चयन किया गया। लेकिन चाईल्ड वार्ड संचालन के कारण उसे हटाकर डॉक्टर कक्ष में ही संचालित करने की बात कही। बावजूद इन उलटफेर के बाद भी मनकक्ष का जिला अस्पताल में अस्तित्व स्थापित नहीं हो सका। वहीं मामले में डॉक्टर भी अपनी जबावदेही से पल्ला झाड़ कारणों की जानकारी नहीं दे रहे हैं।
मानसिक तनाव से प्रभावित मरीजों में आत्महत्या जैसे प्रकरणों की आ रही बढोत्तरी तथा अवसाद ग्रस्त लोगों को काउंसलिंग के माध्यम से मुक्ति दिलाते हुए समाज से जोड़े रखने के लिए वर्ष २०१७ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मनकक्ष योजना का शुभारम्भ किया गया। जिसमें प्रत्येक जिला अस्पताल में एक विशेष वार्ड का निर्माण कर डॉक्टरों के माध्यम से नियमित काउंसलिंग व उपचार अनिवार्य किया गया। अनूपपुर जिला अस्पताल में भी मन कक्ष के लिए लाखों रूपए का प्रॉजेक्ट तैयार कर वार्ड बनाए गए। यहां तक कुछ स्टाफों को प्रशिक्षण देकर इसके लिए नियुक्त किया गया। लेकिन वार्ड व डॉक्टरों के अभाव में कोई भी मरीज अपने तनावग्रस्ता के उपचार के लिए कदम नहीं रखा। जबकि नियमानुसार ऐसे मरीजों को आवश्यकतानुसार भर्ती कर भी मानसिक रूप में तनाव दूर करने की प्रक्रिया होनी चाहिए थी।
बॉक्स: कागजों में दर्ज हकीकत से गायब
पत्रिका पड़ताल में पाया गया कि जिला अस्पताल के प्रवेश गेट पर लगाए गए मार्गदर्शिका में कमरा नम्बर ३८ को मनकक्ष के रूप में प्रदर्शित किया गया है। जबकि कमरा नम्बर ३८ डायलसिस वार्ड के रूप में संचालित है। इसके अलावा पोस्टर पर लिखे गए पते पर चाईल्ड वार्ड या अन्य वार्ड बने हुए हैं।
बॉक्स: अस्पताल पुलिस को नहीं दे रही सूचना
अस्पताल परिसर में मानसिक अस्वस्थ्य आने वाले मरीजों के सम्बंध में अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस चौकी अस्पताल परिसर में भी जानकारी नहीं दी जा रही है। सम्भव है कि पुलिस द्वारा भेजी गई सूचना में सम्बंधित मानसिक विक्षिप्त लोग के परिजन सामने आए जाए। या किसी मौत के उपरांत उसके शवों को परिजनों का सुपुर्द कर सके। फिलहाल जिला अस्पताल की स्थिति में मानसिक परेशान लोगों ने जिला अस्पताल से दूरी बना ली है।
वर्सन:
मनकक्ष के लिए वार्ड बनाए गए थे। अगर वहां वार्ड का संचालन नहीं हो रहा है तथा मार्गदर्शिक पटल में कमरा आवंटित है तो उसका शीध्र ही व्यवस्था बनाया जाएगा।
डॉ. आरपी श्रीवास्तव, सीएमएचओ अनूपपुर।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो