दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जिले में भी किसानों ने विदिशा रोड टोल नाके के पास चक्काजाम का प्रयास किया। पुलिस की मुस्तैदी से चक्काजाम तो नहीं कर पाए, लेकिन तीन घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में किसान व करीब 50 महिलाएं भी शामिल हुईं। धरना प्रदर्शन में राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ, कांग्रेस, डीएसओ, क्षत्रिय महासभा सहित कई संगठन शामिल रहे। शुभारंभ दोपहर 12 बजे अशोकनगर-विदिशा रोड पर ट्रैक्टर-ट्राली आड़ी लगाकर किया, जिसमें राष्ट्रध्वज लगाया और राष्ट्रगान हुआ। मृत किसानों को श्रद्धांजली भी दी गई। दोपहर 2:40 बजे बेरीकेट्स लगाकर पूरा रास्ता रोकने का प्रयास किया तो पुलिस बल ने बेरीकेट्स हटा दिए, हालांकि इस बीच में दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइन लग गई।
कांग्रेस की किरकिरी, हटवाए कांग्रेसी दुपट्टे
किसानों के कार्यक्रम में तीसरी बार फिर कांग्रेस की किरकिरी हुई। कांग्रेस के प्रदेश सचिव दशरथ रघुवंशी व अन्य कार्यकर्ता कांग्रेसी दुपट्टा डाल पहुंचे तो किसान संगठन ने उन दुपट्टों को हटवा दिया और माइक से कहा कि किसानों के कार्यक्रम को राजनीतिक न बनाएं। वायपास रोड पर ट्रैक्टर रैली के दौरान भी किसान संगठन ने कांग्रेसियों को शामिल नहीं होने दिया था, वहीं किसानों के समर्थन में बाजार बंद कराने के कार्यक्रम में भी किसान संगठन ने कांग्रेसियों को कांग्रेस के झंडा-बैनर हटवाकर शामिल किया था।
सांसद के छोटे भाई का बयानी हमला
अजयपाल यादव ने कहा कि जिले में पाले से फसलों को नुकसान हो चुका है। यह बात सौभाग्य की थी कि दो सांसद हमारे क्षेत्र से हैं इनमें एक लोकसभा व एक राज्य सभा के व क्षेत्र से एक मंत्री हैं और एक हमारे विधायक भी हैं, जो सरकार में हैं। क्या इन चारों में से किसी ने भी किसानों के मुआवजे की बात की, बीमा की बात की, क्या सर्वे कराने की बात की कि किसानों पर पाला पड़ा है। हम सब उठें जागें और उनके द्वार पर खड़े होकर कहें कि बताईए आप हम किसानों के लिए क्या कर रहे हो। साथ ही कहा कि सांसद का छोटा भाई हूं, लेकिन किसान के नाते हमारी भी आत्मा दर्द करती है, होगा उनके ऊपर पार्टी का प्रेशर, पर जमीर से बात करना चाहिए।
सांसद बोले…यही तो राजनीति है
छोटे भाई द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ धरने में शामिल होने और सांसद के खिलाफ बोलने के मामले में भाजपा सांसद केपी यादव ने कहा कि यह तो राजनीति है, राहुल गांधी-वरुण गांधी को देख लो और भी कई राजनीतिक परिवार हैं जो अलग पार्टी से संबंध रखते हैं, राजनीति ऐसी ही होती है।