ये क्या?….कागजों में स्मार्ट प्रक्रिया; सिटी की वास्तविकताओं से दूर अमरकंटक, 18 करोड़ की सीवर लाइन टेंडर भी जारी, नहीं खुदी जमीन
अनूपपुरPublished: Jun 23, 2018 08:29:22 pm
ये क्या?….कागजों में स्मार्ट प्रक्रिया; सिटी की वास्तविकताओं से दूर अमरकंटक, १८ करोड़ की सीवर लाइन टेंडर भी जारी, नहीं खुदी जमीन
ये क्या?….कागजों में स्मार्ट प्रक्रिया; सिटी की वास्तविकताओं से दूर अमरकंटक, 18 करोड़ की सीवर लाइन टेंडर भी जारी, नहीं खुदी जमीन
सीवरलाईन के जारी टेंडर, नहीं खुदी जमीन, १३ करोड़ से बनने वाली सडक़ों की भी नहीं रूपरेखा
बॉक्स: बारिश के दौरान कैसे होगा निर्माण कार्य
अनूपपुर। प्रदेश की धरोहर तथा पर्यटन स्थलों में शामिल पवित्र नगरी अमरकंटक अनूपपुर जिला बनने के १५ साल बाद भी देश के मानचित्र पर एक स्मार्ट सिटी के रूप में उभर नहीं सकी है। बीहड़ जंगलों व मैकल पर्वत श्रृखलाओं में विराजमान नर्मदा उद्गम स्थली आज भी सामान्य तीर्थस्थलों के रूप में नजर आ रही है। अमरकंटक की लोकप्रियता में दिनोंदिन देश-विदेश से आ रहे पर्यटकों तथा सालाना ३०-३२ लाख पर्यटकों की आवाजाही में स्थल को वृहत रूप में शहर के रूप में उभारने की आवश्यकताओं पर वर्ष २०१३ से इसे स्मार्ट सिटी बनाने पर सहमति हुई। लेकिन प्रशासकीय लापरवाही के कारण नर्मदा धाम अमरकंटक को स्मार्ट सिटी बनाने में अबतक सिर्फ कागजी कार्रवाईयां पूर्ण की गई है। इससे पूर्व २०१४, २०१५ तथा २०१६ में खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा इसे दोबारा स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की गई। जानकारी के अनुसार वर्ष २०१७ में अमरकंटक को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए जिला प्रशासन कलेक्टर अजय शर्मा की अध्यक्षता में मानीटरिंग समिति की बैठक सर्किट हाउस अमरकंटक में आयोजित हुई। जिसमें नगरपरिषद अमरकंटक की अध्यक्ष, नगरीय प्रशासन विभाग जबलपुर एवं रीवा से आए अभियंता, सीएमओ कंसलटेंट प्रतिनिधियों ने अमरकंटक को स्मार्ट सिटी के रूप में उभारने पर चर्चा करते हुए पवित्र नगरी अमरकंटक को स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में १८ करोड़ की लागत से सीवर लाइन के लिए टेंडर भी जारी कर दिए। जबकि भव्य अमरकंटक के लिए कंसलटेंट गोंडवाना इंजीनियर्स द्वारा प्रस्तुतीकरण करते हुए खूबसूरत अमरकंटक स्मार्ट सिटी के स्वरूप में दिखा गया। इस दौरान उपस्थित समिति के सदस्यों द्वारा आवश्यक सुझाव भी दिए गए। लेकिन आलम यह कि सालभर बाद भी अमरकंटक में स्मार्ट सिटी बनाने जैसी कोई भी पहल आरम्भ नहीं हो सकी। १८ करोड़ से बनने वाली सीवर लाईन की खुदाई तो क्या उसके लिए लाईनों के खांके भी नहीं खींचे गए। अमरकंटक को भव्य सिटी बनाने के लिए नगरीय क्षेत्र में प्रथम चरण में 13 करोड रुपयों की लागत से सडकों का निर्माण कराया जाता। रामघाट के दोनों छोरों का सौन्दर्यीकरण एवं विकास, आदिवासी म्यूजियम, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच का निर्माण तथा क्रीडा परिसर के पीछे वाले भाग में प्रधानमंत्री आवास निर्माण के प्रस्ताव बनाकर उसे क्रियान्वयन किया जाना था। लेकिन सारी की सारी योजनाएं प्रजेंटेंशन के रूप में कागजों में ही दफन होकर रह गए। परिणामस्वरूप सीवर लाईन के अभाव में नगर का मल-मूत्र सहित अन्य गंदगी चंद फासले पर उद्गमित नर्मदा से सरोबर के रूप में बहती जलधारा में समा रही है। कहने को पवित्र नर्मदा वास्तविकताओं में गंदगी और प्रदूषण से गंगा और यमुना जैसी स्थिति में पहुंच गई है।
नगरवासियों का कहना है कि नगर प्रशासन हर वर्ष स्मार्ट सिटी के नाम पर नगरीय क्षेत्र में अतिक्रमणों को हटाने का कार्य करती रही है। लेकिन सिटी निर्माण के लिए कभी कोई कार्य आरम्भ नहीं की। यहां तक खुद नगरीय क्षेत्र में बनी नालियों से आने वाली प्रदूषित जल को रोकने का भी प्रयास नहीं की। जबकि अमरकंटक के लिए निर्धारित शौचालय निर्माण के लक्ष्य भी अबतक अधूरे हैं।
बॉक्स: सप्ताह बाद कैसे होगा निर्माण
नगरपरिषद अमरकंटक सीएमओ का कहना है कि सीवरलाईन का निर्माण कार्य एक सप्ताह बाद आरम्भ हो जाएगा। लेकिन आश्चर्य जब जून के बाद कम से कम तीन माह तक मानसून मौसम में निर्माण कार्यो की अनुमति शासन नहीं देती तो नगरपरिषद शासकीय प्रस्तावों का निर्माण कार्य मानसून माह के दौरान कैसे कराएगी। जबकि अमरकंटक में मानसून के दौरान अधिक बारिश गिरती है। यानि सप्ताहभर के नाम पर स्मार्ट सिटी बसाने का फिर से झुनझुना खुद नगरपरिषद थमा रही है।
वर्सन:
सीवर लाईन के निर्माण के लिए टेंडर जारी है। एकाध सप्ताह में कंपनी द्वारा निर्माण कार्य आरम्भ कराया जाएगा। शेष सडक़ों के निर्माण की भी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
सुरेन्द्र सिंह उईके, सीएमओ नगरपरिषद अमरकंटक