ऑनलाइन दर्ज करने का काम बंद
जमीनों का ऑनलाइन रिकॉर्ड एनआईसी सॉफ्टवेयर पर है, लेकिन अब एनआईसी की जगह वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर लागू किया जा रहा है। इसके लिए 31 अगस्त से सभी तहसीलों में होने वाले जमीनों के संसोधनों को ऑनलाइन दर्ज करने का काम बंद कर दिया गया है।
संसोधन नहीं हो पाने से किसान परेशान
साथ ही इसके लिए सभी तहसीलों में सूचना भी चस्पा कर दी गई है कि भू-अभिलेख एवं बंदोवस्त आयुक्त के निर्देशानुसार जिले की समस्त तहसीलों में एनआईसी सॉफ्टवेयर में भू-अभिलेख संसोधन कार्य नवीन वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर लागू होने तक पूर्णत: बंद है। नतीजतन जिले में 31 अगस्त से जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड में संसोधन नहीं हो पाने से किसान परेशान हो रहे हैं।
रोज 400 संसोधन हो रहे थे ऑनलाइन दर्ज, जो अब रुके-
जमीनों के नामांतरण, बंटवारा, बैंक बंधक, बैंक मुक्ति, फोती नामांतरण, नाम संसोधन सहित कई तरह के संसोधन होते हैं। जिन्हें अधिकारियों के आदेश के बाद सॉफ्टवेयर में ऑनलाइन दर्ज कराना पड़ता है। ऐसे जिलेभर की सभी सात तहसील में रोज करीब 400 संसोधन ऑनलाइन दर्ज हो रहे थे, लेकिन अब सॉफ्टवेयर पर काम बंद होने से 31 अगस्त की स्थिति में खसरा-खतौनी की नकलें तो किसानों व जमीन मालिकों को दी जा रही हैं, लेकिन बदलाव दर्ज न होने से लोग भटक रहे हैं।
कारण: ऑनलाइन रिकॉर्ड में बदलाव न बने परेशानी-
जमीनों के ऑनलाइन रिकॉर्ड के लिए वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर लागू किया जा रहा है, लेकिन इस सॉफ्टवेयर में जून 2018 तक का ही रिकॉर्ड है। इसलिए भू-अभिलेख कार्यालय ने 31 अगस्त तक का जमीनों का रिकॉर्ड इस सॉफ्टवेयर में दर्ज करने के लिए भेजा है। ताकि वेब जीआईएस लागू होते ही लोगों को 31 अगस्त तक का रिकॉर्ड मिल सके और यदि इस बीच में संसोधन दर्ज कराए तो वह वेब जीआईएस में शामिल नहीं हो पाएंगे और इससे लोगों की समस्या बढऩे की आशंका थी।
21 जिलों को वेब जीआईएस पर डाटा अपडेशन का कार्य चल रहा है। यह कार्य आयुक्त भू-अभिलेख कार्यालय में हो रहा है और वहीं से वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर लागू होना है। सॉफ्टवेयर कब लागू होगा, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
राहुल बैरागी, जिला कॉर्डीनेटर वेब जीआईएस
वेब जीआईएस पर 31 अगस्त तक का डाटा दर्ज हो रहा है, इसलिए एनआईसी पर नए संसोधनों को दस दिन तक के लिए रोक दिया है। ताकि वेब जीआईएस और एनआईसी के रिकॉर्ड में कोई बदलाव न हो। जल्दी ही वेब जीआईएस लागू हो जाएगी और उसके बाद यह संसोधन उस पर दर्ज होंगे।
नरेंद्र पांडे, अधीक्षक भू-अभिलेख कार्यालय अशोकनगर