अशोकनगर. लंबे समय से लंबित
अतिशेष की प्रक्रिया शिक्षा विभाग ने अब जाकर शुरू की है। बीच सत्र में
अतिशेष करने से स्कूलों की व्यवस्था गड़बड़ाने की पूरी संभावना है।
अशोकनगर. लंबे समय से लंबित अतिशेष की प्रक्रिया शिक्षा विभाग ने अब जाकर शुरू की है। बीच सत्र में अतिशेष करने से स्कूलों की व्यवस्था गड़बड़ाने की पूरी संभावना है। वहीं शिक्षकों ने सूची को विसंगति पूर्ण बताया है और आपत्तियां भी दर्ज करवाई गई हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्त करण के आदेश आए थे। तब भी प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था और इस वर्ष भी आदेश आए हुए छह माह से अधिक का समय बीत गया है। अब जाकर शिक्षा विभाग ने इस पर काम करना शुरू किया है। जबकि अतिशेष की कार्रवाई मई-जून में हो जानी चाहिए, ताकि शिक्षक सत्र के दौरान शिक्षकों को एक स्कूल के दूसरे स्कूल में न भेजना पड़े, इससे व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। शिक्षकों के स्कूल बदलने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।
लगाई आपत्ति मप्र राज्य शिक्षक उत्थान संघ एवं राज्य अध्यापक संघ द्वारा अतिशेष सूची पर आपत्ति जताते हुए सूची को निरस्त करने की मांग की गई है। शिक्षक उत्थान संघ के प्रांताध्यक्ष सुरेन्द्र रघुवंशी व राज्य अध्यापक संघ के गोपाल शिवहरे ने बताया कि सूची में कहीं जूनियर शिक्षकों को अतिशेष बताया गया तो कहीं सीनियर शिक्षकों को। जबकि इसमें एकरूपता होनी चाहिए थी।
ये लगाईं आपत्तियां -अतिशेष शिक्षकों से पहले सहायक शिक्षकों की पदोन्नति सूची जारी की जाए।
-पदोन्नतियों से पद स्वत: ही खाली हो जाएंगे और अतिशेष की नौबत नहीं आएगी और आई भी तो न के बराबर होगा।
-जुलाई2014 से अब तक लगभग तीस माह से डीपीसी नहीं हुई है और न ही पदोन्नतियां हुई हैं।
– जबकि शासन के आदेशानुसान प्रत्येक छह माह में अब तक पांच बार की पदोन्नति एक साथ की जाएं।