मामला क्षेत्र के देवखेड़ी और बरखेड़ालाल गांव के रास्ते में आनेवाली नदी का है। वीडियो शनिवार का बताया जा रहा है। करीब एक दर्जन छात्र-छात्राएं स्कूल की छुट्टी के बाद घर जाने नदी में उतरे तो नदी का बहाव बढ़ जाने से कुछ छात्र बह गए. इसमें नौंवी कक्षा की भावना धाकड़, अपेक्षा सेन व हरगोविंद पटेल नदी में बह गए। हालांकि वहां मौजूद अन्य छात्रों व ग्रामीणों ने उन्हें बचाया।
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उस समय 10वीं कक्षा में पढऩे वाला राजू साहू और अन्य ग्रामीण वहां मौजूद थे, जिन्होंने नदी में बहते तीनों बच्चों को पकड़ा और किनारे पर पहुंचाया। इससे सभी छात्र-छात्राओं के कपड़े व बस्ते भीग गए। बह गए छात्र—छात्रा बुरी तरह घबरा गए थे. पढ़ाई के लिए इन्हें रोज ऐसी मशक्कत करनी पड़ती है, तब ये स्कूल पहुंच पाते हैं। इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ है.
देवखेड़ी व देहरदा गांव के करीब 80 छात्र-छात्राएं बरखेड़ालाल गांव के हाईस्कूल में जाते हैं। देवखेड़ी से बरखेड़ालाल गांव के बीच डेढ़ किमी का रास्ता है और इसी रास्ते पर नदी है। वहीं दूसरा रास्ता विदिशा रोड टोल नाके के पास से करीब छह किमी लंबा है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं पैदल या साईकिल से स्कूल जाते हैं, इसलिए वह शॉर्ट रास्ते से होकर निकलते हैं. शिक्षक बताते हैं कि उन्हें रोजाना स्कूल के लिए इसी तरह नदी पार करनी पड़ती है।
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ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल नदी के दूसरी तरफ है, इससे छात्र-छात्राओं को बारिश के मौसम में रोजाना नदी के पानी में से होकर निकलना पड़ता है। वहीं जब नदी उफान पर होती है, उस दिन वह स्कूल नहीं जा पाते हैं। यदि बच्चे स्कूल गए होते हैं और उस दिन बारिश हो जाती है तो ग्रामीणों को नदी के दूसरी तरफ खड़ा होना पड़ता है, ताकि बच्चों को सुरक्षित नदी पार करा सकें।
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हाईस्कूल बरखेड़ालाल की शिक्षिका शमीना बानो बताती हैं कि बच्चे पैदल या साईकिल से स्कूल आते हैं, इसलिए वह शॉर्ट रास्ते से होकर स्कूल आते हैं। बीच में नदी पड़ती है, इसलिए हमने कह रखा है कि तेज पानी हो तो दूसरे रास्ते निकलकर आओ. आज भी एक छात्रा इसी तरह नदी से निकलकर स्कूल पहुंची थी। इधर ग्रामीणों की मांग है कि इस नदी पर पुलिया बनाना चाहिए या फिर गांव में ही हाईस्कूल बनाया जाए।