scriptकिसानों से ठगी के लिए खुली एक और विंडो, फोटो कॉपी वाला खुलेआम वसूल रहा 50-50 रुपए | Another window open for cheat from the farmers, the photocopiers openly recovered 50-50 rupees | Patrika News

किसानों से ठगी के लिए खुली एक और विंडो, फोटो कॉपी वाला खुलेआम वसूल रहा 50-50 रुपए

locationअशोकनगरPublished: Jul 05, 2017 10:41:00 pm

Submitted by:

praveen

अशोकनगर. तहसील, एसडीएम, कृषि विस्तार अधिकारी और जिपं कार्यालय के ठीक सामने किसानों को मूर्ख बनाने का खेल चल रहा है। यहां

Ashoknagar, Agriculture Extension Officer, Prime M

Ashoknagar, Agriculture Extension Officer, Prime Minister, Crop Insurance,

अशोकनगर. तहसील, एसडीएम, कृषि विस्तार अधिकारी और जिपं कार्यालय के ठीक सामने किसानों को मूर्ख बनाने का खेल चल रहा है। यहां एक दुकान पर किसानों से 50-50 रुपए लेकर बताया जा रहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उन्हें कितना बीमा मिला है।

उल्लेखनीय है कि जिले में खरीफ 2016 में किसानों द्वारा कराए गए फसल बीमा के तहत 29 हजार 69 किसानों को 117 करोड़ 35 लाख 23 हजार 700 रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। लेकिन अभी तक किसानों की सूची कही चस्पा नहीं हुई है। इसके बावजूद तहसील कार्यालय के सामने रैनी स्टूडियो एवं फोटो कॉपी पर लाभांवित होने वाले किसानों की सूची है। इसके पास ही एक अन्य दुकान के पिछले गेट पर भी किसान भीड़ लगाकर खड़े थे। दुकान का संचालक 50 रुपए लेकर किसानों को बता रहा है कि उन्हें कितना बीमा मिलेगा। बुधवार को सुबह से ही दुकान पर किसानों की भीड़ थी। सभी अपने-अपने नाम सूची में दिखवा रहे थे। दुकानदार का दावा है कि यह सूची एकदम सही है। लेकिन उसे सूची कहां से मिली, यह जानकारी उसने नहीं दी। पहले तो कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की वेबसाइट से उठाई है, लेकिन जब ज्यादा सवाल-जवाब किए तो उसने जवाब देना बंद कर दिया। सुरेशसिंह रघुवंशी तरावली, पूरनसिंह बमुरिया, रानू रघुवंशी कनारी एवं शिवकुमार यादव खिरिया तेल आदि ने बताया कि उन्होंने 50-50 रुपए देकर नाम देखे हैं। एक से अधिक नाम देखने पर भी दुकानदार ने पैसे कम नहीं किए। शिवकुमार ने बताया कि उन्होंने 20 बीघा में सोयाबीन बोया था, 75 प्रतिशत नुकसान के बाद भी मात्र 200 रुपए बीमा आया है।

जांच हो, कैसे पहुंची सूची
सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिना किसी सरकारी मदद के दुकानदार के पास सूची कैसे पहुंची। यह सूची केवल बीमा कंपनी के पास होती है। कृषि उप संचालक एसएस मरावी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास किसानों की सूची नहीं आई है। वहीं किसानों ने बताया कि कंपनी से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि उप संचालक व तहसीलदार को सूची मेल की गई थी। यदि सूची फेक है तो दुकानदार किसानों को मूर्ख बनाकर ठग रहा है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए और यदि नियम विरुद्ध सूची दुकान पर पहुंची तो यह एक बड़ी लापरवाही है और इसकी जांच होनी चाहिए।
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