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बीआरसी ने नाले से उठवाईं दूध पावडर की बोरियां

locationअशोकनगरPublished: Sep 22, 2018 10:45:33 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

नेशनल हाइवे पर नाले में सरकारी स्कूलों के दूध पावडर की बोरियां पड़ी होने की जानकारी मिलते ही सुबह बीआरसी शिक्षा विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे।

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Ashoknagar Milk sacks raised from the drain and kept in the oats.

अशोकनगर. नेशनल हाइवे पर नाले में सरकारी स्कूलों के दूध पावडर की बोरियां पड़ी होने की जानकारी मिलते ही सुबह बीआरसी शिक्षा विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। जहां से उन्होंने दूध पावडर की सभी 10 बोरियां उठवाईं और ऑटो में रखकर ऑफिस भिजवाया। वहीं एसडीएम-तहसीलदार ने भी मौके पर पहुंचकर बीआरसी से जानकारी ली, साथ ही निर्देश दिए कि जिसने भी यह पैकेट फेंके हैं, जांच करके उसकी जानकारी दो दिन में उपलब्ध कराएं।

शुक्रवार को सुबह के समय नेशनल हाइवे पर गदूली और ढुड़ैर गांव के बीच नाले में दूध पावडर की 10 बोरियां पड़ी मिली थीं, इनमें एक-एक किग्रा की 250 पैकेट थीं। इससे शनिवार को सुबह आठ बजे मुंगावली बीआरसी कृष्णमुरारी शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे और नाले से बोरियां उठाकर बाहर निकालीं, साथ ही पानी में पड़े पैकेटों को एकत्रित कर बोरियों में भरवाया। बाद में एसडीएम आरए प्रजापति और तहसीलदार यूसी मेहरा भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने नाले से बरामद हुईं दूध की बोरियों की जानकारी ली। बीआरसी के मुताबिक 10 बोरी दूध पावडर नाले से बरामद कर लिया है, लेकिन यह किसने फेंका है, इसकी जानकारी के लिए सभी जनशिक्षा केंद्रों और स्कूलों से दूध वितरण की जानकारी मंगाई गई है। साथ ही स्कूलों में बच्चों से पूछकर भी जांच करवाई जाएगी कि स्कूल में उन्हें दूध पिलाया जाता है या नहीं।

एक्सपायरी तारीख की जांच से होगा खुलासा
बीआरसी कार्यालय के कर्मचारियों के मुताबिक जिला पंचायत कार्यालय में बीआरसी कार्यालयों को भेजी जाने वाली दूध पैकेटों की एक्सपायरी तारीख दर्ज रहती है। कर्मचारियों का कहना है कि उनके द्वारा जो पैकेट बांटी गईं, उनमें एक्सपायरी तारीख 22, 23 व 26 अक्टूबर 2018 दर्ज थीं और यह तारीख पैकेट पर पूर्व से प्रिंटेड थी। लेकिन बरामद हुई पैकेटों में सील के माध्यम से एक्सपायरी तारीख दर्ज है। इससे जिला पंचायत से इसकी जानकारी मिल जाएगी
कि यह पैकेट किस कार्यालय को भेजे गए थे। वहीं ग्रामीणों और कई शिक्षकों का यह भी कहना है कि जिले के ज्यादातर स्कूलों में तो यह दूध बच्चों को पिलाया ही नहीं जाता है। इससे रखी हुई इन पैकेटों को इसी तरह से फेंक दिया जाता है।
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