टॉयलेट के गेट पर कपड़ा ताने रहते परिजन
जिस आईसीयू वार्ड में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं, वहां मरीज व उनके अटेंडर कई दिक्कतों का सामना करने को मजबूर हैं। जहां वार्ड के टॉयलेट में गेट में दरवाजा ही नहीं है। यदि किसी मरीज को टॉयलेट का इस्तेमाल करना है तो मरीज के अंदर जाते ही, अटेंडरों को गेट पर कपड़ा तानकर ओट करना पड़ती है। जब तक मरीज अंदर रहता है, तब तक अटेंडर इसी तरह गेट पर कपड़ा तानकर खड़े रहते हैं।
यह मामला है जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड का है, यहां गंभीर मरीजों से वार्ड पूरा भरा हुआ है, साथ ही अटेंडर भी मरीजों के साथ रहने से वार्ड में हमेशा भीड़ बनी रहती है। लेकिन आईसीयू वार्ड की टॉयलेट में दरवाजा न होने से मरीजों व उनके अटेंडरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे दिन हो या रात, किसी न किसी मरीज का अटेंडर को टॉयलेट के गेट पर कपड़ा तानकर खड़ा हुआ देखा जा सकता है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनकी इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मरीजों के परिजनों ने बताया कि आईसीयू वार्ड में ज्यादातर मरीज ऐसे भर्ती हैं, जो खुद चलकर टॉयलेट तक नहीं जा सकते। इसलिए वार्ड में उन्हें उठाकर टॉयलेट में ले जाना पड़ता है। ऐसे में गेट पर दरवाजा न होने की वजह से एक व्यक्ति को गेट पर कपड़ा तानकर खड़ा रहना पड़ता है। वहीं एक व्यक्ति को मरीज को लाने ले जाने में सहायता करनी पड़ती है। इससे मरीजों को अपने साथ दो से तीन अटेंडर लेकर आना पड़ता है। ताकि मरीज के टॉयलेट में जाते ही गेट पर कपड़ा तानकर ओट की जा सके।
कुछ समय पहले ही आईसीयू वार्ड के टॉयलेट को ऊंचा बनवाया गया है, लेकिन तीन दिन पहले यहां का दरवाजा अचानक टूट गया। इससे कई मरीजों के परिजनों को टूटा हुआ दरवाजा ही गेट पर पकड़कर खड़े रहना पड़ता था। लेकिन टूटा हुआ दरवाजा मरीज पर गिरने का डर बना रहता है। इससे मरीज व उनके परिजन इस समस्या से परेशान हैं। जहां रोजाना डॉक्टर व स्टाफ नर्स इस समस्या को देखते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसे सुधरवाने पर ध्यान नहीं दिया।
मरीज के अंदर जाते ही या तो टूटा हुआ दरवाजा गेट पर पकड़कर खड़े रहना पड़ता है, या फिर चादर या शॉल तानकर गेट को बंद करके रखना पड़ता है। ऐसे में फिसलकर भी गिरने का डर बना रहता है।
मरीज को टॉयलेट के लिए अंदर जाने में भी परेशानी होती है, इसलिए उन्हें वहां तक पहुंचाने में एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति को कपड़ा तानकर खड़े रहने के लिए आना पड़ता है।
-पूजा रघुवंशी, अटेंडर
फैंफड़ों में इन्फेक्शन होने से बेटी भर्ती है, जहां टॉयलेट में दरवाजा न होने से मरीज के साथ दो से तीन अटेंडरों को रहना पड़ता है। इससे लोग परेशान होते हैं।
-सुनीतासिंह, अटेंडर