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साल बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील नहीं हो सका प्राथमिक स्वास्थ्य

locationअनूपपुरPublished: May 24, 2019 12:41:04 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

गम्भीर मरीज जिला अस्पताल हो रहे रेफर, परिजनों की बढ़ती है परेशानी

Year after, the primary healthcare could not be transformed into a com

साल बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील नहीं हो सका प्राथमिक स्वास्थ्य

अनूपपुर। आधा दर्जन कॉलरी खदानों के साथ पचास हजार से अधिक आबादी वाले क्षेत्र से घिरी बिजुरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मरीजों के उपचार में अब अपर्याप्त साबित हो रहा है। पिछले ७० सालों से प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर बनी व्यवस्था में मरीजों को गम्भीर उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा प्रसूताओं के भी हालात गम्भीर होने पर तत्काल जिला अस्पताल का रास्ता मापना उनकी मजबुरी बन गई है। इसमें दोनों ही स्थिति में मरीजों के लिए अधिक नुकसान दायक साबित होता है। जबकि जिला अस्पताल के अलावा जिले के अन्य ७ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, १६ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा १८२ उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर गम्भीर उपचार के लिए कोई सुविधा नहीं है। जिसे देखते हुए स्थानीय सुविधओं के साथ मरीजों की तत्काल स्वास्थ्य लाभ की मांग में नगरवासियों व जनप्रतिनिधियों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की जगह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की मांग की थी। नगरवासियों की मांग में तत्कालीन प्रदेश मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव पर सहमति प्रदान करते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने की घोषणा की। वहंी हाल के दिनों में वर्तमान कोतमा विधायक ने भी नगरवासियों द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की मांग किए जाने पर जल्द ही उन्नयन का आश्वासन दिया। लेकिन दो साल से सीएचसी की आस लिए बिजुरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आज भी एक डॉक्टर तथा चार अन्य स्टाफ नर्सो के भरोसे स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का संचालन किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं के कारण सामान्य मरीजों का ही उपचार सम्भव है। गम्भीर मरीजों के संसाधनों का अभाव है। जिसके कारण ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद तत्काल जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिजुरी से अनूपपुर की अधिक दूरी तथा वहां से भी रेफरल की सम्भावनाओं के कारण यहां के परिजन अपने मरीजों को बिलासपुर या मनेन्द्रगढ़ केन्द्रीय अस्पताल ले जाते हैं। जबकि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिजुरी नगर, केनापार, कुर्जा, डोंगरिया, भाठाडांड, थानगांव, बेलगांव, बहेराबांध, नगाराबांध, बेलिया, मौहरी, सहित अन्य दर्जनों गांव के साथ साथ जंगली जानवरों के हमले में घायल होकर आने वाले मरीजों की तादाद अधिक बनी रहती है।
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