्रएक अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू हुआ और पुरातत्व विभाग के लिए शासन से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रखने का न कोई आदेश मिला और न हीं कोई बजट। इससे पुरातत्व विभाग ने जिले में 56 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया। कर्मचारियों को जानकारी मिली तो वह चंदेरी स्थित कार्यालय पहुंचे और बाद वहीं पर धरने पर बैठ गए और नारेबाजी की।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का कहना है कि किसी को विभाग में काम करते हुए 10 से 15 साल हो हो गई हैं, तो कोई आठ से दस साल से काम कर रहा है और अब ऐसी स्थिति में नौकरी से हटाए जाने से आखिर अब वह कहां पर काम करेंगे। साथ ही इन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ने धरनास्थल पर ही मुण्डन कराकर शासन का विरोध जताया और जमकर नारेबाजी भी की।
23 इमारतों की जिम्मेदारी के लिए रखे थे 56 कर्मचारी-
पुरातत्व संरक्षण विभाग के सहायक संरक्षण कार्यालय चंदेरी के अधीन 23 ऐतिहासिक इमारतें हैं और इन इमारतों की देखरेख व साफ-सफाई के लिए 56 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रखे गए थे। जिनकी ड्यूटी रन्नौद, कदवाया, बूढ़ी चंदेरी और चंदेरी के अलावा शिवपुरी जिले के महुआ और तेरही की ऐतिहासिक इमारतों पर थी।
लेकिन जहां ज्यादातर कर्मचारियों को तीन से चार महीने का वेतन भी नहीं मिला है और सोमवार को अचानक उन सभी को नौकरी से हटाने की जानकारी दी गई। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है, तो वहीं इन कर्मचारियों के नौकरी से हट जाने से ऐतिहासिक इमारतों पर सोमवार को न तो साफ-सफाई हुई और न हीं वहां पर देखरेख के लिए कोई कर्मचारी ड्यूटी पर रहा।
इनका कहना है-
बिना किसी कारण के एक अप्रैल से हटा दिया गया है, इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी पूर्व से कोई सूचना नहीं दी गई। कलेक्टर, एसडीएम व तहसीलदार को शिकायत भेजी है। नौकरी पर जब तक नहीं रखेंगे तब धरना प्रदर्शन करेंगे और फिर अनशन करके कर्मचारी आत्महत्या करेंगे।
मुनासिब खान, दैनिक वेतन कर्मचारी
चंदेरी कार्यालय के अधीन 23 ऐतिहासिक इमारतों पर 56 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी थे। शासन से इस बार बजट नहीं मिला और न हीं शासन से कोई पत्र मिला। सिर्फ जिले में ही नहीं, पूरे प्रदेश में विभाग ने ऐसे कर्मचारियों को हटाया है। हालांकि उनकी शेष वेतन का भुगतान किया जाएगा।
श्याममुरारी सक्सेना, कनिष्ठ संरक्षण सहायक अधिकारी पुरातत्व संरक्षण विभाग चंदेरी