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सरपंचों पर कांग्रेस के पक्ष में वोट कराने दबाव बना रहा था उपयंत्री, जिला सीईओ ने की कार्रवाई

locationअशोकनगरPublished: Apr 24, 2019 12:35:50 pm

Submitted by:

Arvind jain

निर्वाचन आयोग से हुई शिकायत पर कार्रवाई,- जिला पंचायत के उपाध्यक्ष ने की थी निर्वाचन आयोग से शिकायत, जांच के बाद हुई कार्रवाई।

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अशोकनगर. सरपंचों पर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में वोट करवाने का दबाव बनाने के आरोप में जिला पंचायत सीईओ ने उपयंत्री के खिलाफ कार्रवाई की है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने यह आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग के एनजीएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई थी। जांच में शिकायत सही पाए जाने पर जिला पंचायत सीईओ ने कार्रवाई ने उपयंत्री को कार्यमुक्त कर दिया है और उपयंत्री की संविदा वृद्धि न करने का आदेश जारी किया है।


जिला पंचायत उपाध्यक्ष इरमतसिंह रघुवंशी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि जनपद पंचायत ईसागढ़ में पदस्थ संविदा उपयंत्री माधौसिंह रघुवंशी द्वारा सरपंचों पर कांग्रेस के पक्ष में वोट कराने का दबाव बनाया जा रहा है। शिकायत पर सहायक परियोजना अधिकारी आरके पारीक को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता की ओर से चार लोगों के कथन कराए, जिसमें उन्होंने शिकायत का समर्थन किया।

वहीं उपयंत्री माधौसिंह रघुवंशी ने बचाव साक्ष्य दर्ज किए। शिकायत सही पाए जाने पर जिला सीईओ अजय कटेसरिया ने आदेश जारी कर कहा संविदा पर नियुक्त संविदाकर्मी की संविदा अवधि पूर्ण होने पर नियुक्ति स्वमेव समाप्त मानी जाएगी। साथ ही जिला सीईओ ने आदेश जारी किया है कि उपयंत्री माधौसिंह रघुवंशी की वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए संविदा सेवा वृद्धि न की जाए और कार्यभार वापस लेकर कार्यमुक्त कर आदेश जारी कर दिया है।


शिकायती फोटो को किया उपयंत्री ने स्वीकार-
शिकायत के फोटो भी जिपं उपाध्यक्ष ने दिए थे और इन फोटो को बचाव पक्ष ने स्वीकार किया। फोटो में उपयंत्री माधौसिंह ढ़ाकोनी में ढ़ाबे पर कांग्रेस मंडल अध्यक्ष हरदीप रंधावा, दयालपुर सरपंच पंजाबसिंह गुर्जर के पुत्र, वीरेंद्रसिंह, पाकरोड सरपंच के साथ बैठे हुए थे। कांग्रेस मंडल अध्यक्ष के निजी परिसर से शासकीय कार्य संपादित करना पाया गया।

 

जिसे निर्वाचन की दृष्टि से निष्पक्ष नहीं पाया गया। जांच में पाया गया कि वह लोकसभा निर्वाचन को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस मंडल अध्यक्ष के निजी ढ़ाबे में बैठकर कार्य करना शासकीय सेवक के आचरण नियमों के विपरीत और कदाचरण की श्रेणी में मानकर यह कार्रवाई की गई।

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