हम बात कर रहे हैं सुमेर, करैयाबुद्धु, भेटुआ और कॉलोनी गांव की। करीब 4200 की आबादी वाले इन गांवों के लोगों को बरखेड़ाछज्जू तालाब के पास से निकलने का रास्ता था। जहां ग्रामीणों को आवाजाही का सुगम रास्ता बनाने के लिए तालाब के पास पुल बनाया गया था।
लेकिन पुल पहली ही बारिश में बह जाने से रास्ता बंद हो गया। इससे ग्रामीणों ने पुल के बहे हुए हिस्से पर लकडिय़ां और टूटे हुए पेड़ों को तारों से बांधकर रास्ता बनाया और उसी रास्ते से निकलने मजबूर हैं। जहां से बाइक निकालने के लिए ग्रामीणों को इस हिस्से पर बाइक को हाथों से उठाकर पार करना पड़ता है।
लकडिय़ों के रास्ते से गिरने से टूटे तीन लोगों के पैर-
इस रास्ते से निकलने से ग्रामीणों में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सुमेर निवासी दर्शन यादव के मुताबिक बीमार लोगों को इस रास्ते से निकालने में बड़ी समस्या रहती है, उन्होंने बताया कुछ दिन पहले ही लकडिय़ों के रास्ते से फिसलकर तीन लोग गिर गए और तीनों के पैर टूट गए, जो इलाज के लिए भोपाल में भर्ती हैं।
इस रास्ते से निकलने से ग्रामीणों में दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। सुमेर निवासी दर्शन यादव के मुताबिक बीमार लोगों को इस रास्ते से निकालने में बड़ी समस्या रहती है, उन्होंने बताया कुछ दिन पहले ही लकडिय़ों के रास्ते से फिसलकर तीन लोग गिर गए और तीनों के पैर टूट गए, जो इलाज के लिए भोपाल में भर्ती हैं।
इस रास्ते से अशोकनगर की दूरी 15 किमी है और दूसरा रास्ता कचनार के पास से है, जहाँ से निकलने 20 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है। एक दिन में ही बह गया था पुल-
ग्रामीणों के मुताबिक लाखों रुपए की लागत से बनाया गया यह पुल बनकर तैयार ही हुआ थाए जिसका एक हिस्सा दूसरे दिन ही बारिश में बह गया। इससे निर्माण में बरती गई लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को परेशान होकर भुगतना पड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उनकी इस समस्या पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक लाखों रुपए की लागत से बनाया गया यह पुल बनकर तैयार ही हुआ थाए जिसका एक हिस्सा दूसरे दिन ही बारिश में बह गया। इससे निर्माण में बरती गई लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को परेशान होकर भुगतना पड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी उनकी इस समस्या पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।