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चुनाव में इस मुद्दे पर भाजपा-कांग्रेस का रहेगा फोकस

locationअशोकनगरPublished: Jan 22, 2018 12:11:58 pm

मुंगावली विधानसभा उपचुनाव के लिए आचार संहिता लागू होते ही भाजपा-कांग्रेस की रणनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं।

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अशोकनगर। मुंगावली विधानसभा उपचुनाव के लिए आचार संहिता लागू होते ही भाजपा-कांग्रेस की रणनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं। इस चुनाव में विकास प्रमुख मुद्दा रहेगा और दोनों ही पार्टियां विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही हैं। हालांकि दोनों ही पार्टियों के लिए प्रत्याशी का चयन अभी भी टेड़ी खीर बना हुआ है, जिसमें दोनों ही पार्टियों को अपनी उम्मीदवारी जता रहे लोगों से भितरघात का भी डर बना हुआ है। इससे आचार संहिता लागू हो जाने के बाद भी दोनों ही पार्टियां अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई हैं।

वर्ष 1957 से अब तक मुंगावली में 13 विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें पांच बार कांग्रेस और तीन बार भाजपा के विधायक चुने गए। वहीं क्षेत्र तीन बार भाजपा की नींव मानी जाने वाली पार्टियों के विधायक चुने गए। इससे क्षेत्र में हमेशा ही दोनों पार्टियों के बीच टक्कर रही है। वहीं दोनों ही पार्टियों में हर बार जीत का अंतर भी 10 हजार से कम का रहा, लेकिन वर्ष 2008 में भाजपा के देशराजसिंह यादव ने कांग्रेस प्रत्याशी को 21045 वोटों के अंतर से हराया था, तो 2013 में कांग्रेस के महेंद्रसिंह कालूखेड़ा ने भाजपा से 20765 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इन दोनों चुनावों के माध्यम से मुंगावली की जनता भाजपा-कांग्रेस को अपनी पसंद के प्रत्याशी का संदेश भी दे चुकी है। वोटों के अंतर की यही खाई दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी चयन में बाधा बनी हुई है।

विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़े

खास बात यह है कि इस चुनाव में पार्टियां जातिगत आधार पर भी चुनावी समीकरण तैयार करती दिख रही हैं। इसके लिए भाजपा ने जहां प्रदेश के मंत्रियों को जाति के आधार पर जिम्मेदारियां सौंपी हैं, तो वहीं कांग्रेस सांसद भी अलग-अलग जातियों के सम्मेलन कर चुके हैं। मुंगावली विधानसभा क्षेत्र में कुल 191210 मतदाता हैं, जिनमें 102092 पुरुष और 8 9116 महिलाएं हैं। इन मतदाताओं में सबसे अधिक 55.9 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं, जिनमें 21.5 प्रतिशत यादव, 10.7 प्रतिशत लोधी, 3.8 प्रतिशत कुशवाह, 3.8 प्रतिशत दांगी और 3.2 प्रतिशत कटारिया रावत शामिल हैं। अनुसूचित जाति के मतदाता18 .1 प्रतिशत हैं, जिनमें 10.7 प्रतिशत अहिरवार समाज के हैं। वहीं विधानसभा क्षेत्र में 9.9 प्रतिशत मतदाता सामान्य वर्ग के हैं।

विधानसभा में यह भी होंगे चुनावी मुद्दे

– ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल की समस्या।
– किसानों को फसलों का उचित मूल्य न मिलना।
– कई गांवों की आज भी बिजली और सडक़ से दूरी।
– भृष्टाचार व प्रशासनिक अनदेखी से लोगों की परेशानी।
– पाइप कैनाल, ग्रामीण सडक़ें और कॉलेज स्थापना।
– पिपरई में पेयजल और बहादुरपुर में तहसील व उपमंडी।

विधानसभा क्षेत्र के विधायकों पर एक नजर

वर्ष – विधायक – पार्टी – जीत का अंतर
1957 – खलकसिंह यादव – हिंदू महासभा – 142
1962 – चंद्रभानसिंह – प्रजा सोशलिस्ट – 3745
1967 – चंदनसिंह यादव – स्वतंत्र पार्टी – 29428
1972 – गजरामसिंह – बीलाखेड़ी – बीजेएस – 6787
1977 – चंद्रमोहन रावत – जनता पार्टी – 1480
1980 – गजरामसिंह – बीलाखेड़ी – कांग्रेस – 9656
1985 – गजरामसिंह यादव – कांग्रेस – 4377
1990 – देशराजसिंह यादव – भाजपा – 6894
1993 – आनंदकुमार पालीवाल – कांग्रेस – 771
1998 – देशराजसिंह यादव – भाजपा – 7736
2003 – गोपालसिंह चौहान – कांग्रेस – 9576
2008 – देशराजसिंह यादव – भाजपा – 21045
2013 – महेंद्रसिंह कालूखेड़ा – कांग्रेस – 20765
(जानकारी निर्वाचन आयोग की साइट अनुसार)
इनका कहना
प्रदेश सरकार की जनता विरोधी, किसान विरोधी, व्यापार विरोधी नीतियों के मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे। क्षेत्र में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस द्वारा किए गए विकास को जनता के सामने लाया जाएगा।
– राकेश मावई, विधानसभा क्षेत्र प्रभारी कांग्रेस
हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। आजादी बाद से जितने काम नहीं हुए, उतने काम चार महीने में किए गए हैं। सरकार से मुंगावली को मिनी स्मार्ट सिटी, प्रधानमंत्री सडक़, कलेक्ट्रेट भवन, पिपरई को पेयजल सहित क्षेत्र को शासन से लाभ मिले हैं, उन्हें जनता को बताएंगे।
– अरविंद भदौरिया, विधानसभा क्षेत्र प्रभारी भाजपा
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